आदरणीय जीतमणि पैन्यूली जी
प्रमुख सम्पादक
पहाडों की गूंज
उत्तराखंड
आपके आनलाईन पोर्टल द्वारा रिलीज करी गई खबर व मुझे भेजे वीडियो एवं यूट्यूब पर अपलोड करे व्यक्तव्य से अवगत हुआ कि आप वायरसों की चल रही श्रृंखला (एड्स, हेपिटाइट, स्वाईन फ्लू, बर्ड फ्लू, ईबोला,निपाह, जीका, कोरोना व अब ओमीक्रोन ) से दुनिया के लोगों को अकाल मृत्यु से बचाने व सम्पूर्ण मानव प्रजाति का विनाश होने से रोकने के लिए जो फाईल करीबन 11 वर्षों से राष्ट्रपति के पास विचाराधीन हैं उस पर अन्तिम फैसला हो उसके लिए देहरादून (उत्तराखंड) से नई दिल्ली तक 01 जनवरी 2023 से पैदल सद्भावना यात्रा शुरु करने जा रहे हैं |
https://youtu.be/qoq8qEm-W1E
माननीय आपने मैंरे लिए इतना बड़ा कदम उठाने की बात करके व्यक्तिगत रूप से बहुत बड़ा उपकार करा हैं | आपसे मेरा कोई पारिवारिक नाता नहीं हैं व न ही आपसे आजतक कोई मुलाकात हुई हैं |
आपके अखबार पहाड़ो की गुंज द्वारा पीछले करीबन द़ो माह से इस पूरे मामले का लगातार सिलसिलेवार प्रकाशन हो रहा हैं। मैंने उन सभी अखबारों की ओरीजनल प्रतियों को, मेरी भेजी फाईल की समरी (ग्राफिक्स रूप में) के साथ एक रिमाइंडर पत्र के रूप में राष्ट्रपति महोदया को भेज दिया हैं | जो उन तक पहुंच गया हैं, इसकी पुष्टि भारतीय डाक विभाग ने कर दी हैं | मेरी बात की सत्यता के लिए उस रिमाइंडर फाईल को विडियो यूट्यूब ( https://youtu.be/qER7fjPSTVE ) पर लोड करा हैं, आप इसे देख सकते हैं |
इस वीडियो के साथ मैं आपसे सविनय अनुरोध करता हूँ कि आप अपनी पैदल सद्भावना यात्रा को रोक दे क्योंकि आपका उद्देश्य पुरा हो गया हैं | मैं आपकी क्षमता, कर्तव्य समर्पण एवं इच्छाशक्ति पर तिल मात्र भी संदेह नहीं कर रहा हूँ क्योंकि मुझे जानकारी मिल चुकी हैं कि आपने पहले भी कई आन्दोलन करे हैं जिसमें सबसे नया मीडिया एवं मीडियाकर्मियों के अधीकार को लेकर 30 मई, 2021 से 5 जून 2021तक मौनव्रत धरना प्रदर्शन हैं |
एक व्यक्ति आविष्कार व तकनीक को अपने निजी अधिकार श्रेत्र में रखकर व अपनी फोटो भी विज्ञापन के नाम से चिपका भगवान बनने की कुचेष्टा और अपने प्रचार प्रसार के लिए समय बर्बादी के साथ लोगों को मरने के लिए मजबूर नहीं कर दे इसलिए मैंने अपने पेटेंट व दुनियाभर से मीले अरबों खरबों के व्यवसायिक प्रस्तावों को राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को 2011 में भेजा था | प्रधानमंत्री ने इसे स्वयं सरकारी प्रक्रिया में लगाया था | यह भी आगे चलकर राष्ट्रपति को भेजे पत्र के साथ आधिकारिक रूप से समाहित कर दिया गया हैं | मैंने तो स्पष्ट लिखा था कि यह आविष्कार भारत सरकार के अधीन रहें व मुझे उतना देदे जो संविधान के अधिन कानून के हिसाब से एक आविष्कारक को मीलना चाहिए ताकि सामाजिक जीवन मे जीवनयापन के साथ अपने अनुसंधान के कार्य को आगे जारी रख सकूं | मैंने दुनिया के हर ईंसान को बहुत कम समय में फायदा मील सके उसकी पुरी योजना बनाकर प्रमाण सहित भेजी थी | यदि राष्ट्रपति एक बार इन लोगों का दायरा तय करले व मुझे उचित सुविधा एवं माहौल उपलब्ध करा दे तो उसे मूर्तरूप में भी बदल कर बता दूंगा |
