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मुख्यमंत्री , टपकेश्वर महादेव मंदिर के महंत  कृष्णा गिरी एवं महंत दिगम्बर भरत गिरी ने पूजा-अर्चना के साथ शोभायात्रा का शुभारंभ किया

Pahado Ki Goonj

शासकीय आवास पर देवभूमि के प्रसिद्ध लोकगायक, पद्मश्री से अलंकृत, जागर सम्राट  प्रीतम भरतवाण जी ने भेंट की।*

*इस अवसर पर उनसे उत्तराखण्ड की संस्कृति, लोककला के साथ ही कलाकारों को प्रोत्साहित करने से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई।आगे देखें 

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LIVE: श्री टपकेश्वर महादेव सेवा दल, देहरादून द्वारा आयोजित भव्य शोभा यात्रा-2024 में प्रतिभाग*

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मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सहारनपुर चौक, देहरादून में टपकेश्वर महादेव की भव्य शोभायात्रा में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी, टपकेश्वर महादेव मंदिर के महंत  कृष्णा गिरी महाराज एवं महंत दिगम्बर भरत गिरी महाराज ने पूजा-अर्चना के साथ शोभायात्रा का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर विधायक  खजान दास, टपकेश्वर सेवा दल के अध्यक्ष  गोपाल कुमार गुप्ता, महासचिव  महेश खंडेलवाल,  अनुज गुप्ता एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
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*एसडीआरएफ की मदों में रिकवरी एवं पुनर्निर्माण के पुनर्निधारण से लाभान्वित होगा उत्तराखंड*

*सीएम धामी द्वारा केंद्र में की गई प्रभावी पैरवी के सकारात्मक परिणाम आए सामने*

*आपदा से क्षतिग्रस्त परिसम्पत्तियों की मरम्मत में सुविधा के साथ ही जनसामान्य की परेशानियो को किया जा सकेगा दूर*

*राज्य कैबिनेट ने प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री का प्रकट किया आभार*

 

गृह मंत्रालय भारत सरकार, आपदा प्रबंधन प्रभाग द्वारा एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की दरों का पुनर्निर्धारण किए जाने पर राज्य कैबिनेट ने प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री का धन्यवाद एवं आभार प्रकट किया है। इस मामले में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के स्तर से प्रभावी पैरवी की गई जिसके फलस्वरूप सकारात्मक परिणाम सामने हैं।
दरअसल, पूर्व में एसडीआरएफ की मदों में रिकवरी एवं पुनर्निर्माण के लिए मानक तय नहीं थे और दरें भी काफी कम थी। इसके चलते आपदा से क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों की मरम्मत में व्यावहारिक परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
इन व्यवहारिक कठिनाईयों को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा कई बार गृह मंत्रालय, भारत सरकार को पत्र प्रेषित करते हुए अनुरोध किया गया था। मुख्यमंत्री द्वारा व्यक्तिगत रूप से भी प्रधानमंत्री व गृह मंत्री से मिलकर एस०डी०आर०एफ० के मानक की धनराशि बढ़ाये जाने के लिए कई बार अनुरोध किया गया। उनके द्वारा इस बारे में उत्तराखण्ड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों का हवाला देते हुए धनराशि बढ़ाये जाने के लिए प्रभावी पैरवी की गयी, जिसके फलस्वरूप भारत सरकार, गृह मंत्रालय द्वारा अब रिकवरी और पुनर्निर्माण के सम्बन्ध में 14.08.2024 को विस्तृत नवीन दिशा-निर्देश निर्गत कर दिये गये हैं और विभिन्न कार्यों के लिए लागू मानकों में वृद्धि कर दी गयी है। ऐसा करने से उत्तराखण्ड जैसे आपदा से प्रभावित राज्य को अत्यधिक लाभ होगा तथा आपदा से क्षतिग्रस्त परिसम्पत्तियों की मरम्मत में सुविधा होगी और जन सामान्य की परेशानियो को दूर किया जाना सभव हो सकेगा।

*मुख्य संशोधन*

*पूर्व में मैदानी इलाकों में पक्के घरों के लिये निर्धारित मानक रू0 1.20 लाख प्रति घर के स्थान पर अब 30 से 70 प्रतिशत क्षति होने की दशा में रू० 90 हजार प्रति घर तथा 70 प्रतिशत से अधिक क्षति होने पर रू0 1.80 लाख कर दिया गया है तथा पहाडी क्षेत्रों पूर्व निर्धारित मानक 1.30 लाख प्रति घर के स्थान पर अब 30 से 70 प्रतिशत क्षति होने की दशा में रु० 1.00 लाख प्रति घर तथा 70 प्रतिशत से अधिक क्षति होने पर रू0 2.00 लाख प्रति घर कर दिया गया है।

