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देहरादून जिलाधिकारी के निर्देश पर शहर के बाजार फुटपात पर अवैध अतिक्रमण पर बड़ी कार्रवाई

Pahado Ki Goonj

*मन शूद्र है अथवा ब्राह्मण?*

देह शूद्र है। मन वैश्य है। आत्मा क्षत्रिय है। परमात्मा ब्राह्मण। इसलिए ब्रह्म परमात्मा का नाम है। ब्रह्म से ही ब्राह्मण बना है।

देह शूद्र है। क्यों? क्योंकि देह में कुछ और है भी नहीं। देह की दौड़ कितनी है? खा लो, पी लो, भोग कर लो, सो जाओ। जीओ और मर जाओ। देह की दौड़ कितनी है! शूद्र की सीमा है यही। जो देह में जीता है, वह शूद्र है। शूद्र का अर्थ हुआ. देह के साथ तादात्म्य। मैं देह हूं! ऐसी भावदशा- शूद्र।

मन वैश्य है। मन खाने-पीने से ही राजी नहीं होता। कुछ और चाहिए। मन यानी ‘और’ चाहिए। शूद्र में एक तरह की सरलता होती है। देह में बड़ी सरलता है। देह कुछ ज्यादा मांगें नहीं करती। दो रोटी मिल जाएं। सोने के लिए छप्पर मिल जाए। बिस्तर मिल जाए। जल मिल जाए। कोई प्रेम करने को मिल जाए। प्रेम देने-लेने को मिल जाए। बस, शरीर की मांगें सीधी साफ हैं, थोड़ी हैं, सीमित हैं। देह की मांगें सीमित हैं। देह कुछ ऐसी बातें नहीं मांगती, जो असंभव है। देह को असंभव में कुछ रस नहीं है। देह बिलकुल प्राकृतिक है।

इसलिए मैं कहता हूं कि सभी शूद्र की तरह पैदा होते हैं, क्योंकि सभी देह की तरह पैदा होते हैं। जब ‘और-और’ की वासना उठती है, तो वैश्य। वैश्य का मतलब है और धन चाहिए।

फोर्ड अपने बुढ़ापे तक ‘हेनरी फोर्ड’ और नए धंधे खोलता चला गया। किसी ने उसकी अत्यंत वृद्धावस्था में, मरने के कुछ दिन पहले ही पूछा उससे कि आप अभी भी धंधे खोलते चले जा रहे हैं! आप के पास इतना है; इतने और नए धंधे खोलने का क्या कारण है?

वह नए उद्योग खोलने की योजनाएं बना रहा था। बिस्तर पर पड़ा हुआ भी! मरता हुआ भी! हेनरी फोर्ड ने क्या कहा, मालूम? हेनरी फोर्ड ने कहा- मैं नहीं जानता कि कैसे रुकूं। मैं रुकना नहीं जानता। मैं जब तक मर ही न जाऊं, मैं रुक नहीं सकता।

यह वैश्य की दशा है। वह कहता है, और। इतना है, तो और। ऐसा मकान है, तो और थोड़ा बड़ा। इतना धन है, तो और थोड़ा ज्यादा धन।

देह शूद्र है, और सरल है। शूद्र सदा ही सरल होते हैं। मन बहुत चालबाज, चालाक, होशियार, हिसाब बिठाने वाला है। मन की सब दौड़ें हैं। मन किसी चीज से राजी नहीं है। मन व्यवसायी है। वह फैलाए चला जाता है। वह जानता ही नहीं, कहां रुकना। वह अपनी दुकान बड़ी किए चला जाता है! बड़ी करते करते ही मर जाता है।

आत्मा क्षत्रिय है। क्यों? क्योंकि क्षत्रिय को न तो इस बात की बहुत चिंता है कि शरीर की जरूरतें पूरी हो जाएं; जरूरत पड़े तो वह शरीर की सब जरूरतें छोड़ने को राजी है। और क्षत्रिय को इस बात की भी चिंता नहीं है कि और और। अगर क्षत्रिय को इस बात की चिंता हो, तो जानना कि वह वैश्य है, क्षत्रिय नहीं है।

