शिव पुराण की कथा सुनने से चित्त की शुद्धि व मन निर्मल हो जाता है। आयुष कृष्ण नयन ।
बड़कोट |
डख्याट गाँव के टटाउ शिवमंदिर में दूसरे गांव विवाहित महिलाओं (दयाणियो) द्वारा शिव महापुराण कथा का आयोजन किया गया ।
शिव पुराण कथा में व्यास आयुष कृष्ण महाराज जी ने मानव जीवन का व्याख्यान किया। कहा कि शिव पुराण की कथा सुनने से चित्त की शुद्धि व मन निर्मल हो जाता है। शुद्ध चित्त में भगवान शिव व पार्वती का वास होता है। शिव पुराण कथा का श्रवण मानव जीवन के लिए अत्यंत लाभकारी है।
शिव महापुराण कथा में 7वें दिन शिव अवतार व शिव विवाह की कथा सुनाई गई। व्यासपीठ से आयुष कृष्ण नयन महाराज ने वीरभद्र अवतार की कथा में कहा कि यह अवतार तब हुआ था, जब दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में माता सती ने अपनी देह का त्याग किया था। जब भगवान शिव को यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने क्रोध में अपने सिर से एक जटा उखाड़ी और उसे गुस्से में पर्वत के ऊपर पटक दिया। उस जटा के पूर्वभाग से महाभंयकर वीरभद्र प्रगट हुए। शिव के अंश ऋषि दुर्वासा, महेश, वृषभ, पिप्पलाद, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, अवधूतेश्वर, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, ब्रह्मचारी, सुनटनर्तक, द्विज, अश्वत्थामा, किरात, नतेश्वर आदि जन्मे। इन अंशावतार का उल्लेख ‘शिव पुराण’ में भी मिलता है। व्यास पीठ से भगवान शिव की महिमा, शिव विवाह जैसे व्रतांत सुनकर श्रद्धालुओं ने उत्सव मनाया। शिव भक्त भक्ति संगीत के साथ भगवान शिव की महिमा का गुणगान 27 मई से किया जा रहा है। 5 जून को 12 ज्योर्तिलिंग की कथा, होली उत्सव के बाद कथा विश्राम होगा। 6 जून को पूर्णाहुति दी जाएगी।
इस अवसर पर हजारों की संख्या में पहुँचे शिवभक्तों ने देव डोलियों में तटेश्वर महादेव,राजा रघुनाथ ,यमदग्नि ऋषि महाराज,कैलू मानसीर ,लुदेश्वर महादेव और कुलदेवी माता चंद्रवदनि के दर्शन के साथ
कथा का श्रवण किया।