मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से गुरुवार को सचिवालय में विधायक उमेश शर्मा काऊ, मेयर देहरादून
सौरभ थपलियाल और पार्षदगणों ने भेंट कर मियांवाला का नाम जनभावनाओं के अनुरूप रामजीवाला किए जाने पर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।
आगे पढ़ें
मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने विभिन्न विषयों पर शहरी विकास एवं सिंचाई विभाग के साथ बैठक की
मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने शहरी विकास विभाग को राज्यभर में मलिन बस्तियों में निवासरत जरूरतमंदों के पुर्नवास हेतु चरणबद्ध कार्ययोजना पर प्रभावी पहल के निर्देश दिए हैं।
सीएस ने पहले चरण में शहरी विकास विभाग एवं नगर निगम को देहरादून की मलिन बस्तियों के पुर्नवास के ठोस एवं प्रभावी वर्किंग प्लान पर तत्काल कार्य करने की हिदायत दी है। इसके साथ ही मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने सिंचाई विभाग को रिस्पना एवं बिन्दाल नदियों के पुनर्जीवीकरण की स्थिति पर अपडेट देने के साथ वर्किंग प्लान पर तत्परता से कार्य करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन आज सचिवालय में शहरी विकास एवं सिंचाई विभाग सहित विभिन्न विभागों के साथ मलिन बस्तियों की स्थिति एवं रिस्पना व बिन्दाल के पुनर्जीवीकरण पर समीक्षा कर रहे थे।
मुख्य सचिव ने शहरी विकास विभाग को मलिन बस्तियों की सूचना, चिन्हीकरण की अद्यतन स्थिति, निवासरत लोगों की सूची पर अपडेट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने वांछित सूचना प्राप्ति के बाद मलिन बस्तियों के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन की प्रभावी कार्ययोजना पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं। सीएस ने अधिकारियों को स्लम फ्री उत्तराखण्ड के विजन के साथ कार्य करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं कि मलिन बस्तियों में रहने वाले परिवारों के जीवन स्तर में सुधार, पुनर्वास एवं पुनरूद्धार पर शीर्ष प्राथमिकता पर कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मलिन बस्तियों के विषय को सामाजिक समस्या की तरह देखा जाना चाहिए तथा इस पर पूर्ण संवेदनशीलता एवं मानवीयता से कार्य किया जाना चाहिए।
बैठक में प्रमुख सचिव वन, सचिव शहरी विकास, सिंचाई, स्वास्थ्य, सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
आगेपढ़ें
30 सालों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति की कार्य योजना बनाई जाए – मुख्यमंत्री
*वर्षा जल संरक्षण और भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।
पेयजल के गुणवत्ता की समय – समय पर टेस्टिंग की जाए।
आगामी 30 साल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य में जलापूर्ति के लिए कार्ययोजना बनाई जाए। वर्षा जल संरक्षण और भू जल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाएं। जल स्रोतों, नदियों और जल धाराओं के पुनर्जीवीकरण के लिए जन सहयोग लिया जाए और इस क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के सुझाव लेकर उनको आगे की कार्ययोजनाओं में शामिल किया जाए। पेयजल, जल संचय और जल संरक्षण के लिए आगामी 10 सालों और आगामी 30 सालों की आवश्यकताओं के हिसाब से अलग-अलग ठोस प्लान बनाया जाए। राज्य की अंतिम सीमा तक गंगा का जल पूर्ण रूप से पीने लायक हो इस दिशा में कार्य किये जाएं। गंगा की सहायक नदियों पर एसटीपी के कार्य किये जाएं। गंगा की स्वच्छता के लिए जनसहयोग और सुझाव लिये जाएं। ये निर्देश मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को सचिवालय में पेयजल और जलागम की बैठक के दौरान दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत लगे कनेक्शनों से लोगों को नियमित जलापूर्ति हो, इसके लिए पुराने जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के साथ ही नये जल स्रोत भी चिन्हित किये जाएं, जिससे गर्मियों में पेयजल की समस्या न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के स्टोरेज टैंक और पेयजल टेंकर की नियमित सफाई की जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में पेयजल की गुणवत्ता की समय-समय पर टेस्टिंग की जाए। गुणवत्ता के सभी मानक सही पाये जाने पर प्राकृतिक जल स्रोतों से निकलने वाले पानी के अधिक उपयोग के लिए लोगों को जागरूक किया जाए। लोगों को पेयजल की परेशानी न हो, इसके लिए टोल फ्री नम्बर के साथ ही जनपद स्तर पर कंट्रोल रूम भी बनाये जाएं। जन शिकायतों की विभाग स्तर पर नियमित मॉनिटरिंग भी की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 05 साल से एक ही स्थान पर तैनात कार्मिकों की सूची उपलब्ध कराई जाए। नई पेयजल लाइन बिछने पर सड़क की खुदाई की शिकायतों के समाधान के लिए संबंधित विभागों द्वारा समन्वय बनाकर कार्य किये जाएं। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि कि विभिन्न विभागों की जिन परिसंपत्तियों का उपयोग नहीं हो रहा है, उनकी समीक्षा कर सही उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड रजतोत्सव वर्ष में प्रवेश कर गया है। इस युवा प्रदेश मे कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं। हमें नवाचारों और बैस्ट प्रैक्टिस पर विशेष ध्यान देना है, हमारा प्रयास होना चाहिए कि राज्य में कुछ ऐसी योजनाएं बने, जो अन्य राज्यों के लिए भी मॉडल बने। उत्तराखण्ड में सारा के तहत हो रहे कार्यों की भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय ने भी सराहना की है।
बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में जल सखी, जल पुनरुपयोग और पेयजल प्रबंधन पर विशेष फोकस किया जा रहा है। जल सखी में स्वयं सहायता समूह को जोड़ते हुए लोकल स्तर पर ही बिलिंग, बिल सुधार और योजनाओं के रखरखाव की योजना प्रस्तावित है। इसके साथ ही जल के बेहतर प्रबंधन के लिए एसटीपी से उपचारित जल को बागवानी, सिंचाई, औद्योगिक क्षेत्र, नर्सरी, कार धुलाई, कृषि आदि में उपयोग में लाया जाएगा। गंगा तथा उसकी सहायक नदियों का जल राज्य की अन्तिम सीमा तक ए श्रेणी में ही आगे प्रवाहित हो, इस दिशा मे कार्य किये जा रहे हैं।
सारा के अंतर्गत विभागों द्वारा मिलकर क्रिटिकल जल स्त्रोतों कों पुनर्जीवित करने का कार्य किया जा रहा है। वर्षा आधारित नदियों के फ्लो और डिस्चार्ज के मापन की भी योजना है। जिसमें आई आर आई रुड़की और राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजिक संस्थान नदियों में किए जाने वाले कार्यों को चिन्हित करेगा। उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना के अंतर्गत पर्वतीय कृषि को लाभदायक और ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव को कम करना है। इसके लिए कृषकों की बंजर भूमि में पौधारोपण किया जाएगा। साथ ही काश्तकारों को कार्बन क्रेडिट से फायदा देने की भी योजना है।
बैठक में उत्तराखण्ड अवस्थापना अनुश्रवण परिषद् के उपाध्यक्ष श्री विश्वास डाबर, मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर.के सुधांशु, श्री आर.मीनाक्षी सुदंरम, सचिव श्री शैलेश बगोली, श्री रणवीर सिंह चौहान, विशेष सचिव श्री पराग मधुकर धकाते, परियोजना निदेशक जलागम नीना ग्रेवाल, अपर सचिव श्री हिमांशु खुराना एवं सबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
आगेपढ़ें
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास में यंग उत्तराखंड के सदस्यों ने भेंट की।मुख्यमंत्री ने “गुलाबी शरारा” गीत की सफलता पर पूरी टीम को बधाई दी और उन्हें प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कलाकारों ने प्रतिभा और कड़ी मेहनत से हमारी लोक संस्कृति को बढ़ाने का कार्य किया है। “गुलाबी शरारा” गीत के 300 मिलियन से अधिक व्यूज ने यह सिद्ध कर दिया है कि राज्य के युवा प्रतिभा सम्पन्न है। अपने गीत और संगीत के माध्यम से उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इस अवसर पर यंग उत्तराखंड से श्री जितेन्द्र सिंह रावत, गिरीश सिंह जीना, वरुण रावत, राकेश जोशी, नीरू बोरा, अंकित कुमार, अशीम मंगोली, रणजीत सिंह भंडारी और सौरभ सेमवाल मौजूद थे।
आगेपढ़ें
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने राज्य में रेल सुविधाओं के विकास के सम्बन्ध में बैठक ली
मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने परिवहन विभाग को राज्य में प्रस्तावित सभी रेल परियोजनाओं की स्थिति पर अपडेट देने एवं वर्तमान में संचालित रेल परियोजनाओं में आ रही बाधाओं व समस्याओं पर बिन्दुवार रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने देहरादून सहित सभी रेलवे स्टेशनों के अपग्रेडेशन की स्थिति भी स्पष्ट करने को कहा है। इसके साथ ही सीएस ने राज्य में प्रस्तावित एवं संचालित रेल प्रोजेक्ट्स से सम्बन्धित मुद्दों पर रेल मंत्रालय, आरवीएनएल सहित सम्बन्धित संस्थाओं से प्रभावी समन्वय के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों का रेल नेटवर्क से संयोजन, राज्य के औद्योगिक आर्थिक एवं सामाजिक विकास, विश्व प्रसिद्ध धामों, तीर्थ में वर्ष भर श्रद्धालुओं के सुगम आवागमन तथा सामरिक महत्व के दृष्टिगत रेलवे का अवसंरचना का राज्य हेतु अत्यंत महत्व है |
परिवहन विभाग द्वारा जानकारी दी गई कि राज्य में कुल पांच रेल परियोजनाएं हैं जिनमें तीन प्रस्तावित एवं ऋषिकेश-कर्णप्रयाग सहित दो परियोजनाएं वर्तमान में संचालित की जा रही है। गंगोत्री यमुनोत्री रेल परियोजना जिसकी कुल दूरी 121.76 किमी है तथा 10 स्टेशन हैं। इसका सर्वेक्षण कार्य पूरा हो चुका है तथा डीपीआर रेलवे बोर्ड को उपलब्ध करा दी गई है। इस पर अनुमोदन प्रतीक्षित है। टनकपुर बागेश्वर रेल परियोजना जिसकी कुल दूरी 170.70 किमी है तथा 12 स्टेशन हैं। इसका सर्वेक्षण कार्य पूरा हो चुका है तथा डीपीआर रेलवे बोर्ड को उपलब्ध करा दी गई है। इस पर अनुमोदन प्रतीक्षित है। देहरादून -सहारनपुर रेल परियोजना जिसकी कुल दूरी 92.60 किमी0 है तथा इसमें 8 स्टेशन है। इसका सर्वेक्षण कार्य गतिमान है।
बैठक में सचिव परिवहन, अपर सचिव परिवहन, सचिव एमडीडीए सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।