*क्षत्रिय का मतलब ही यह होता है संकल्प का आविर्भाव! प्रबल संकल्प का आविर्भाव! महा संकल्प का आविर्भाव!* और महा संकल्प या प्रबल संकल्प के लिए एक ही चुनौती है, वह है कि ‘मैं कौन हूं’ इसे जान लूं।

शूद्र शरीर को जानना चाहता है। उतने में ही जी लेता है। वैश्य मन के साथ दौड़ता है। मन को पहचानना चाहता है। क्षत्रिय, मैं कौन हूं इसे जानना चाहता है। जिस दिन तुम्हारे भीतर यह सवाल उठ आए कि मैं कौन हूं, तुम क्षत्रिय होने लगे। अब तुम्हारी धन इत्यादि दौड़ो में कोई उत्सुकता नहीं रही। एक नयी यात्रा शुरू हुई अंतर्यात्रा शुरू हुई।

तुम यह जानते हो कि इस देश में जो बड़े से बड़े ज्ञानी हुए सब क्षत्रिय थे। बुद्ध, जैनों के चौबीस तीर्थंकर, राम, कृष्ण सब क्षत्रिय थे! क्यों? होना चाहिए सब ब्राह्मण, मगर थे सब क्षत्रिय। क्योंकि ब्राह्मण होने के पहले क्षत्रिय होना जरूरी है। जिसने जन्म के साथ अपने को ब्राह्मण समझ लिया, वह चूक गया। उसे पता ही नहीं चलेगा कि बात क्या है!
और जो जन्म से ही अपने को ब्राह्मण समझ लिया और सोच लिया कि पहुंच गया, क्योंकि जन्म उसका ब्राह्मण घर में हुआ है, उसे संकल्प की यात्रा करने का अवसर ही नहीं मिला, चुनौती नहीं मिली।

इस देश के महाज्ञानी क्षत्रिय थे। हिंदुओं के अवतार, जैनों के तीर्थंकर, बौद्धों के बुद्ध सब क्षत्रिय थे। इसके पीछे कुछ कारण है। सिर्फ एक परशुराम को छोड़कर, कोई ब्राह्मण अवतार नहीं है। और परशुराम बिलकुल ब्राह्मण नहीं हैं। उनसे ज्यादा क्षत्रिय आदमी कहां खोजोगे! उन्होंने क्षत्रियों से खाली कर दिया पृथ्वी को कई दफे काट काटकर। वे काम ही जिंदगीभर काटने का करते रहे। उनका नाम ही परशुराम पड़ गया, क्योंकि वे फरसा लिए घूमते रहे। हत्या करने के लिए परशु लेकर घूमते रहे। परशु वाले राम ऐसा उनका नाम है।

वे क्षत्रिय ही थे। उनको भी ब्राह्मण कहना बिलकुल ठीक नहीं है, जरा भी ठीक नहीं है। उनसे बड़ा क्षत्रिय खोजना मुश्किल है! जिसने सारे क्षत्रियों को पृथ्वी से कई दफे मार डाला और हटा दिया, अब उससे बड़ा क्षत्रिय और कौन होगा?

*संकल्प यानी क्षत्रिय।*

*ऐसा समझो कि भोग यानी शूद्र। तृष्णा यानी वैश्य। संकल्प यानी क्षत्रिय। और जब संकल्प पूरा हो जाए, तभी समर्पण की संभावना है। तब समर्पण यानी ब्राह्मण।* जब तुम अपना सब कर लो, तभी तुम झुकोगे। उसी झुकने में असलियत होगी। जब तक तुम्हें लगता है मेरे किए हो जाएगा, तब तक तुम झुक नहीं सकते। तुम्हारा झुकना धोखे का होगा, झूठा होगा, मिथ्या होगा।

