पुरोला उत्तरकाशी ।
गरीबों और पहुंचहीन लोगों के लिए सफेद हाथी ही साबित हो रही है आयुष्मान योजना
प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी आयुष्मान योजना पर सरकारी सिस्टम ही पानी फेर रहा है।गरीबों को सस्ती सुलभ एवं निशुल्क ,कैशलेस,स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने आयुष्मान योजना की शुरुआत कर लोकप्रियता हासिल की है लेकिन उनकी इस महत्वकांक्षी योजना पर सरकारी सिस्टम ही पलीता लगाने को उतारू है ।आलम यह है कि दून चिकित्सालय देहरादून में आयुष्मान काऊंटर में तैनात आयुष्मान मित्र ही मरीजों के तीमारदारों से सीधे मुंह बात करने को राजी नहीं है ।जबकि उन्हे मरीजों को सही जानकारी और सहयोग उपलब्ध करवाने के लिए तैनात किया गया है । गरीब और असहाय तथा अनभिज्ञ और अनजान व अशिक्षित मरीजों तथा उनके सहयोगियों से अमानवीय व्यवहार किया जाता है ।वहीं मरीजों को भर्ती करने के बाद मरीजों को अस्पताल से दवाईया उपलब्ध न करवा कर उनके तीमारदारों से बहार से दवाईया मंगवाई जा रही है।अगर अस्पताल में दवाईयां नहीं तो दवाई की व्यवस्था करना अस्पताल प्रशासन का दायित्व है वहीं अस्पताल में तैनात डाक्टर बाहर से महंगी दवा खरीद कर लाने को कहना अपनी मनमानी से ऐसा कर रहे या वास्तव में अस्पताल में वे दवाईयां उपलब्ध नहीं है इसकी जबावदेही किसकी है।
ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है ।जनपद उत्तरकाशी के विकास खण्ड मोरी के देवजानी गांव निवासी विपिन जब अपनी माँ चमन देवी के इलाज के लिए दून अस्पताल गये तो पहले तो वहां तैनात आयुष्मान मित्र ने उन्हें परेशान किया और जब काफी मशक्कत के बाद वे अपनी माँ को भर्ती करने में कामयाब हुआ ।उनकी मां को वार्ड संख्या 17 बैड नम्बर 32 उपलब्ध करवाया गया ।उसके बाद जांच की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें बाहर से दवा खरीद कर लाने का डाक्टर द्वारा फरमान जारी किया ।विपिन का कहना है कि उन्होंने मजबूर होकर बाहर से 936 रूपये की दवाई खरीद कर लानी पडी ।उनका कहना है कि जब आयुष्मान योजना के अंतर्गत निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की व्यवस्था है तो अस्पताल से दवाईया क्यों नहीं दी जा रही है।