मर जाएंगे, मिट जाएंगे, मिटा डालेंगे (दुनिया के लोगो को) पर इस फाइल पर निर्णय नहीं लेंगे !
देहरादून,हम बात कर रहे हैं युवा वैज्ञानिक शैलेन्द्र कुमार बिराणी की ईंसानों को मारने वाली नहीं बचाने वाली फाईल (President-House, Letter Reference No.P1/D/1908110208, Dated 19-08-2011) की जो देश की कई सरकारी टेबलों की धूल खाकर अन्तिम फैसले के लिए राष्ट्रपति महोदया के पास पड़ी हैं |
स्वाईन फ्लू, बर्ड फ्लू, ईबोला, निपाह, जीका वायरस के साथ कोरोना वायरस के रूप में बढ़ती चेन पर अपनी सच्चाई को प्रमाणित कर रही हैं |
कोरोना वायरस के आने से पहले शैलेन्द्र दिल्ली स्वयं जाकर ( 26 अगस्त, 2019 ) आधिकारिक रूप से रिमाइंडर लेटर के साथ राष्ट्रपति महोदय व प्रधानमंत्री को अनुरोध पत्र भी दे दिये | अब ओमीक्रोम के वेरिएंट को लेकर देश में जीन-मैपिंग का ढोल बजा वायरस के नये रूपों को पहचानने की कोशिश हो रही हैं, उसके पहले ही नया वायरस कौनसे जीनों के मिश्रण का होगा वो लिखकर दे रखा हैं | इसका नामकरण जिसको अपने धर्म, संस्कृति, संस्कारों व अपने कपडो की मैचिंग के रूप में जो अच्छा लगे वो रख ले इससे क्या फर्क पड़ता हैं |
चुनावों को जीतने, कुर्सियों को पाने के लिए महिनों पहले बैठ के व तैयारीयां शुरू हो जाती हैं परन्तु खतरनाक वायरस पैदा होने से पहले उसे रोकने की बात होती हैं तो सभी को साँप सूंघ जाता हैं | इसके बाद जब वायरस पैदा होकर लाशों का ढेर लगा देता हैं तो फिर उसे निपटने की तैयारी होती हैं परन्तु इनके पैदा होंने के मूल कारण को नहीं रोका जाता पता नहीं इसके पीछे कौनसे संविधान की धारा कानून का डंडा लेकर पीछे पड जाती हैं |
जिंदा हाथी लाख का मरा हाथी सवा लाख का इसी सिद्धांत के तहत मरे लोगों की आवश्यकता ज्यादा हो गई हैं ताकि हर अर्थी और जनाजा उठाने के साथ अर्थव्यवस्था को भी थोडा ऊपर उठाया जा सके | इसलिए 1 लाख 54 हजार करोड रूपये प्रतिवर्ष सरकारी कमाई देने वाली फाईल को धूल चटाई जा रही हैं | 5000 नई कम्पनीयां खूलने, लाखों – करोडों को प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने, पेट्रोलियम पदार्थों ( पेट्रोल, डीजल व गैंस) की कीमते कम व स्थिर करने के साथ चीन व पाकिस्तान को चुप बैठा देने के तरिके व योजनाएं होने के बावजूद भी कान में तेल डाल अच्छें दिनों की निद्रा निकाली जा रही हैं क्योंकि ये तो लोगों को जिंदा रखने व आरामपूर्वक ज्यादा समय जीवन जिने का खतरनाक आतंकवादी प्लान हैं जो राष्ट्रीय सोच व सिद्धांत के विपरित हैं |
युवा वैज्ञानिक शैलेन्द्र कुमार बिराणी ने कोरोना वायरस के प्रारम्भ से कई बार 7 दिन के पायलेट प्रोजेक्ट फिर एक माह में देश से कोरोना वायरस की चेन ख़त्म करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति – भवन ( PRSEC/E/2021/08759 Dated: 12/04/2021) व प्रधानमंत्री – कार्यालय (PMOPG/E/2021/0266904 Dated 18/04/2021) को पहुंचाया । सोशियल मीडिया के माध्यम से सभी को खुला पत्र लिख दिया | दुनिया का एकमात्र कोरोना को ख़त्म करने का आधिकारिक प्रस्ताव होने के बावजूद भी उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया और उल्टा राष्ट्रपति सचिवालय ने मध्यप्रदेश सरकार (Lokendra Singh Saral, Director CM Helpline, 2nd Floor Capatil Mall, Misrod Bhopal (MP) 0755-4054020, director.cmhelpline@gmail.com) व प्रधानमंत्री कार्यालय में आधिकारिक रूप से अधिकृत ( Shri Ambuj Sharma, Under Secretary (public) Prime Ministers Office, Public Wing 5th Floor, Rail Bhavan New Delhi, 011-23386447, ambuj.sharma38@nic.in) करके वैश्विक महामारी से जिंदगी बचाने के उपाय की कब्र बनाकर लाशो को नदियों में तैरने का मार्ग प्रशस्त कर दिया था।
बिडम्बना देखिए कि उक्त पत्रों पर कार्यवाही करने कराने के लिए किसी अधिकारी का ध्यान नहीं है। समस्या का समाधान करने की चिंता के लिए भारत सरकार ने वायरस के पता लगाने केलिए जांच के लिए यह पत्र जारी किया है।
डॉ बिराणी ने पुनः रजिटर्ड पत्र राष्ट्रपति के नाम भेजा है जो उनके कार्यलय में प्राप्त होगया है।
हम पहाडोंकीगूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र पोर्टल की ओर से दुनिया को बचाने के लिए देहरादून ,हरिद्वार से दिल्ली तक सदभावना पद यात्रा दिनाँक 1 जनवरी2023 से 12 km प्रतिदिन चल कर करने जा रहे हैं। इस यात्रा के माध्यम से महामहीम राष्ट्रपति कार्यालय नई दिल्ली में 2011 से दबी फाइल को महामहीम राष्ट्रपति तक पहुंचा ने के लिए अधिकारियों की इच्छा शक्ति को जगाने के लिए देश एवं विश्व को बचाने के लिए ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं।
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