अपना सारा दौड़ना- दौड़ लिए, अपना करना सब-कर लिए और पाया कि नहीं, अंतिम चीज हाथ नहीं आती, नहीं आती, नहीं आती, चूकती चली जाती है। तब एक असहाय अवस्था में आदमी गिर पड़ता है। जब तुम घुटने टेककर प्रार्थना करते हो, तब असली प्रार्थना नहीं है। जब एक दिन ऐसा आता है कि तुम अचानक पाते हो कि घुटने टिके जा रहे हैं पृथ्वी पर। अपने टिका रहे हो ऐसा नहीं, झुक रहे हो ऐसा नहीं, झुके जा रहे हो। अब कोई और उपाय नहीं रहा। जिस दिन झुकना सहज फलित होता है, उस दिन समर्पण।

*समर्पण यानी ब्राह्मण। समर्पण यानी ब्रह्म। जो मिटा, उसने ब्रह्म को जाना।*

ये चारों पर्तें तुम्हारे भीतर हैं। यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम किस पर ध्यान देते हो। ऐसा ही समझो कि जैसे तुम्हारे रेडियो में चार स्टेशन हैं। तुम कहां अपने रेडियो की कुंजी को लगा देते हो, किस स्टेशन पर रेडियो के कांटे को ठहरा देते हो, यह तुम पर निर्भर है।

*ये चारों तुम्हारे भीतर हैं। देह तुम्हारे भीतर है। मन तुम्हारे भीतर है। आत्मा तुम्हारे भीतर। परमात्मा तुम्हारे भीतर।*

अगर तुमने अपने ध्यान को देह पर लगा दिया, तो तुम शूद्र हो गए।

स्वभावत:, बच्चे सभी शूद्र होते हैं। क्योंकि बच्चों से यह आशा नहीं की जा सकती कि वे देह से ज्यादा गहरे में जा सकेंगे। मगर बड़े अगर शूद्र हों, तो अपमानजनक है। बच्चों के लिए स्वाभाविक है। अभी जिंदगी जानी नहीं, तो जो पहली पर्त है, उसी को पहचानते हैं। लेकिन बड़े अगर शूद्र की तरह मर जाए, तो निंदायोग्य है। सब शूद्र की तरह पैदा होते हैं, लेकिन किसी को शूद्र की तरह मरने की आवश्यकता नहीं है।

अगर तुमने अपने रेडियो को वैश्य के स्टेशन पर लगा दिया; तुमने अपने ध्यान को वासना तृष्णा में लगा दिया, लोभ में लगा दिया, तो तुम वैश्य हो जाओगे। तुमने अगर अपने ध्यान को संकल्प पर लगा दिया, तो क्षत्रिय हो जाओगे। तुमने अपने ध्यान को अगर समर्पण में डुबा दिया, तो तुम ब्राह्मण हो जाओगे।

*ध्यान कुंजी है। कुछ भी बनो, ध्यान कुंजी है।* शूद्र के पास भी एक तरह का ध्यान है। उसने सारा ध्यान शरीर पर लगा दिया। अब जो स्त्री दर्पण के सामने घंटों खड़ी रहती है बाल संवारती है; साड़ी संवारती है, पावडर लगाती है यह शूद्र है। ये जो दो तीन घंटे दर्पण के सामने गए, ये शूद्रता में गए। इसने सारा ध्यान शरीर पर लगा दिया है। यह राह पर चलती भी है, तो शरीर पर ही इसका ध्यान है। यह दूसरों को भी देखती है, तो शरीर पर ही इसका ध्यान होगा। जब यह अपने शरीर को ही देखती है, तो दूसरे के शरीर को ही देखेगी। और कुछ नहीं देख पाएगी। यह अगर अपनी साड़ी को घंटों पहनने में रस लेती है, तो बाहर निकलेगी, तो इसको हर स्त्री की साड़ी दिखायी पड़ेगी और कुछ दिखायी नहीं पड़ेगा।