प्राथमिक स्कूलों के लिए पूर्व में निर्धारित मानक प्रति विद्यालय रुपये 2 लाख की सीमा के अध्यधीन रहते हुए वास्तविक व्यय के अनुसार परिवर्तित करते हुए प्राथमिक स्कूलों के लिये 30 से 70 प्रशित की क्षति होने पर रु0 7.50 लाख तथा 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर रु० 15.00 लाख अनुमन्य किया गया है।

-माध्यमिक / वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के नाम से पूर्व में मानक निर्धारित नहीं थे, किन्तु अब माध्यमिक / वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के 30 से 70 प्रतिशत क्षति होने की दशा में रू0 12.50 लाख तथा 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर रू0 25.00 लाख अनुमन्य किया गया है।

*प्राथमिक/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिये पूर्व में रू0 2.50 लाख प्रति यूनिट की अधिकतम सीमा के अध्यधीन वास्तविक व्यय के अनुसार अनुमन्य था, जिसको अब वृद्धि कर उपकेन्द्र मैदानी क्षेत्र के लिये 30 से 70 प्रतिशत की क्षति तक रू0 9.20 लाख तथा 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर रू0 18.40 लाख अनुमन्य किया गया है। पर्वतीय क्षेत्र के लिये यह राशि क्रमशः रू0 7.91 लाख तथा रू0 15.81 लाख अनुमन्य किया गया है।

*प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिये मैदानी क्षेत्रों में 70 प्रतिशत की क्षति तक रू० 20.99 लाख तथा 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर 41.97 लाख अनुमन्य है।

*प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर्वतीय क्षेत्रों के लिये 70 प्रतिशत की क्षति तक रू0 24.72 लाख तथा 70 प्रतिशत से अधिक रू0 49.45 लाख अनुमन्य है।

*सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मैदानी क्षेत्र के लिये 70 प्रतिशत की क्षति तक रू०79.06 लाख तथा 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर रू0 158.12 लाख अनुमन्य किया गया है।

*सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर्वतीय क्षेत्र के लिये 70 प्रतिशत की क्षति तक रू० 92.86 लाख तथा 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर रू0 185.72 लाख
अनुमन्य किया गया है।

*पुल प्रति संख्या में 70 प्रतिशत की क्षति तक रू0 1750.00 लाख तथा 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर रू0 3500.00 लाख अनुमन्य किया गया है।

*तटबन्ध प्रति कि०मी० के लिये 70 प्रतिशत की क्षति तक रू0 50.00 लाख तथा 70 प्रतिशत से अधिक की क्षति पर रू0 100.00 लाख अनुमन्य किया गया है।

*सामुदायिक भवन के लिये निर्धारित मानकों में भी वृद्धि की गयी है।

*सड़क एवं परिवहन खण्ड में ईकाई प्रति कि०मी० के लिये प्रमुख जिला सड़के के लिये मैदानी क्षेत्र में 70 प्रतिशत की सीमा तक रू0 32.00 लाख तथा 70 प्रतिशत से अधिक होने पर रू0 64.00 अनुमन्य किया गया है। इसी प्रकार पहाड़ी क्षेत्रों में 70 प्रतिशत की सीमा तक रू0 93.75 लाख तथा 70 प्रतिशत से अधिक होने पर रू0 187.75 लाख अनुमन्य है।

*अन्य जिला सड़कों के लिये भी मैदानी क्षेत्रों में 70 प्रतिशत की सीमा तक रू० 26.75 लाख तथा 70 प्रतिशत से अधिक होने पर रू0 54.50 लाख अनुमन्य किया गया है। इसी प्रकार पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 70 प्रतिशत की सीमा तक 80 लाख तथा पहाड़ी सड़कों के लिए 159.88 लाख अनुमन्य किया गया है LIVE:

देहरादून में ‘संकल्प’-चयनित प्रतिभागी अभिनन्दन सम्मान समारोह कार्यक्रम-2024 में प्रतिभाग*

