साइंटिफिक-एनालिसिस ; डी. वाई. चन्द्रचूड़ “भारत के मुख्य न्यायाधीश” पद की गरिमा बना पायेंगे

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साइंटिफिक-एनालिसिस

डी. वाई. चन्द्रचूड़ “भारत के मुख्य न्यायाधीश” पद की गरिमा बना पायेंगे !

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हम बात कर रहे हैं श्री धनञ्जय यशवंत चन्द्रचूड़ जी की जो 9 नवम्बर 2022 से भारत के मुख्य न्यायाधीश पद पर नौकरी कर रहे हैं या पेशेवर रूप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं | भारतीय संविधान के अनुसार सिर्फ़ राष्ट्रपति की निजी जिन्दगी नहीं होती हैं इसलिए हम डी. वाई. चन्द्रचूड़ जी के व्यक्तिगत एवं निजी जीवन के पहलू से भारत के मुख्य न्यायाधीश के संवैधानिक पद की गरिमा बनाये रखने की बात कर रहे हैं | इनके पिता स्वर्गीय वाई. वी. चन्द्रचूड़ ने भी 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 के लम्बे समय अन्तराल तक मुख्य न्यायाधीश के संवैधानिक पद पर अपनी सेवाएं दी थी | इसके अलावा कई सारी निजी जीवन की बातें हर रोज मीडिया के अन्दर खबरों के रूप में चलाई जा रही हैं |

वर्तमान में दिल्ली के अन्दर यमुना नदी के अन्दर पानी की आवक बढने से दिल्ली में 45 साल के पिछले रिकार्ड को तोड़ते हुए बाढ़ आई हुई हैं | इसी के कारण यमुना का पानी जमीन पर भराव के साथ उच्चतम न्यायालय तक पहुंच गया | इसके लिए राष्ट्रीय पार्टी आम आदमी व उसके माध्यम से राज्यसभा के संवैधानिक पद पर अपनी सेवाएं दे रहे संजय सिंह ने भारत की वर्तमान सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी व उसके माध्यम से बनी केन्द्र सरकार और हरियाणा की सरकार पर सार्वजनिक रूप से जानबूझ हधनीकुंज बैराज से उत्तरप्रदेश व हरियाणा में पानी कम छोडते हुए दिल्ली की तरफ ज्यादा पानी छोड बाढ लाने का आरोप लगाया हैं | यदि यह सच हैं तो आजाद भारत के इतिहास में देश पर जैविक हथियार की तरह प्राकृतिक हथियार से हमला माना जायेगा | जिसने लाखों दिल्लीवासियों की जिन्दगी तबाह व तहस-नहस कर दी |

इस हमले में दो राष्ट्रीय राजनैतिक दलों पर आरोप हैं क्योंकि दिल्ली के उपराज्यपाल ने अपने ही सरकार के आधीन मुख्यमंत्री पर 2 साल तक फ्लड कन्ट्रोल कमेटी की मीटिंग न करने का आरोप लगा अपने ही प्रशासनिक कन्ट्रोल न कर पाने की नाकामी को जगजाहिर किया हैं | इसलिए केन्द्र व राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर कुछ नहीं करेगी | वोट बैंक के चक्कर में राजनैतिक पार्टीया और इनके नेता सुप्रिम कोर्ट नहीं जायेंगे | दिल्ली की आम जनता पहले अपनी बिखरी जिन्दगी व पानी में तैर रहे बर्तनों व डुबती ग्रहस्थी को सम्भालें या उच्चतम न्यायालय में वकीलों के मेहनतानें का इंतजाम कर न्याय की गुहार लगाये | भारतीय मीडीया का संवैधानिक चेहरा नहीं हैं इसलिए अखबारों, न्यूज़ चैनलों, आनलाईन न्यूज़ पोर्टलों की खबरें रद्दी व मनोरंजन के अतिरिक्त कुछ भी नहीं, संसद यानि विधायिका स्थगित चल रही हैं व उसका काम तो कानून बनाना है | राष्ट्रपति को बिना बताये पता नहीं चलेगा क्योंकि वो तो 400 कमरें वाले आलीशान महलनुमा भवन में रहती हैं | सेना अपने प्रमुख यानि राष्ट्रपति के आदेश बिना बैरकों से बाहर निकल जवाब नहीं देगी | हमला आन्तरिक रूप से हुआ हैं इसलिए बाॅर्डर पर तैनात सेवाएं आत्मरक्षा में भी कोई कदम नहीं उठायेगी वैसे भी इस हमले का जवाब तोफों, मिसाईलों व लड़ाकू विमानों से नहीं दिया जा सकता | उच्चतम न्यायालय बिना किसी के मुकदमा दर्ज कराये बिना सुनवाई नही करेगा |

