देहरादून,किसी भी देश मे ऋण संकट तब होता है जब कोई देश अपने अंतराष्ट्रिय और राष्ट्रीय कर्जो का भुगतान करने में असमर्थ होता है। लेकिन यह रातोंरात नहीं होता है क्योंकि चेतावनी के बहुत सारे संकेत होते हैं जैसे कि बढ़ती बेरोजारी , उद्योगधन्दे कम होना , राष्ट्रिय बैंक ( भारत मे RBI,) की , सम्पनं लोगों का देश छोड़ना , टैक्स की दर बढाना आदि! , *यह तब एक संकट बन जाता है जब देश के नेता राजनीतिक कारणों से इन संकेतकों की उपेक्षा करते हैं* !
एेसा ही कुछ ग्रीस मे भी हुआ , बेरोजगारी बढ़कर 25 प्रतिशत हो गई, जबकि युवा बेरोजगारी 50 प्रतिशत हो गई। गलियों में दंगे भड़क उठे। राजनीतिक प्रणाली उथल-पुथल में थी क्योंकि मतदाताओं ने किसी की भी भावनाओं मे बह कर बिना सोचे समझे,य़थार्त के दर्द से बचने के रास्ता ढूंढने ,झूठे वादों मे फस कर सरकार चुन ली …!
फिर जब वहां की *सरकार सब तरफ से घिर गयी तो 2004 में, ग्रीक सरकार ने खुले तौर पर स्वीकार किया था कि यूरोज़ोन( युरोपियन देश जैसे कि फ्रांस इंग्लेंड (Farnce, England )आदि मे सामिल में होने के लिए उनके द्वारा निर्धारित मानक के आंकड़े मे सरकार द्वारा हेरा फेरी किए गए थे ! मतलब ये हुआ की *ग्रीस सरकार ने जानबूज कर झूठे आंकड़े दे कर ये दिखाने की कोशिश की उनकी आर्थिक हालत बहुत अच्छे हैं* ..! जबकीउसमे कोई सच्चाई नहीं थी ! जनता भी उन झूठे आंकडों को बिना सोचे समझे सच्च मानती रही थी ..!
और *अब ग्रीस सरकार की सारी नीतियों से ले कर देश की सत्ता विदेशियों के हाथों मे है* …!
??आज कल खण्डग्रास चन्द्रग्रहण उसके प्रभाव??*_
Tue Jul 16 , 2019