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मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सचिवालय में चारधामों से आये तीर्थ पुराहितों, पदाधिकारियों, होटल एसोसिएशन, टूर ऑपरेटर, ट्रांसपोर्टस और व्यापार मण्डल के साथ बैठक की। इस अवसर पर चारधाम यात्रा के सकुशल संचालन, श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित और सुगम यात्रा और स्थानीय लोगों की आजीविका के सबंधित विषयों पर चर्चा हुई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए उत्तराखण्ड आते हैं। इस यात्रा का सकुशल संचालन हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। जिस तेजी से श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है, सरकार द्वारा इसको ध्यान में रखते हुए अवस्थापना सुविधाओं में विकास के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। चारधाम यात्रा से जुड़े हितधारकों ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री से यात्रा के सफल संचालन और अन्य पहलुओं के दृष्टिगत विभिन्न मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह से कपाट बन्द होने तक चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाईन की व्यवस्था पूर्व की भांति चलती रहेगी एवं जो तीर्थ यात्री उत्तराखण्ड में चारों धामों के दर्शन के लिए ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन नहीं करा पायेंगे, उन्हें मौके पर ही रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था उपलब्ध करायी जायेगी। इसमें किसी भी प्रकार की संख्या की बाध्यता नहीं रहेगी। इसके लिए ऑफलाईन स्पॉट रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की जायेगी। यह व्यवस्था हरिद्वार, ऋषिकेश एवं इसके अतिरिक्त गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ एवं बदरीनाथ के मुख्य पड़ावों पर भी की जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान बैरिकेडिंग एवं चैकिंग की व्यवस्था की समीक्षा कर उसे न्यूनतम किया जायेगा एवं यात्रा को सुगम और सुचारू बनाने के लिए इसका सरलीकरण किया जायेगा। अन्य प्रदेशों से आने वाले प्राइवेट वाहनों पर ग्रीन कार्ड / ट्रिप कार्ड की अनिवार्यता की मांग पर उन्होंने परिवहन विभाग को इसका समाधान करने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगली चारधाम यात्रा के लिए तैयारी वर्तमान चारधाम यात्रा के समाप्त होते ही तत्काल प्रारम्भ कर दी जायेगी। सभी जनपदों के यात्रा से सम्बन्धित जिला अधिकारी अपने-अपने स्तर पर सभी स्टेक होल्डर्स के साथ बैठक एवं परामर्श करेंगे। इसके बाद उच्च स्तर पर परामर्श करने के उपरान्त अगली चारधाम यात्रा की तैयारियों के लिए रणनीति पूर्व में ही तैयार कर ली जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यमुनोत्री धाम में मास्टर प्लान के अन्तर्गत खरसाली से रोपवे के कार्य में तेजी लायी जायेगी। पालीगाढ़ से जानकीचट्टी तक चारधाम यात्रा मार्ग पर सड़कों के चौड़ीकरण के लिए मॉनीटरिंग कमेटी से क्लीयरेंस हो गयी है एवं शीघ्र ही इसका कार्य भी संपन्न किया जायेगा। वर्तमान में गंगोत्री एवं यमुनोत्री के लिए बन रहे मास्टर प्लान के कार्यों में तेजी लाई जायेगी। उन्होंने कहा कि मदुरई से चलने वाली कार्तिकेय एक्सप्रेस की तर्ज पर गंगोत्री, यमुनोत्री, हनौल में महासू देवता का एक सर्किट बनाते हुए गंगा-यमुना एक्सप्रेस के नाम से एक स्पेशल ट्रेन संचालित की जायेगी। यमुनोत्री में जल्द हेली सेवा के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित यात्रा प्राधिकरण में चारधाम यात्रा के सुगम संचालन के लिए जो भी निर्णय लिये जायेंगे, वे सभी स्टेक होल्डर्स से व्यापक विचार-विमर्श एवं आम सहमति के आधार पर ही लिये जायेंगे।

इस अवसर पर चाराधाम यात्रा से जुडे़ विभिन्न स्टेक होल्डर्स ने अपने सुझाव दिये। चारधाम यात्रा से जुड़े सभी हितधारकों ने इस बैठक के लिए मुख्यमंत्री का अभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्य स्थापना के बाद पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने चारधाम से जुड़े विभिन्न विषयों पर इतने विस्तार से उनके साथ बैठक की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी सुझावों पर विचार कर यात्रा का सकुशल संचालन किया जायेगा । उन्होंने गढ़वाल कमिश्नर को निर्देश दिये कि 15 दिन अन्तराल में चारधाम यात्रा से जुड़े पदाधिकारियों के साथ बैठक की जाए।

पर्यटन मंत्री  सतपाल महाराज ने कहा कि चारधाम यात्रा के सकुशल संचालन के लिए जो भी सुझाव प्राप्त हुए उन्हें ध्यान में रखते हुए कार्य किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि यात्रा के सफल संचालन के लिए सरकार को जितने अधिक फीडबैक मिलेंगे, व्यवस्थाओं में उतना अधिक सुधार होगा।