इस आविष्कार के साथ भारतीय मीडिया को संवैधानिक चेहरा व जवाबदेही वाला कानूनी अधिकार मिले वो भी आविष्कार के एक-एक सीढी आगे बढने के साथ-साथ खबर की पुष्टि के रूप में जुड़ता चला गया | इस आविष्कार को जमीनी धरातल पर उतारने के साथ-साथ देश के हर नागरिक को फायदा होगा | इसमें करीबन 1 लाख 54 हजार करोड़ रूपये प्रतिवर्ष सरकारी रेवन्यू के साथ 5000 नई कम्पनीया खुलने, लाखों – करोड़ो लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने, पेट्रोलियम पदार्थों ( पेट्रोल, डीजल, गैस) की कीमतें स्थिर करने के साथ चीन व पाकिस्तान की विस्तारवादी नीति को बर्बाद कर देने के फायदे हैं | यह सभी मैंने 2011 की अपनी फाईल के पत्र में राष्ट्रपति को हस्तलिखित रूप में दस्तावेजों के साथ 3.5 किलोग्राम की 10 पेज वाली इंडेक्स सूची के साथ भेजा था |
एक आविष्कारक के रूप में मेरा काम कभी का पूर्ण हो गया हैं और बिना एक रूपये का निजी फायदा लिये सबकुछ राष्ट्रपति को भेजकर अपने कर्तव्य को पूरा कर प्रति मिनिट मर रहे एक निर्दोष व्यक्ति के शास्त्रानुसार पाप, अधर्म से अपने सिर व आत्मा को बचाये रखा हैं और काल के मुहं में जाकर वापस आ चुका हूँ | आपसे मेरा हाथ जोड़कर पुन: सविनय विनती हैं कि आप अपनी पैदल यात्रा को प्रारम्भ ना करे | इससे आपके प्रकाशन का कार्य व पत्रकारिता धर्म का पालन होता रहेगा | अधिकांश मीडिया संगठन व पत्रकार बंधु इस मामले से दुरी बनाकर चल रहे हैं उन्हें लगता हैं कि यह मेरा निजी मामला हैं और आविष्कार की तकनीक बेच पैसा कमाना चाहता हूँ | इसके साथ 2004 के आविष्कार की फाईल जो 11 वर्षों से सिर्फ राष्ट्रपति के अन्तिम फैसले पर अटकी हैं उसके बारे में छापना और कहना भारत सरकार के विरोध में काम करना होगा |
धन्यवाद
भवदीय
शैलेन्द्र कुमार बिराणी
युवा वैज्ञानिक
जन्म स्थान -राजस्थान, उच्चतम शिक्षा व प्रोफेशनल पहचान क्षेत्र – मध्यप्रदेश, वर्तमान जीवनयापन क्षेत्र – गुजरात, इतिहास में पहचान बनाने का सरकारी दस्तावेज क्षेत्र – महाराष्ट्र, भविष्य के लिए अधिकार क्षेत्र पाने का स्थल – दिल्ली, मैरें साइंटिफिक-एनालिसिस को सबसे ज्यादा पढने व समर्थन का क्षेत्र – उत्तरप्रदेश व अब मेरी सोच व भावना को स्पष्ट करने का क्षेत्र बने उत्तराखंड के साथ देश के कई राज्यों में प्रकाशन से जनभावना का आशिर्वाद सहित दुनिया के हर क्षेत्र से मीला सहयोग
व्यक्तिगत रूप से पेटेंट प्राप्त करने वाला मध्यप्रदेश इतिहास का दुसरा व्यक्ति
देश में पेटेंट धारकों को राष्ट्रिय अवार्ड व आर्थिक सहयोग की शुरूआत कराने वाला
350 वर्षों पुरानी डिस्पोजल प्लास्टिक आधारित चिकित्सा विज्ञान में भारत को अग्रणी बनाने वाला