लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ प्रेस को संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए पहाडोंकीगूँज 4 जुलाई2021 को प्रकाशित की गई खबर का सुप्रीम कोर्ट ने ले लिया संज्ञान आप अपने विचार एवं कमेन्ट किजयेगा। वट्सप न0 7983825336
देहरादून,भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवम मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन एम.एस.एम.ई. विकास कार्यालय, हल्द्वानी द्वारा उद्योगों हेतू मंत्रालय की “एम.एस.एम.ई सस्टेनेबल जेड सर्टिफिकेशन स्कीम” पर सुभाष रोड़ स्थित होटल , देहरादून में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उद्योगों के बीच जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट (जेड) स्कीम के बारे में जागरूकता पैदा करना तथा उन्हें एम.एस.एम.ई चैंपियन बनने के लिए प्रोत्साहित करते हुए “जेड” प्रमाणन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना है। इस नई योजना को वैश्विक बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए जागरूकता, मूल्यांकन, दर, परामर्श, हैंडहोल्ड, पुनर्मूल्यांकन और प्रमाणित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।——
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उक्त कार्यक्रम में अतीश कुमार सिंह, संयुक्त सचिव, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार “मुख्य अतिथि” थे। अतीश कुमार सिंह ने इंडस्ट्रीज से जेड सर्टिफिकेशन लेने का अनुरोध किया तथा मंत्रालय की अनेक योजनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की।
कार्यक्रम के दौरान एस सी नौटियाल, निदेशक उद्योग उत्तराखंड सरकार ने राज्य द्वारा दिए जाने वाले प्रोत्साहन के बारे में चर्चा की। तकनीकी सत्र के दौरान श्री नीरज कुमार, जेड सलाहकार, नई दिल्ली ने जेड स्कीम के फायदे बताए । कार्यक्रम में उद्योग निदेशालय, खादी बोर्ड देहरादून, एम.एस.एम.ई-टी.सी सितारगंज, जिला उद्योग केंद्र देहरादून, एन.एस.आई.सी देहरादून, सिडबी देहरादून, सी.आई.पी.ई.टी देहरादून, ई.एस.टी.सी रामनगर ने प्रतिभा किया।
आई.ए.यू, देहरादून से पंकज गुप्ता, अध्यक्ष, यू.आई.डब्ल्यू.ए, देहरादून से जितेंद्र कुमार तथा लघु उद्योग भारती, देहरादून से कैलाश मेलाना ने अपने विचार रखें। कार्यक्रम में लग भाग 55 उदयमियों और अधिकारों ने प्रतिभा किया। कार्यक्रम का संचालन एम.एस.एम.ई. विकास कार्यालय, हल्द्वानी के अमित मोहन ने किया, पुष्कर सिंह ने संविधान दिवस के उपलक्ष में संविधान की उद्देशिका पढी। तथा एस.सी कांडपाल, सहायक निदेशक ने धन्यवाद प्रस्ताव किया। - आगेपढें नीचे 2 video खोलने के लिए कॉपी कर पुनःपेष्ट करें व्यपार ,शिक्षा, प्रबंधन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने के लिए प्रवासी भारतीय विजटिंग प्रोफेसर रमेश शाह का वीडियो देखें।
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- सुप्रीमकोर्ट के संज्ञान में पहुंचा भारतीय मीडिया को वंचित रखा हैं संवैधानिक चेहरे और कानूनी अधिकार से
- 21 सितम्बर, 2022 को सुप्रीमकोर्ट में न्यूज चैनलों की लाईव डिबेट वाले कार्यक्रमों में हेट स्पीच के मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस के. एम. जोसफ व ह्रषिकेश राय की पीठ ने तथ्यात्मक रूप से पाया व उस पर टिप्पणी करी की मीडीया (इलेक्ट्रानिक, प्रिंट और सोशियल) में कई कोई कंट्रोल की व्यवस्था नहीं हैं । सरकार इस पर नियामक कंट्रोल बनाने के लिए जवाब दे ।इसका प्रमाणित दस्तावेज युवा वैज्ञानिक शैलेन्द्र कुमार बिराणी के पास मौजूद था जो उन्होंने अपने पेटेन्टेट आविष्कार एडी-सिरिंज के आविष्कार वाली फाईल के साथ 19 अगस्त 2011 को राष्ट्रपति जो संविधान के संरक्षक भी हैं उन्हें भेजा (Letter Ref. No. P1/D/1908110208) । इस पर राष्ट्रपति सचिवालय की मोहर व आधिकारिक साईन मौजूद हैं ।इसको उन्होंने सुप्रीमकोर्ट के रजिस्टार, याचिकाकर्ता के वकील व सुप्रीमकोर्ट बार काउंसिल के प्रमुख को डिजीटल इंडिया के दौर में ईमेल के माध्यम से माननीय न्यायाधीश के समर्थन में उन्हें अवगत कराने के लिए भेजा ताकि उनकी मौखिक टिप्पणी को कानूनी लिखित वाला आधार मिल जाये ।
इस दस्तावेज से पूर्णतया स्पष्ट था कि भारतीय मीडिया को संवैधानिक चेहरे व कानूनी अधिकार से वंचित रखा गया हैं । संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की सिर्फ बातों व ख्यालों में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ का झूठा तमगा लगा मीडियाकर्मियों के माध्यम से हर रोज आम जनता की पीड़ा, पुकार व समस्याओं को अखबारों की रद्दी व न्यूज चैनलों पर मनोरंजन का साधन बना रहे हैं ।
पत्रकारिता व इससे जुडे़ एवं काम कर रहे लोगों की सारी समस्याओं का खत्म नहीं होने का मूल कारण यहीं हैं । यदि यह दे दिया जाये तो देश व राज्यों में विचाराधीन हजारों मामले चुटकी में ही न्याय तक पहुंच जायेंगे । इसलिए शैलेन्द्र ने यह सभी दस्तावेज उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व सभी राज्यों की न्यायपालिकाओं के मुख्य न्यायाधीशों को नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (NALSA) के माध्यम से भी भेजे । भारत के मुख्य न्यायाधीश स्वयं इसके प्रमुख व संरक्षक हैं ।
इस पर सचिव कमल सिंह का जवाबी मेल आया की उनका मुख्य उद्देश्य मुफ्त कानूनी सहायता व सहयोग प्रदान करना हैं । इस पर शैलेन्द्र ने अवगत करा दिया की उन्हें किसी प्रकार की कोई आर्थिक मदद नहीं चाहिए और न हीं वे किसी तरह का मामला व याचिका दायर करना चाहते हैं उनका उद्देश्य सिर्फ न्यायाधीशों के संज्ञान में लाना था कि बडें संवैधानिक लूपपोल होने के कारण उनके मीडिया से जुडे सभी फैंसले व्यर्थ हो जायेंगे व मूल समस्या जस की तस रहने से हर रोज हेट स्पीच, पेड न्यूज, मीडियाकर्मियों को अपराधियों द्वारा धमकी, दमन व हत्या, राजनेताओं के निजी स्वार्थ, नग्नता के खुले प्रसारणों के नये – नये मामले आते रहेंगे । इसमें एक खत्म होगा तो चार वैसे ही सर उठा लेंगे । संविधान के अनुरूप ही व्यवस्था को सही करके ही सबकुछ न्याय संगत किया जा सकता हैं ।