डा. वेणीराम अन्थवाल द्वारा संचालित “उत्तराखंण्ड की समृद्ध परम्परा लोक-कहावत ” औखाणं” पुस्तक को ‘एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड’ और ‘इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्ड’ में दर्ज किया गया है, उत्तराखण्ड की मातृभाषा गढवाली, कुमाऊंनी और जौनसारी में बोली जाने वाली लोक कहावत (औखाणं) को संकलित कर उनका हिन्दी अर्थ और भावार्थ सहित तथा उनके सृजित होने के आधार तथा औखाणं से मिलने वाली शिक्षाऔं पर डॉ.अन्थवाल द्वारा प्रकाश डाला गया है। मूल रूप से ग्राम अन्थवाल गांव टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड के निवासी डॉ.अन्थवाल वर्तमान में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग जनपद चमोली के इतिहास विभाग में कार्यरत है। डॉ अन्थवाल उत्तराखंड का ‘राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास, तथा ‘आजाद हिंद फौज में उत्तराखंड का योगदान’ पुस्तकों के लेखन सहित लगभग 40 से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन कर चुके हैं। उत्तराखंड के ग्रामीण जीवन में सृजित होने वाली कहावत “औखांण” वर्तमान में लुप्त प्राय हो रहे हैं तथा यह परंपरा लगभग समाप्त हो रही है परंतु इनकी प्रासंगिकता वर्तमान में भी यथावत है। उत्तराखंड की मातृभाषा को विश्व में स्थान मिलना संपूर्ण उत्तराखंड के लिए गौरव के क्षण है।
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Sun Jan 30 , 2022