जो व्यक्ति बैठा बैठा सोचता है कि एक बड़ा मकान होता, एक बड़ी कार होती; बैंक में इतना धन होता!क्या करूं? कैसे करूं? वह अपने ध्यान को वैश्य पर लगा रहा है। धीरे धीरे ध्यान वहीं ठहर जाएगा। और अक्सर ऐसा हो जाता है कि अगर तुम एक ही रेडियो में एक ही स्टेशन सदा सुनते हो, तो धीरे धीरे तुम्हारे रेडियो का कांटा उसी स्टेशन पर ठहर जाएगा, जड़ हो जाएगा। अगर तुम दूसरे स्टेशन को कभी सुने ही नहीं हो और आज अचानक सुनना भी चाहो, तो शायद पकड़ न सकोगे। क्योंकि हम जिस चीज का उपयोग करते हैं, वह जीवित रहती है। और जिसका उपयोग नहीं करते, वह मर जाती है।

इसलिए कभी कभी जब सुविधा बने शूद्र से छूटने की, तो छूट जाना। वैश्य से छूटने की, तो छूट जाना। जब सुविधा मिले, तो कम से कम ब्राह्मण दूर कम से कम थोड़ी देर को क्षत्रिय होना, संकल्प को जगाना। और कभी कभी मौके जब आ जाएं, चित्त प्रसन्न हो, प्रमुदित हो, प्रफुल्लित हो, तो कभी कभी क्षणभर को ब्राह्मण हो जाना। सब समर्पित कर देना। लेट जाना पृथ्वी पर चारों हाथ पैर फैलाकर, जैसे मिट्टी में मिल गए, एक हो गए। झुक जाना सूरज के सामने या वृक्षों के सामने। झुकना मूल्यवान है, कहां झुकते हो, इससे कुछ मतलब नहीं है। उसी झुकने में थोड़ी देर के लिए ब्रह्म का आविर्भाव होगा।

ऐसे धीरे धीरे, धीरे धीरे अनुभूति बढ़ती चली जाए, तो हर व्यक्ति अंततः मरते मरते ब्राह्मण हो जाता है।

जन्म तो शूद्र की तरह हुआ है, ध्यान रखना, मरते समय ब्राह्मण कम से कम हो जाना। मगर एकदम मत सोचना कि हो सकोगे।

कई लोग ऐसा सोचते हैं कि बस, आखिरी घड़ी में हो जाएंगे। जिसने जिंदगीभर अभ्यास नहीं किया, वह मरते वक्त आखिरी घड़ी में रेडियो टटोलेगा, स्टेशन नहीं लगेगा फिर! पता ही नहीं होगा कि कहां है! और मौत इतनी अचानक आती है कि सुविधा नहीं देती। पहले से खबर नहीं भेजती कि कल आने वाली हूं। अचानक आ जाती है। आयी कि आयी! कि तुम गए! एक क्षण नहीं लगता। उस घड़ी में तुम सोचो कि राम को याद कर लेंगे, तो तुम गलती में हो। तुमने अगर जिंदगीभर कुछ और याद किया है, तो उसकी ही याद आएगी।

इसलिए तैयारी करते रहो, साधते रहो। जब सुविधा मिल जाए, ब्राह्मण होने का मजा लो। उससे बड़ा कोई मजा नहीं है। वही आनंद की चरम सीमा है!!! एस धम्मो सनंतनो प्रवचन 118 ओशो।

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जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका के निर्देश पर नामित अधिकारी द्वारा शहर के बाजार फुटपात पर अवैध अतिक्रमण पर बड़ी कार्रवाई।