वन मंत्री  सुबोध उनियाल ने कहा कि सुव्यवस्थित चारधाम यात्रा के लिए सबको एकजुट होकर कार्य करना है। चारधाम यात्रा जिस तेजी से बढ़ रही है, भविष्य के लिए यात्रा को और सुगम बनाने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार दीर्घकालिक योजना के साथ कार्य कर रही है।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिविल सेवा के लिए चयनित युवा अधिकारियों का आह्वान किया है कि इस सेवा से उनके जीवन की नई यात्रा शुरू हो रही है। पूरे समाज की भावना उनसे जुड़ी है। राष्ट्रवाद की विचार धारा को आगे बढ़ाने तथा प्रशासन तंत्र की मजबूती का उनका उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने दायित्वों के माध्यम से समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन लाना तथा उन्हें बेहतर भविष्य देना युवा अधिकारियों की जिम्मेदारी है।

शनिवार को आईआरडीटी सभागार सर्वे चौक में मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने संकल्प फाउण्डेशन के सहयोग से 2024 की सिविल सेवा में चयनित प्रतिभागियों के अभिनन्दन समारोह में सिविल व वन सेवा के चयनित 22 प्रतिभागियों एवं उनके अभिभावकों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नये भारत के निर्माण की शुरूआत हो चुकी है। नया भारत कैसा होगा हमारे संस्थान व नीतियां क्या होगी इसमें उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहने वाली है। देश के अमृतकाल को अमृत्व देने का कार्य भी युवा अधिकारियों के माध्यम से होना है। 21वीं सदी के नए प्रशासनिक सेवक बनकर व्यवस्था में बदलाव लाकर विकसित भारत बनाने में वे प्रमुख सारथी बनेंगे।

मुख्यमंत्री ने युवा अधिकारियों से अच्छे प्रशासनिक अधिकारी बनकर देश की संस्कृति के सच्चे संरक्षक बनने की भी अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि अपने दायित्वों का ईमानदारी तथा सत्यनिष्ठा के साथ निर्वहन करने में उनके अच्छे कार्यों की पहचान बनेगी तथा जीवन में सफलता की राह प्रशस्त होगी। उन्होंने युवा अधिकारियों का आह्वान किया कि सिविल सेवा के साथ आपने देश सेवा का संकल्प लिया है। युवा अधिकारियों के निर्णय समाज के सभी वर्गों के लिए लाभकारी हो इसके लिए कार्य संस्कृति में बदलाव लाने तथा मिशन कर्मयोगी बनकर 10 से 05 तक कार्य करने वाले कार्य संस्कृति में बदलाव लाने के प्रयास उन्हें करने होंगे। इस महान देश की सेवा का आपको अवसर मिला है। देश के समक्ष आने वाली चुनौतियों का सामना करने में सहयोगी बनकर देश की आत्मा को भी सशक्त बनाने में युवा अधिकारियों को योगदान देना हेगा।

मुख्यमंत्री ने संकल्प परिवार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संकल्प में जुड़कर इस बार 686 युवा सिविल सेवा में चयनित हुए है। यह संकल्प के उत्कृष्ट मार्गदर्शन का प्रतिफल हैं।

पूर्व मुख्य सचिव  शत्रुघ्न सिंह ने सिविल सेवा के भावी अधिकारियों को आगाह करते हुए कहा कि वे किसी भी गलत फहमी का शिकार न हो। उन्होंने कौटिल्य के अर्थशास्त्र, वैज्ञानिक आइंस्टीन तथा साहित्यकार  लाल शुक्ल के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि सिविल सर्विस धन अर्जित करने का माध्यम नही है। उन्हें अपना बेहतर देने का प्रयास करना चाहिए तथा विभिन्न विषयों की पढ़ाई का फलक बढ़ाने के साथ अपने आस-पास के ज्ञान को ग्रहण करने पर भी ध्यान देने पर बल दिया।

संकल्प के न्यासी  संतोष पाठक ने कहा कि संकल्प संस्था कोई कोचिंग इंस्टीट्यूट नहीं है बल्कि बेहतर शिक्षा से वंचित क्षेत्र के लोगों की मदद करने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि संकल्प गुरूकुल के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं को सिविल सेवा की तैयारी में मदद की जा रही है। उन्होंने युवा अधिकारियो ंसे कहा कि समाज को आपसे बड़ी अपेक्षा रहती है। आपको अपने कार्य व्यवहार में उनकी अभिभाषा की पूर्ति करनी होगी।

इस अवसर पर चयनित सिविल सेवा के अधिकारी अंशुल भट्ट, रितिका, रोमी बिज्लवाण, संदीप सिंह ने भी अपने अनुभव साझा किए।

कार्यक्रम को आर.एस.एस. के उत्तराखण्ड प्रचारक डा शैलेन्द्र ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में इक्वफाई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राम किरन सिंह, कुलपति दून विश्वविद्यालय डॉ सुरेखा डंगवाल सहित बड़ी संख्या में शासन प्रशासन के अधिकारी एवं अन्य लोग उपस्थित थे।

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