अब देश व देशवासीयों की उम्मीद भारत के मुख्य न्यायाधीश पर आकर टिकती हैं कि वो इस प्राकृतिक हमले से राष्ट्र की रक्षा करेंगे व माकूल जवाब देंगे अन्यथा राज्यों के बिच कीतने जल विवाद चल रहे हैं वो आपको पता हैं ये सभी भेडचाल की तरह बे रोकटोक प्राकृतिक हथियारों का इस्तेमाल शुरु कर देंगे | यमुना के पानी में होकर सुप्रिम कोर्ट पहुंचने वाले डी. वाई. चन्द्रचूड़, बाढ़ के पानी से अदिलतों के दस्तावेज बर्बाद हो जाने से डरे-सहमें कर्मचारियों के प्रमुख, अदालत के अधिवक्ताओं को बाहर बैठने की जगह के विवाद में बार काउंसिल के चीफ को भी पद की ताकत से चुप करा देने वाले डी. वाई. चन्द्रचूड़ जी के ऊपर निर्भर करता हैं कि वो मुख्य न्यायाधीश पद की गरिमा बनाये रखते हुए कर्तव्यनिष्ठा, दायित्व, जवाबदेही से स्वत: संज्ञान लेते हुए बाढ के जलस्तर खत्म होने से पहले राष्ट्र और उसकी जनता को न्याय देने के साथ सच का पता लगा दोषियों को सजा देते हैं या नहीं | इसमें अपराधी जिस पर आरोप लगे वो हैं या जिसने आरोप लगा कर सनसनी फैलाई वो हैं | यदि सभी चुप रह गये तो चीन कभी से मौका पाने की इंतजार कर रहा हैं क्योंकि भारत की कई नदियों में पानी उसकी जमीन से होकर आता हैं | भविष्य में भारत किस मुंह से उसे दुनिया के सामने हमला साबित कर पायेगा |

भारत राष्ट्र सुप्रिम कोर्ट के सभागार में राष्ट्रीय संविधान दिवस बनाता हैं उसमें महामहिम राष्ट्रपति भी उपस्थिति दर्ज कराती हैं परन्तु संसद-भवन में राष्ट्रपति से शपथ लेकर संवैधानिक पद प्राप्त करने वाले व शपथ लिये से शपथ लेकर संवैधानिक पदों के सांसद अपना अलग ही संविधान दिवस बनाते हैं | इससे न्यायपालिका व भारत के मुख्य न्यायाधीश की गरिमा को तार-तार किया जाता हैं | डी. वाई. चन्द्रचूड़ जी इस गिरती गरीमा को रोक पायेंगे व प्रधानमंत्री समेत सभी लोगों को सुप्रिम कोर्ट के सभागार में राष्ट्रपति की उपस्थिति में खडा कर पायेंगे |

यदि उच्चतम न्यायालय का सभागार कई माननीय लोगों के एक साथ बैठने के लिए छोटा पडता हैं तो कार्यपालिका सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में सुप्रिम-कोर्ट को भी शामिल करके इसके भवन को बडा व काम करने वाले अधिवक्ताओं एवं कर्मचारियों को लोगों को जल्दी न्याय देने के लिए आधुनिक भौतिक सुख सुविधाएं देनी चाहिए आखिरकार यह सभी भी भारत-सरकार के अभिन्न अंग है | उच्चतम न्यायालय के नाम के निचे कोष्ठक में भारत-सरकार फालतू में ही थोडा लिख रखा हैं |

गणतंत्र दिवस की राष्ट्रीय सलामी में मुख्य न्यायाधीश से शपथ लेकर संवैधानिक पद प्राप्त करने वाले राष्ट्रपति और राष्ट्रपति से शपथ लेकर उपराष्ट्रपति, लोकसभा स्पीकर, प्रधानमंत्री सबसे ऊंचे सिहांसन पर बैठते हैं जबकि मुख्य न्यायाधीश को मंच के निचे बैठाते हैं | यह देश व दुनिया के सामने मुख्य न्यायाधीश के संवैधानिक पद की गरिमा को तार-तार कर देता हैं | डी. वाई. चन्द्रचूड़ जी आजादी के बाद से लोकतंत्र मे इस तिरस्कार और अपमान को रोककर भारत के मुख्य न्यायाधीश के संवैधानिक पद की गरिमा बना पायेंगे |

शैलेन्द्र कुमार बिराणी
युवा वैज्ञानिक

 

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