गुड न्यूज, शरीर को ऊर्जावान बनाने के लिए ॐ, और तिलक विशेष है

Pahado Ki Goonj

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र जी की जय ॥ॐ, तिलक विशेष उत्तरकाशी  (पहाड़ों की गूंज )भारतीय ज्योतिषशास्र के मतानुसार यदि मनुष्य अपने मस्तक (माथे) पर नियमित प्रतिदिन तिलक धारण करता है तो उसके द्वारा जाने-अनजाने किये गये सभी अशुभ पाप स्वत स्फूर्त नष्ट हो जाते हैंI*
*सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक प्रचलित हैं।*

*श्रीचंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है, व्यक्ति संकटों से सदैव बचता है, उस पर भगवती श्री महालक्ष्मी जी (श्री वैभव लक्ष्मी जी, श्री अष्टलक्ष्मी जी) की कृपा हमेशा अखण्ड अविरल बनी रहती है, ज्ञानतंतु संयमित व सक्रिय रहते हैं।*
*तिलक कई प्रकार के होते हैं : -*
*जिसमें मृतिका, भस्म, चंदन, रोली, सिंदूर, गोपी आदि अनेक प्रकार के तिलक लगाने का विधि-विधान बताया गया है।*

*यदि सप्ताह के वारो के अनुसार तिलक धारण किया जाए तो उक्त शुभ वार से संबंधित ग्रहों को शुभ फल देने वाला बनाया जा सकता है।*

*!!!! सप्ताह के किस दिवस को किस देवी – देवता का तिलक धारण करें !!!!*

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*सोमवार 👉*

*सोमवार का शुभ दिवस भगवान श्री आशुतोष काशी विश्वनाथ शिवशंकर भोलेनाथ महादेव जी का शुभ दिन होता है तथा इस शुभ वार का स्वामी ग्रह चंद्रमा जी हैं । चंद्रमा जी को मन का कारक ग्रह माना गया है । मन को काबू में रखकर मस्तिष्क को शीतल और शांत बनाए रखने के लिए आप सफेद चंदन का तिलक लगाएं । इस शुभ दिन विभूति या भस्म भी लगा सकते हैं।*

*मंगलवार 👉*

*मंगलवार का शुभ दिवस भगवान महावीर बजरंग बली पवनसुत श्री हनुमान जी महाराज जो कि संकटमोचन के नाम से भी जाने जाते हैं उनका शुभ दिन माना गया है। इस दिन का स्वामी ग्रह मंगल है । मंगल लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है । इस शुभ दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने से ऊर्जा और कार्यक्षमता में विकास होता है। इससे मन की उदासी और निराशा हट जाती है और दिन शुभ बनता है।*

*बुधवार 👉*

*बुधवार को भगवती आदि शक्ति जगदंबा दुर्गा जी का शुभ दिवस माना गया है वहीं यह प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जी का शुभ दिन भी माना गया है । इस शुभ दिन का ग्रह स्वामी बुध ग्रह जी हैं । इस शुभ दिन सूखे सिंदूर (जिसमें कोई तेल न मिला हो) का तिलक लगाना चाहिए। इस तिलक से बौद्धिक क्षमता तेज होती है और दिन शुभ रहता है।*

*गुरुवार 👉*

*गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। बृहस्पतिदेव ऋषि जी देवताओं के गुरुदेव हैं। इस शुभ दिवस के खास देवता है भगवान श्री ब्रह्मादेव जी हैं। इस शुभ दिन का स्वामी गुरूदेव बृहस्पति देव जी ग्रह को माना गया है । गुरुदेव जी को पीला या सफेद मिश्रित पीला रंग प्रिय है। इस शुभ दिन सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिये हल्दी या गोरोचन का तिलक भी लगा सकते हैं। इससे मन में पवित्र और सकारात्मक विचार तथा अच्छे भावों का उद्भव होगा जिससे दिन भी शुभ रहेगा और आर्थिक परेशानी का हल भी निकलेगा।*

*शुक्रवार 👉*

*शुक्रवार का शुभ दिवस भगवान बैकुंठादिपते श्री विष्णुदेव जी की अर्धांगिनी (धर्मपत्नी) श्री महालक्ष्मी जी जो कि श्री वैभव लक्ष्मी जी एवं श्री अष्टलक्ष्मी जी आदि स्वरूपों में चराचर सब लोकों में व्यापत रहती है। इस शुभ दिन के स्वामी शुक्रदेव जी महाराज ग्रहदेव है। हालांकि इस ग्रह को दैत्यराज भी कहा जाता है। दैत्यों के महागुरु शुक्राचार्य जी महाराज हैं । इस शुभ दिन लाल चंदन लगाने से जहाँ तनाव दूर रहता है वहीं इससे भौतिक सुख-सुविधाओं में भी वृद्धि होती है। इस शुभ दिन सिंदूर भी लगा सकते हैं।*

*शनिवार 👉*

*शनिवार को भैरवदेव जी महाराज, शनिदेव जी महाराज और यमराज जी का शुभ दिन माना जाता है। इस शुभ दिन के ग्रह स्वामी शनिदेव जी महाराज ग्रहदेव को माना गया है । शनिवार के शुभ दिन को विभूत, भस्म या लाल चंदन लगाना चाहिए जिससे भैरवदेव जी महाराज सदैव प्रसन्न रहते हैं और किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होने देते। इसलिए यह दिन शुभ रहता है।*

