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राज्यपाल ने कैंची धाम में बाबा नीम करौली महाराज दर्शन किए और चितई गोलू मंदिर, जागेश्वर धाम तथा कसार देवी मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की

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*राजभवन नैनीताल ,

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       राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने शनिवार को कैंची धाम पहुंचकर बाबा नीम करौली महाराज के दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने प्रदेश की समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की। राज्यपाल ने कहा कि बाबा नीम करौली महाराज द्वारा स्थापित यह मंदिर आलौकिक शक्ति का केन्द्र है यहां देश एवं विदेश से अनेकों भक्त दर्शन करने आते हैं।

राज्यपाल ने कहा की कैंची धाम आकर एक अलग ही दिव्यता और आध्यात्मिक शांति की अनुभूति हुई। उन्होंने इस दौरान वहां पहुंचे श्रद्धालुओं से भी बातचीत की।

         इस अवसर पर राज्यपाल की धर्मपत्नी श्रीमती गुरमीत कौर, अपर जिलाधिकारी नैनीताल शिव चरण द्विवेदी, प्रदीप साह  आदि उपस्थित थे। 

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*राजभवन नैनीताल/अल्मोड़ा ,

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने सपरिवार अल्मोड़ा जनपद में चितई गोलू मंदिर, जागेश्वर धाम तथा कसार देवी मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की तथा देश एवं प्रदेश वासियों की सुख, समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की।

सर्वप्रथम राज्यपाल चितई गोलू मंदिर पहुंचे जहां जिलाधिकारी विनीत तोमर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रामचंद्र राजगुरु तथा अपर जिलाधिकारी सीएस मर्ताेलिया ने पुष्प-गुच्छ देकर उनका स्वागत किया। इसके पश्चात उन्होंने मंदिर में पहुंचकर पूजा अर्चना की।

इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि जब भी वे गोलज्यू के दरबार में आते है तो एक अलग ही अलौकिक आनन्द का एहसास होता है। उन्होंने कहा कि गोलज्यू महाराज का जो न्याय और प्यार है वह हमें यहां आकर महसूस होता है। उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा जो यहां आकर घंटी और अपनी मन्नतों और न्याय के लिए जो अर्जी लगायी जाती है वह अपने आप में एक अलौकिक आस्था है।

राज्यपाल ने कहा कि मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के जो अलौकिक आस्था के केंद्र है इन केंद्रों में देश व विदेश के पर्यटक अधिक से अधिक आयेंगे तथा इस क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन के रूप में अलग पहचान मिलेगी। उन्होंने कहा कि कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जनपद में भगवान की कृपा अलग ही है। उन्होंने कहा कि यहां के आम नागरिकों में अतिथि देवों भवः की जो भावना है वह अपने आप में अलग ही है।

राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में अलग-अलग तरह के पर्यटक जैसे आध्यात्मिक आस्था, प्राकृतिक एवं साहसिक पर्यटक जिस संख्या में आ रहे है उसे ध्यान में रखते हुए आधारभूत संरचाओं व सड़कों को आपस में जोड़ने के साथ ही आने वाले पर्यटकों की मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एक ऐसी तप भूमि है जहां कोई भी पर्यटक आकर अलग ही आस्था का अनुभव करता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन को ध्यान में रखते हुए सड़कों, टनलों व रोपवे का निर्माण किया जा रहा है।

इसके पश्चात उन्होंने सपरिवार जागेश्वर धाम में पूजा अर्चना की तथा देश एवं प्रदेश वासियों की सुख, समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें श्री जागेश्वर धाम आने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि यहां आकर एक अलग ही आध्यात्मिक अपार शक्ति का अहसास होता है। उन्होंने कहा कि मानसखण्ड मंदिर माला के तहत यहां पर पर्यटकों के लिए सुविधाओं के विकास से श्रद्धालुओं की संख्या में आने वाले समय में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि जागेश्वर धाम के मास्टर प्लान को बहुत सोच-विचार कर ही बनाया गया है। जिसके माध्यम से जागेश्वर धाम का विकास किया जाएगा तथा यह धाम आने वाले वर्षों में देश-विदेश में बहुत प्रसिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जा रहा है उससे आने वाले समय में यह आध्यात्मिक पर्यटन के रूप में अधिक विकसित होगा तथा यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आएंगे। इसके पश्चात उन्होंने कसार देवी मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की तथा ध्यान लगाया। साथ ही उन्होंने यहां आए श्रृद्धालुओं से वार्तालाप भी किया।

इसके पूर्व राज्यपाल ने आर्ताेला स्थित रिजॉर्ट में जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक समेत अन्य अधिकारियों के साथ जनपद के विकास एवं विभिन्न विकास कार्यों को लेकर बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

इस दौरान जिलाधिकारी विनीत तोमर ने उन्हें जनपद के बारे में विभिन्न जानकारियां दी। साथ ही जागेश्वर धाम के मास्टर प्लान के बारे में भी जानकारी दी। इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि जनपद में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लोगों को जोड़कर उनका विकास किए जाने की बहुत संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा की युवाओं में नशे की प्रवृत्ति को कम करने के लिए ठोस कदम उठाए जाए। उन्होंने कहा की पलायन की दृष्टि से अल्मोड़ा सबसे अधिक प्रभावित है रिवर्स पलायन हेतु भी विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा की प्रतिवर्ष जंगलों में लगने वाले आग से लाखों की वन संपदा को नुकसान होता है इससे बचाव हेतु विशेष प्रयास किए जाए।

 

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