आदेश के अनुपालन में शहर को 5 जोन में विभाजित कर रेखीय विभाग के नामित अधिकारियों द्वारा ताबड़तोड़ अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई गतिमान है।…
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देहरादून दिनांक 17 अपै्रल 2023,  जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका की अध्यक्षता में आज ऋषिपर्णा सभागार में जनसुनवाई का आयोजन किया गया। जनसुनवाई में 116 शिकायतें प्राप्त हुई, जिनमें राजस्व, एमडीडीए, पंचायतीराज, विद्युत, बाल-विकास, पुलिस, सिंचाई, लोनिवि, समाज कल्याण, नगर निगम, पेयजल निगम आदि विभागों से संबंधित शिकायतें प्राप्त हुई। विगत जनसुनवाई में डांडीपुर मच्छी बाजार निवासी अमित अरोड़ा की पुत्री हर्षिता अरोड़ा का निजी स्कूल में दाखिला दिलाने पर संबंधित द्वारा धन्यवाद दिया तथा किताबें दिलवाने का अनुरोध किया, जिस पर जिलाधिकारी ने पुस्तक दिलाने हेतु संबंधित को निर्देशित किया।
जनसुनवाई में डांडीपुर मच्छी बाजार निवासी हर्षिता ने जिलाधिकारी से कक्षा 4 की किताबें दिलवाने के अनुरोध पर जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि बालिका को किताबें उपलब्ध कराई जांए। पूर्व में भी बालिका का दाखिला जिलाधिकारी के निर्देशों पर स्थानीय निजी स्कूल में किया गया था। जनपद में जिलाधिकारी की अभिनव पहल से जिला प्रशासन देहरादून द्वारा जरूरतमंद बच्चों को किताबें उपलब्ध कराई जाने हेतु स्मार्ट सिटी लि0 के सहयोग से मुहिम चलाई जा रही है। जिसमें अनावश्यक किताबें कलेक्शन सेन्टरों एवं स्मार्ट सिटी की बसों पर बनाए गए बाॅक्स में जमा किया जा सकता है। जिससे जरूरतमंद बच्चों को किताबें उपलब्ध कराई जा सकें।
जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि शहर में फुटपाथ एवं अन्य स्थानों पर हुए अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही में तेजी लाई जाए। उन्होंने उप जिलाधिकारी मुख्यालय को निर्देश दिए कि जनपद में संचालित स्टोन क्रैशर एवं खनन पट्टों की वैद्यता जांच लें, जिन खनन पट्टों स्टोन क्रैशर की अवधि समाप्त हो गई है को बंद करने के आदेश निर्गत किए जाए। प्राप्त हुई शिकायतों में कुंजा ग्रान्ट तहसील विकासनगर भूमि कब्जा किए जाने की शिकायत पर उप जिलाधिकारी विकासनगर को कार्यवाही के निर्देश दिए। विकासनगर में जेसीबी ड्राईवर की लापरवाही से पुलिया टूटने की शिकायत पर सिंचाई विभाग को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए गए। गौरा देवी/कन्या धन योजना कला प्राप्त न होने की शिकायत पर जिलाधिकारी ने समाज कल्याण अधिकारी एवं जिला प्रोबेशन अधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। ग्राम व्यास नेहरी पर अतिक्रमण की शिकायत पर उप जिलाधिकारी कालसी को कार्यवाही के निर्देश दिए। इसी प्रकार स्कूल वैन के भवन स्वामी के घर के सामने पार्क किये जाने की शिकायत पर यातायात पुलिस को कार्यवाही के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि जनसुनवाई में प्राप्त हो रही शिकायतों पर त्वरित संज्ञान लिया जाए तथा भूमि विवाद के प्रकरणों पर मौका मुआवना करते हुए वस्तु स्थिति से अवगत होकर नियमानुसार कार्यवाही की जाए। तथा संबंधित शिकायतकर्ता को कृत कार्यवाही से अवगत कराया जाए।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी सुश्री झरना कमठान, अपर जिलाधिकारी प्रशासन डाॅ0 एस.के बरनवाल, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व रामजीशरण, अपर मुख्य नगर अधिकारी नगर निगम जगदीश लाल, उप जिलाधिकारी मुख्यालय शालिनी नेगी, उप जिलाधिकारी सदर नरेश चन्द्र दुर्गापाल, सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चैहान, निदेशक ग्राम्य विकास अभिकरण आर.सी तिवारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी विद्याधर कापड़ी, जिला शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र रावत, जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट, समाज कल्याण अधिकारी गोर्वधन सहित राजस्व, एमडीडीए, पंचायतीराज, विद्युत, बाल-विकास, पुलिस, सिंचाई, लोनिवि, समाज कल्याण, नगर निगम, पेयजल निगम आदि संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

