टिहरी, पहाडोंकीगूँज,स्पर्श गंगा कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवी छात्र छात्राओं के 41 सदस्यीय टीम ने “नदियों को जानों” गतिविधियों के अंतर्गत राजकीय महाविद्यालय चंद्रबदनी( नैखरी) की प्रभारी प्राचार्य डॉ सुषमा चमोली की उपस्थिति व कार्यक्रम संयोजक डॉ प्रताप सिंह बिष्ट की देखरेख में अलकनंदा एवं भागीरथी नदियों के संगम तट देवप्रयाग गंगा व उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता पर शपथ ग्रहण की गई।
इस अभियान में गंगोत्री से गंगा सागर तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश,बिहार , झारखंड और पश्चिम बंगाल के विशेष जिम्मेदारी एवं दायित्व पर चर्चा की गई ।
2525 किमी लंबी मोक्षदायिनी गंगा नदी को उसके निकटतम शहरों , कस्बों को आर्थिक,सामाजिक,आध्यात्मिक एवं धार्मिक लाभ सबसे पहले मिलता है।
अतः नदी जल की स्वच्छता का दायित्व भी आस पास के क्षेत्रों का सबसे अधिक बनता है।
जलीय प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, यद्यपि गंगोत्री से ऋषिकेश तक आदर्श स्थिति है किंतु इसके बाद गंगा नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जाता है।
यमुना और गंगा दोनो ही पवित्र नदियों का संरक्षण आवश्यक है। ये दोनो नदिया प्रयागराज में मिलकर क्षेत्र की शोभा बढ़ाती हैं।
औद्योगिक कचरा, मल मूत्र, प्लास्टिक,कपड़ा धोने आदि क्रियाओं पर रोक के बावजूद गंगा नदी में प्रदूषण स्तर कम नहीं हुआ है।
कार्यक्रम के पश्चात, नदियों को जानों प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए पंजीकरण हेतु निर्धारित लिंक छात्र छात्राओं को उपलब्ध कराया गया, जिससे सभी इस प्रतियोगिता में भाग लेकर लाभान्वित हो सकें।