होली की शुभकामनाओं के साथ जानिए पाकिस्तान के उस प्रह्लादपुरी मंदिर के बारे में जहां से होली की शुरुआत हुई
– एक दिन भारत अखंड होगा पाकिस्तान खत्म होगा तब प्रह्लादपुरी के मंदिर का जीर्णोद्धार होगा और वही हिंदू राष्ट्र भारत की असली होली होगी
-ये तो सभी को पता है कि होली शुरू होती है होलिका दहन से लेकिन क्या किसी बच्चे ने कभी किसी मां बाप से ये पूछा कि आखिर होलिका, हिरण्यकश्यप, प्रह्लाद, होली के इन सारे किरदारों का जन्म आखिर कहां हुआ था ? और अगर ये घटना सच थी तो इसके प्रमाण कहां हैं आखिर कहां है वो जगह जहां खंभे को फाड़कर निकले थे नरसिंह भगवान जिन्होंने हिरण्याकश्यप का पेट फाड़कर प्रह्लाद की रक्षा की थी ।
– ऐतिहासिक और पौराणिक साक्ष्यों से ये पता चलता है कि होली की इस गाथा के प्रामाणिक तथ्य पाकिस्तान के मुल्तान जिले में हैं । मुल्तान यानी आर्यों का मूल स्थान जो अब भारत से छिन चुका है । पाकिस्तान का प्रह्लादपुरी मंदिर आज खंडहर बन चुका है उस पर मुल्ले मौलवियों का कब्जा हो चुका है लेकिन आज भी वहां पर वो खंबा मौजूद है जिस पर प्रह्लाद को बांधा गया था और जहां से निकले थे नरसिंह भगवान ।
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-मुल्तान बाद में भक्त प्रह्लाद की राजधानी बना और यहां उन्होंने भगवान विष्णु का भव्य मंदिर बनवाया । इस्लामिक लुटेरों ने प्रह्लाद के मंदिर को भी कई बार क्षतिग्रस्त किया और इसके पास हजरत बहाउद्दीन जकारिया का मकबरा बना दिया गया ताकी प्रह्लादपुरी की महिमा को कम कर दिया जाए ।
-पाकिस्तानी इतिहासकार डॉ. ए.एन. खान के हिसाब से जब ये इलाका दोबारा सिक्खों के अधिकार में आया तो सिख शासकों ने 1810 के दशक में प्रह्लादपुरी मंदिर का जीर्णोद्धार किया और इसकी महिमा वापस लौटाई । सिखों ने एक बार फिर अपने पूर्वजों की उस परंपरा को शुरू किया जब पूरे भारत में होली इसी प्रह्लादपुरी मंदिर से शुरू होती थी ।
– अंग्रेजों के खिलाफ एक जंग में ये मंदिर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया । उस वक्त के प्रसिद्ध पुरातत्वविद रहे एलेग्जेंडर कनिंघम ने 1853 में इस मंदिर को देखकर लिखा कि ये एक ईंटों के चबूतरे पर काफी नक्काशीदार लकड़ी के खम्भों वाला मंदिर था ।
– क्षतिग्रस्त प्रह्लादपुरी के मंदिर को बाद में 1861 में महंत बावलराम दास ने जनता से जुटाए 11,000 रुपये से इसे दोबारा बनवाया। *वैसे मेरे आर्टिकल आपको व्हाटसएप पर भी मिल सकते हैं बस मेरा ये नंबर 7011795136 सेव कर लीजएगा और इस पर एक मिस्ड कॉल कर दीजिएगा ।*
– 1881 में इस मंदिर का शिखर पास ही मौजूद एक मस्जिद से ऊंचा होने की वजह से मुसलमानों ने तोड़ दिया । ऐसा दंगा हुआ कि तब 1881 में 22 मंदिर तोड़ दिए गए । लेकिन हिंदुओं को इस स्थान के महत्व का पता था इसलिए उन्होंने दोबारा यहां मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया
– लेकिन गांधी और नेहरू की गलतियों के चलते 1947 में भारत के बंटवारे के बाद ये प्रह्लादपुरी का मंदिर मुसलमानों के हाथ चला गया । अब इस प्रह्लादपुरी मंदिर पर कब्जा करके यहां मदरसा खोल दिया गया है जो अत्यंत दुखद है !
– हम भारत के सभी हिंदू आज होली के शुभ अवसर पर ये संकल्प लेते हैं कि पाकिस्तान का खात्मा जरूर करेंगे और हमारी आने वाली पीढ़ियां एक बार फिर होली का उत्सव प्रह्लादपुरी मंदिर से ही मनाना शुरू करेंगी ।
*होली की शुभकामनाएं*
धन्यवाद
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