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परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में होगा देश के विभिन्न राज्यों से संस्कृत विद्वानों का सेमीनार ।

Pahado Ki Goonj

परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में होगा देश के विभिन्न राज्यों से संस्कृत विद्वानों का सेमीनार ।

देहरादून :- पहाड़ो कि गूंज ब्यूरो

वैश्विक संस्कृत मंच उत्तराखंड प्रांत के तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध सेमीनार का आयोजन दिनाँक 27 व 28 अप्रैल 2 परमार्थ निकेतन ऋषिकेश उत्तराखंड में होने जा रहा है । सेमीनार में देश के विभिन्न राज्यों से संस्कृत विद्वानों का आगमन होगा। संगोष्ठी का विषय- संस्कृत वाङ्मय: राष्ट्रीय अभ्युदय का अनवरत*स्रोत*! *मंच के प्रान्त* *संयोजक व सेमीनार के* *संयोजक डॉ0 शक्तिप्रसाद उनियाल ने कहा कि इस राष्ट्रीय सेमीनार में विद्वानों द्वारा संस्कृत, हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा के माध्यम से शोध वाचन कर सकते हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन दिनाँक 27 अप्रैल को 10 बजे किया जायेगा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 देवी प्रसाद त्रिपाठी, पतंजलि विश्वविद्यालय के उप कुलपति आचार्य महावीर अग्रवाल, मेयर अनिता ममगाँई , विधायक रेनू विष्ट, वैश्विक संस्कृत मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो0 विष्णुपद महापात्रसंस्कृत निदेशक एस0पी0 खाली, सहायक निदेशक डॉ वाजश्रवा आर्य, संस्कृत शिक्षा परिषद के उपसचिव डॉ0 संजू प्रसाद ध्यानी, प्राचार्य डॉ जगदीश प्रसाद दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आदि रहेंगे।मंच के राष्ट्रीय सचिव डॉ राजेश मिश्र इस संगठन को पूरे विश्व मे गति प्रदान कर रहे हैं। वर्तमान में भारत के प्रत्येक प्रांत एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर मंच के अनेक समूह संचालित हैं वैश्विक संस्कृत मंच उत्तराखंड प्रांत के अध्यक्ष डॉ जनार्दन कैरवान एवं प्रांत संयोजक डॉ शक्ति प्रसाद उनियाल हैं जिनके तत्वाधान में इस संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है इस राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का प्रमुख उद्देश्य यह है कि संस्कृत साहित्य में निहित राष्ट्रीय अभ्युदय के तत्वों का परिशीलन किया जा सके, जिससे कि सम्प्रति राष्ट्र के विकास हेतु संस्कृत भाषा की प्रबलता और प्रगाढ़ता को जन सामान्य के सम्मुख प्रस्तुत किया जा सके।कार्यक्रम आयोजक के रूप में सेमीनार के आयोजकसचिव डॉ जनार्दन कैरवान, राष्ट्रीय सचिव संयोजक डॉ शक्तिप्रसाद उनियाल, डॉ0मृगांक मलासी, समन्वयक डॉ0 भारती, डॉ0 देशबन्धु डॉ वेदव्रत, चन्द्र शेखर नौटियाल आदि कार्यकर्ता कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं ।

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