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देहरादून दिनांक 17 अपै्रल 2023, जनपद में अतिक्रमण से बाधित सड़कों एवं फुटपाथों से अतिक्रमण हटाए जाने हेतु जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका के निर्देशन पर 5 जोन बनाए गए है, जिनके लिए नगर निगम, पुलिस, प्रशासन की अलग-अलग संयुक्त टीम बनाकर प्रथम चरण में अतिक्रमण हटाए जाने की कार्यवाही की जा रही है। प्रथम जोन मोहब्बेवाला से राजपुर रोड़, द्वितीय जोन धूलकोट से कुआंवाला, तृतीय जोन ब्रहमकमल चैक से आईटी पार्क, सहस्त्रधारा क्रोसिंग से आईटी पार्क, चतुर्थ जोन ट्रांसपोर्ट नगर से गढ़ी कैंट व आईएसबीटी चैक से रिस्पना पुल, लाल पुल, कारगी चैक, शिमला बाईपास चैक से बड़ोवाला चैक तथा मोहब्बेवाला से राजपुर, पांचवा जोन छः नंबर पुलिया से एयरपोर्ट, महाराणा प्रताप चैक से मालदेवता तथा राजपुर से कुठाल गेट डाईवजन तक अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई।
प्रथम जोन में 17 स्थानों, द्वितीय जोन में 22 स्थानों, तृतीय जोन में 8 स्थानों, चतुर्थ जोन में 20 स्थानों तथा पांचवे जोन में 8 चिन्हित स्थानों से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई। पहले चरण में चिन्हित 75 स्थानों से अतिक्रमण हटाये जाने की कार्यवाही की गई।
जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका ने अवगत कराया कि जनपद/शहर में अतिक्रमण के कारण यातायात बाधित होने की जो समस्या उत्पन्न हो रही है। उसको दृष्टिगत रखते हुए नगर निगम, यातायात पुलिस, जिला प्रशासन के संबंधित विभागों के अधिकारियों की संयुक्त 5 टीमें बनाई गई है, जिनके द्वारा चिन्हित स्थानों से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जा रही है। बताया कि मुख्य सड़क, जंक्शन एवं फुटपाथों पर अतिक्रमण होने से यातायात बाधित रहने की शिकायतें प्राप्त होती है। जिसके लिए प्रथम चरण में इन्हीं स्थानों से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई है तथा आगे भी अतिक्रमण चिन्हित कर हटाने की कार्यवाही की जाएगी।
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भूतपूर्व सैनिकों, वीर नारियों और उनके आश्रितों के लिए रोजगार मेले का आयोजन।*

, देहरादून

कोविड के बाद नौकरी का बाजार सिकुड़ गया था और रोजगार के अवसर कम हो गए थे। अब अर्थव्यवस्था के स्थिर होने से उद्योग फिर से चमकने लगे हैं। 17 अप्रैल 2023 को मुख्यालय उत्तराखंड सब एरिया के तत्वावधान में आर्मी वेलफेयर प्लेसमेंट ऑर्गनाइजेशन ने दून सैनिक इंस्टीट्यूट, गढ़ी कैंट, देहरादून में एक मेगा रोज़गार मेले का आयोजन किया।
सेना कल्याण प्लेसमेंट संगठन की स्थापना पूर्व सैनिकों, सेवानिवृत्त कर्मियों, विधवाओं और आश्रितों की सहायता और उपयुक्त नौकरियों के लिए रास्ते तलाशने केलिए की गई थी।

अभियान का उदघाटन जीओसी, उत्तराखंड सब एरिया, मेजर जनरल संजीव खत्री, वीएसएम, ने किया। इसमें अन्य विशिष्ट अतिथियों के अलावा उत्तराखंड ईएसएम लीग के अध्यक्ष मेजर जनरल एमएल असवाल ( रिटायर्ड), देहरादून ईएसएम लीग के अध्यक्ष कर्नल यूएस ठाकुर और एडब्ल्यूपीओ, उत्तराखंड और यूपी के निदेशक कर्नल नंदा बल्लभ भी उपस्थित थे।

