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आपदा प्रबंधन करने में प्रदेश की भाजपा सरकार पूरी तरह फेलः हरीश रावत

Pahado Ki Goonj

देहरादून। कुमाऊं में आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि आपदा प्रभबंधन करने में प्रदेश की भाजपा सरकार पूरी तरह से विफल रही है। उन्होंने कहा कि आपदा के पांच दिन गुजरजाने के बाद भी आपदाग्रस्त इलाकों में अव्यवस्था फैली हुई है।
सोमवार को प्रदेश की राजधानीद देहरादून में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आपदा प्रबंधन में राज्य सरकार को पूरी तरह फेल बताया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उधमसिंह नगर और नैनीताल में आपदा की स्थिति देखने के बाद राज्य सरकार को 5 दिन का वक्त दिया था। हमने कहा था कि अगर 5 दिन में स्थिति नहीं सुधरती है तो उसके खिलाफ आंदोलन जैसे कदम उठाने पड़ेंगे। हरीश रावत ने कहा कि इन 5 दिनों में अभी तक स्थिति में सुधार लाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। भाजपा के कार्यकर्ता ने ही एक ऐसा वीडियो भेजा है। एक केंद्रीय मंत्री के दौरे में बेतालघाट में उनके ही कार्यकर्ता सवाल खड़े कर रहे हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पांचवें दिन भी सहायता नहीं पहुंचाई गयी है। हरीश रावत ने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस की उपस्थिति का भी कोई महत्व नहीं समझा। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि 2013 में आयी केदारनाथ आपदा में प्रबंधन और बचाव के लिए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री हटा दिया था। जब आधी रात को लोगों के घरों में पानी भरा तो लोग घर छोड़कर भागने लगे। जिसकी मुख्य वजह रही कि उन तक आपदा की सूचनाएं नहीं पहुंच रही थी। गली-मोहल्लों में सड़ रहा कूड़ा-करकट और मरे हुए जानवरों को हटाने के लिए उन्होंने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। हरीश रावत ने आरोप लगाया कि सफाई कर्मी ही नहीं, पानी के टैंकर पानी तक नहीं पहुंच रहे हैं। इससे ग्रामीणों को पेयजल की काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि राज्य सरकार आपदा प्रबंधन और बचाव कार्यों में पूरी तरह से फेल हो गई है। आपदा प्रबंधन तंत्र 6 दिन में भी दबी हुई लाशों को नहीं निकाल पाया। केंद्रीय दल आ गया है, लेकिन सरकारी तंत्र का कोई सहयोग नहीं मिल रहा। हरीश रावत ने आरोप लगाया कि इस पूरी आपदा में और आपदा प्रबंधन में राज्य सरकार पूरी तरह से गायब थी। साल 2013 में जब आपदा आई थी तो उस दौरान राज्य सरकार ने मानक बदले थे। तब केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार से सुझाव मांगे थे। क्षतिग्रस्त भवनों के लिए मुआवजा राशि के मानक तय किये थे। सरकारी और गैर-सरकारी के अंतर को समाप्त किया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि अगर किसी का नुकसान मानक में नहीं आ पा रहा है लेकिन यदि क्षति हुई है, तो उसकी प्रतिपूर्ति सरकार करे। मानव क्षति में राज्य सरकार 10 लाख की सहायता राशि दे। राज्य सरकार, किसान के रकवे के आधार पर क्षतिपूर्ति दे। ये क्षतिपूर्ति, राज्य सरकार किसानों को शीघ्र दे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कहा कि उनकी पार्टी भविष्य के एजेंडे में आपदा के मानकों में बदलाव को शामिल करेगी। इस आपदा से आधा राज्य प्रभावित हुआ है। राज्य सरकार घसियारी योजना ल रही है, लेकिन उन्हें चिंता नहीं है कि प्रदेश में घास है कि नहीं. जिनको भी भाजपा सरकार ने दायित्व सौंपा है, उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया।

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