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आर्मी चीफ विपिन रावत ने गंगोत्री दर्शन यादगार बनादियाया

Pahado Ki Goonj

जनरल विपिन रावत   छोटी बग्वाल में अपने

मामकोट उदालका गांव ,धनारी पट्टी नहीं जा पाये। सौंज गांव पौड़ी गढ़वाल के हैं आर्मी चीफ
दुनिया की तीसरी नंबर की  फ़ौज के आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत 6 तारीख को हर्षिल में रुके थे। 7 तारीख को प्रधानमंत्री के केदारनाथ से लौटने के बाद वे नई दिल्ली लौटे। 6 तारीख को उन्होंने हर्षिल से गंगोत्री मंदिर तक सड़क मार्ग से यात्रा की। मंदिर में दर्शन के दौरान उन्होंने पंडो के बही खाता में अपना, पत्नी , दो बेटियों का नाम दर्ज किया। और गांव का नाम लिखा उदालका गांव , उत्तरकाशी। पंडे चौक गये।  उन्होंने सोचा जनरल रावत उदालका गांव के हैं। एक प्रमुख अखबार ने उन्हें 7 तारीख के गढ़वाल एडिशन में उदालका गांव का दिखाया है।अखबार कहता है कि, वे चार पांच पीढ़ी पहले पौड़ी बस गये थे।

मेरी( डॉ बर्थवाल की)जब गंगोत्री यात्रा आज से पांच माह पहले एक पुस्तक के सिलसिले में हुई थीं, तब मैंने डुंडा शहर के सामने उदालका गांव ठाकुर किशन सिंह का दिखाया था। शुरुआत वहीं से हुई थीं।
ऐतिहासिक दस्तावेज का तीसरा विमोचन उत्तर काशी में होना है तो फिर बताना चाहते हैं कि इतिहास न्याय करेगा और करना भी चाहिए। गलत इतिहास परोसना बड़ी भारी चूक होती है।

ठा किशन सिंह परमार, का गांव रिकार्ड में उदालका में है। जिसकी पुष्टि गांव की प्रधान श्रीमती प्यूमा देवी करती है।धनारी पट्टी में 200 साल पहले 45 गांव परमार थे। जो अब सिमट कर तीन चार गांव में हो गए हैं। जिनमें थाती गांव फेमस है। किशन सिंह जी जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी के खास आदमी में थे।
जवाहरलाल इसलिए कह रहा हूँ किशन सिंह जी को उन्होंने संसद सदस्य नॉमिनेट किया था। फिर पहला टिकट 1952 में टिहरी गढ़वाल से कांग्रेस का ठाकुर किशन सिंह जी को मिला था। उन्हें राजमाता कमलेंदु मति ने हराया था। उससे पहले वे अलग टिहरी राज्य में शिक्षा मंत्री थे। 1962 , 1967, 1969 में वे उत्तरकाशी से
विधायक रहे। तब जौनपुर ब्लॉक टिहरी का उत्तरकाशी विधानसभा का हिस्सा थीं। 1974 में उत्तर काशी रिजर्व हो गई। श्रीबलदेव सिंह आर्य का आगमन हुआ।

किशन सिंह जी के सगे भाई थे  सूरत सिंह परमार। वे धनारी के किंग जैसे थे। उन्होंने राजा को टिहरी अन्न भी भिजवाया था। सूरत सिंह की बेटी हुई सुशीला देवी, सुशीला देवी को किशन सिंह ने  सेंट स्टीफन कॉलेज में पढ़ाया। किशन सिंह जी ने सुशीला देवी का विवाह पौड़ी गढ़वाल स्थित सौंज गांव के लेफ्टिनेंट  लक्ष्मण सिंह रावत से कर दिया। सुशीला देवी, लक्ष्मण सिंह रावत के बेटे हैं जनरल विपिन रावत। अब यदि उदालका गांव, उन्होंने लिख दिया, तो उनका मामकोट माना जाना चाहिए। , उन्होंने काफी लोगों से बात की तो मालूम चला वहाँ 150 साल से रावत लोग रहते नहीं हैं। ठाकुर किशन सिंह के साथ 30 साल तक संपर्क में रहे, जानकर, व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ योगम्बर सिंह बर्थवाल ने स्पस्ट रुप से बताया कि,जनरल साहब का मामकोट उदालका गांव, धनारी पट्टी है। जबकि गांव सौंज गांव पौड़ी गढ़वाल है। बर्थवाल जी की ठाकुर किशन सिंह जी पर किताब आ ने वाली है। उन्होंने कई बार धनारी पट्टी का दौरा  भी किया।

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