जम्मू कश्मीर में CRPF पर हुए आतंकी हमले से शोक में डूबे हुए देश को आज 3 दिन पूरे हुए, सो अब चंद बेहद मौजूंद सवाल-
समय समय पर बीजेपी के नेताओं ने देश की जनता की चिंता व्यक्त करते हुए बयान दिया सत्ता पाने पर भूल गए।अब सत्ता के लिए क्या क्या खेल होंगे?
1. छत्तीसगढ़ के ताड़मेटला में CRPF के काफिले पर नक्सलियों ने हमला किया और 76 जवानों के खून से होली खेली थी। तब CRPF के शीर्ष नेतृत्व ने सीख ली थी कि एक साथ समूह में यात्रा करने के बजाए छोटी छोटी टुकड़ियों में प्लाटून को मूव कराया जाएगा तो फिर कश्मीर के पुलवामा में एक साथ समूह में मूव कराने वाले CRPF के आला अधिकारियों पे क्या कार्रवाई हुई ? क्या ऐसी मूर्खतापूर्ण निर्णय लेने वाले अधिकारियों को ऐसे ही बख्शते रहना चाहिए ?
2. छोटे से छोटे चौकी थाने के बोर्ड पर लिखा होता है ‘सावधानी हटी दुर्घटना घटी” हमारी असावधानी का फायदा बार बार उठाया है दुश्मनों ने। घर के अंदर नक्सली का निशाना बनाते हैं CRPF कश्मीर के उपद्रवग्रस्त इलाकों में निशाना बनते है CRPF- मगर उनके जवानों को अर्धसैनिक बल कहा जाता है ! मुझे बताया गया, रक्षा करने वाले इन जवानों को पेंशन की सुविधा नहीं है ! क्या ये सच है ?
3. इनकी शिकायत सिस्टम से है कि इनकी शहादत को “शहीद” का दर्जा नहीं दिया जाता ? क्या ये वाजिब है ?
4. इनके शहीद होने पर सेना के रिटायर्ड अधिकारी मीडिया में देश के मूड के साथ तो गुस्से में फड़कते दीखते हैं मगर इनके वाजिब हक़ पे कुछ नहीं कहते, क्यों साहब ? क्या CRPF कैंटीन में जीएसटी थोपने से बढ़ी हुई कीमत से जवान परेशान हैं इसका भान आपको नहीं ? क्या सेना कैंटीन के जैसे सुविधा CRPF कैंटीन पे नहीं लागू होनी चाहिए ?
5. ख़ुफ़िया तंत्र की इतनी बड़ी विफलता की जिम्मेदारी किसकी है ? अभी तो राज्य सीधे केंद्र चला रहा है तो घटना की जिम्मेदारी आतंरिक सुरक्षा में लगी एजेंसी और लकदक सहूलियत प्राप्त उनके सूरमाओं की नहीं ? है तो क्या कार्रवाई की गयी ?
6. पाकिस्तान से निपटना तो फिर भी आसान है लेकिन देश के अंदर छिपे उन आस्तीन के साँपों क्या जिनकी सरपरस्ती और शह के बिना ऐसी घटनाएं हो ही नहीं सकतीं ?
देश में बहस अब इन मुद्दों पर भी होनी चाहिए ।