मेले में सुरक्षा एजेंसियों, बैंकों, बीमा क्षेत्र, फार्मास्युटिकल, संरक्षण सेवाओं, रेलवे इत्यादि जैसी 26 कंपनियों/उद्योग मंडलों ने भाग लिया।

मेले में भूतपूर्व सैनिकों की भारी भीड़ थी, 1000 से अधिक पूर्व सैनिकों और आश्रितों ने अभियान में भाग लिया और इस अनूठे आयोजन से लाभान्वित हुए, जिसमें कि सभी प्रमुख कॉर्पोरेट एक ही छत के नीचे आए।

एडब्ल्यूपीओ के माध्यम से भारतीय सेना कौशल विकास की दिशा में सार्थक योगदान देने और अपने पूर्व सैनिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे वे मजबूत दृढ़ संकल्प और अनुशासन के साथ राष्ट्र निर्माण में वही लाभकारी योगदान दे सकें, जो पूर्व सैनिक अपनी सैन्य सेवा के द्वारा करते हैं।

Lt Col Manish Shrivastava, PRO (Defence)
Dehradun, Uttarakhand
Tele: +919799974163
E-mail Address : prodefencedehradun@gmail.com
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देहरादून, मुख्य विकास अधिकारी सुश्री झरना कमठान ने अवगत कराया कि जनपद देहरादून के तहसील त्यूनी क्षेत्र के अन्तर्गत त्यूनी मोटर पुल के समीप मौजा वृनाड वास्तिल में 01 चार मंजिला सकड़ी के आवासीय भवन में 06 अप्रैल 2023 की सांय लगभग 04ः00 बजे आग लगने की घटना घटित हुई है। उक्त घटना में आवासीय जल कर नष्ट हो गया है साथ ही 01 महिला, 01 पुरुष एवं 01 बच्चा आग की चपेट में आने से झुलस गये तथा 04 बच्चों की आग में जलने से मृत्यु हो गयी। उक्त प्रकरण की जांच हेतु जिलाधिकारी महोदया देहरादून द्वारा मुख्य विकास अधिकारी को जांच अधिकारी नामित किया गया है।
मुख्य विकास अधिकारी ने अवगत कराया कि उक्त घटना के संबंध में यदि कोई व्यक्ति कोई साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहता है अथवा व्यक्तिगत रूप से अपना पक्ष प्रस्तुत करना चाहता हो तो 30 अपै्रल 2023 तक अपरान्ह 05ः00 बजे तक अधोहस्ताक्षरी लिखित साक्ष्य प्रस्तुत/प्रेषित कर सकता है साथ ही व्यक्तिगत रूप से भी अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकता है। उक्त तिथि के उपरान्त किसी प्रकार के साक्ष्य का संज्ञान लिया जाना संभव नहीं होगा।

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देहरादून दिनांक 17 अपै्रल 2023, जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका ने मसूरी क्षेत्र में निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने कार्यदायी संस्था के अधिकारियों को निर्देश दिए दिए की जहां पर सड़क खराब है उसे तत्काल ठीक कर लिया जाए। उन्होंने लोनिवि, यूपीसील, जल संस्थान, जल निगम के अधिकारियों को कार्ययोजना के अनुसार निर्धारित समयावधि में कार्य पूर्ण कर लिए जाए। उन्होंने कहा कि पूरी प्रसास किया जा रहा है कि सड़क माह के अन्त तक कार्य पूर्ण कर लिया जाए।

साज-सज्ज के कार्यों को छोड़कर शेष अन्य निर्माण कार्यों में तय समय पर पूर्ण करने के निर्देश कार्यदायी संस्था के अधिकारियों को दिए गए है। निरीक्षण के दौरान उप जिलाधिकारी नन्दन कुमार सहित लोनिवि, यूपीसील, जल संस्थान, जल निगम अधिकारी उपस्थित रहे।

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