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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये योजना धरातल पर दिखेगी

Pahado Ki Goonj

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये 13 जिले, 13 नये पर्यटन गंतव्य की योजना को धरातल पर लाने के प्रयासों में तेजी लायी जा रही है। इसके अन्तर्गत जनपदों में नये पर्यटन स्थलों के विकास के साथ ही बड़े होटलों की स्थापना पर भी ध्यान दिया जा रहा है। बड़ी संख्या में प्रदेश के विभिन्न स्थलों पर 5 सितारा होटलों की स्थापना से पर्यटकों व फिल्मकारों आदि की आवाजाही प्रदेश में बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही आर्थिकी भी मजबूत होगी। 
मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र के निर्देश पर उनके औद्योगिक सलाहकार  के.एस. पंवार ने टिहरी व उत्तरकाशी जनपद के हर्षिल व खरशाली आदि स्थलों का भ्रमण कर इसकी संभावना तलाशी। इस सम्बन्ध में  के.एस पंवार ने बताया कि प्रतापनगर से टिहरी झील का मनोरम दृश्य बेहद खूबसूरत दिखता है। तत्कालीन टिहरी नरेश प्रताप शाह ने प्रतापनगर में जो राजमहल बनाया है उसे हैरिटेज के रूप में विकसित कर यहां पर्यटन हब बनाया जा सकता है। 
 पंवार ने कहा कि मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत का मानना है कि टिहरी बांध के कारण अलग-थलग पड़े प्रतापनगर को साहसिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। साथ ही सुरम्य वादियों में रेस्ट हाउस, कैंपिंग, टेंट कॉलोनी बनाकर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि टिहरी राजवंश ने ऐसे ही प्रतापनगर को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित नहीं किया था। राजमहल और आसपास की जगह अच्छी है। यहां पर भव्य होटल का निर्माण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसी तरह उत्तरकाशी में भी अनेक क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य को समेटे हुए है, यहां भी होटल व्यवसाय की काफी संभावनाएँ नजर आती हैं।  पंवार ने कहा कि वे शीर्घ ही वे इससे सम्बन्धित रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेंगे।बताते चलें कि

टिहरी गढ़वाल रियासत की दुतीय कहिजाने वाली राजधानी राजा के दीवान को दिया गावँ लिखवार गावँ भदूरा प्रतापनगर तहसील में स्थित है वह गावँ समाजिक समरसता का केंद्र भी रहा गावँ के ऊपर आबकी,बगल में मजखेत 1,2 खिटा ,खलड़ गावँ गल्याखेत,पोखरि बन्यानी एक कटोरी नुमा गावँ समूह की ग्रामसभा आजादी से कुछ दिन बाद तक रही है राजा के दीवान घर आते रहे तो उत्तरकाशी तक के लोग टिहरी कोर्ट में जाने के बजाय दीवान जी घर आने की इंतजार करते थे।उनके द्वारा निर्मित 36 कमरों का 3 मंजिल मकान आज भी400 वर्ष से 1904 व 20 अक्टूबर 1991 भूकंप झेलते हुए खड़ा है उसकी दीवाल के कोने पर यदि कागज रगड़ते हैं तो दूसरे कोने पर उसकी आवाज सुनाई पड़ती है इस कारिगरी से मकान 12 वर्ष में निर्मित किया गया है लॉर्ड कर्जन 1902 में इसी रास्ते बदरीनाथ गये उनके लिए गैर धर्म का होने के चलते दूसरा मकान 50गज दूर  ढाई दिन में तैयार किया गया है । जो आजके इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाले लोगों को व्यवहारिक ज्ञान देरहा है।

 

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