*रविवार 👉*

*रविवार का शुभ दिवस भगवान बैकुंठादिपति श्री विष्णुदेव जी और भगवान श्री सूर्यनारायण जी का शुभ दिन रहता है। इस शुभ दिन के ग्रह स्वामी सूर्यनारायण जी ग्रह हैं जो कि सौरमंडल के सभी ग्रहों का राजा कहा जाता हैं । इस शुभ दिन लाल चंदन या हरि चंदन लगाएं। भगवान श्री विष्णु जी जिन्हें भगवान श्री लक्ष्मीनारायण, श्री सत्यनारायण जी आदि भी कहा जाता है उनकी कृपा रहने से जहाँ आपको धन – 💰 वैभव, यश-कीर्ति, मान-सम्मान, सुख-समृद्धि, प्रसिद्धि और आशीर्वादात्मक ऐश्वर्ययुक्त मनोबल बढ़ता है वहीं दिन दूनी रात 🌃 चौगुनी प्रगति के पथ प्रशस्त करते हुए शतायु 💯 – चिरायु और दीर्घायु के साथ निर्भयता आती है ।*

*1 👉 तिलक करने से व्यक्त‍ित्व प्रभावशाली हो जाता है दरअसल, तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है, क्योंकि इससे व्यक्त‍ि के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर इजाफा होता है l*

*2 👉 ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तक में तरावट आती है लोग शांति व सुकून अनुभव करते हैं यह कई तरह की मानसिक बीमारियों से बचाता है l*

*3 👉 दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से होता है, जिससे उदासी दूर होती है और मन में उत्साह जागता है यह उत्साह लोगों को अच्छे सद्कर्मों में लगाता है l*

*4 👉 इससे आपके सिरदर्द (माइग्रेन) की समस्या में कमी आती है और निरंतर प्रयोगार्थ लाने से मुक्ति भी मिल जाती हैं l*

*5 👉 हल्दी से युक्त तिलक लगाने से त्वचा शुद्ध होती है हल्दी में एंटी बैक्ट्र‍ियल तत्व होते हैं , जो त्वचा से संबन्धित रोगों से मुक्त कर निजात दिलाता है l*

*6 👉 धार्मिक मान्यता के अनुसार श्री चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का समूल नाश होता है लोग कई तरह के कुसंकट से बच जाते हैं ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक तिलक धारण करने से समस्त ग्रहों की शांति होने के साथ आपकी संपूर्ण मनोवांछित 💕 मनोकामनाएँ पूर्ण होती है l*

*7 👉 यह भी शास्रसम्मत माना जाता है कि श्री चंदन का तिलक लगाने वालो के घर – संसार सदैव अन्न-धन से भरपूर रहता है और सुख – सौभाग्य में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होती है l*

*!!!! तिलक लगाने का महामंत्र !!!!*

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*केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम ।*
*पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ॥*
*कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।*
*ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ॥*

*🕉 🐚 ॥ सियाराम जी की जय ॥ 🌞 🕉️*

*आपका स्नेहित शुभाकांक्षी :  मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्र जी की जय ॥ 🌞 🕉️*

*चौपाई ÷*

*रामचरित चिंतामति चारू ।*
*संत सुमति तिय सुभग सिंगारू ॥*
*जग मंगल गुनग्राम राम के ।*
*दानि मुकुति धन धरम धाम के॥*

*भावार्थ ÷*

*श्री रामचन्द्रजी का चरित्र सुंदर चिन्तामणि है और संतों की सुबुद्धि रूपी स्त्री का सुंदर श्रंगार है, श्रीरामचन्द्र जी के गुण-समूह जगत् का कल्याण करने वाले और मुक्ति प्रदान करने वाला है I*

*चौपाई ÷*

*समुझत सरिस नाम अरु नामी ।*
*प्रीति परसपर प्रभु अनुगामी ॥*
*नाम रूप दुइ ईस उपाधी ।*
*अकथ अनादि सुसामुझि साधी॥*

*भावार्थ ÷*

*समझने में नाम और नामी दोनों एक से हैं, किन्तु दोनों में परस्पर स्वामी और सेवक के समान प्रीति है, अर्थात् नाम और नामी में पूर्ण एकता होने पर भी जैसे स्वामी के पीछे सेवक चलता है, उसी प्रकार नाम के पीछे नामी चलते हैं । प्रभु श्री रामजी अपने राम नाम का ही अनुगमन करते हैं, नाम लेते ही वहाँ आ जाते हैं। नाम और रूप दोनों ईश्वर की उपाधि हैं, ये (भगवान के नाम और रूप) दोनों अनिर्वचनीय हैं, अनादि हैं और सुंदर (शुद्ध भक्तियुक्त) बुद्धि से ही इनका (दिव्य अविनाशी) स्वरूप जानने में आता है।*

*चौपाई ÷*

*अस प्रभु हृदयँ अछत अबिकारी ।*
*सकल जीव जग दीन दुखारी ॥*
*नाम निरूपन नाम जतन तें ।*
*सोउ प्रगटत जिमि मोल रतन तें॥*

*भावार्थ ÷*

*ऐसे विकाररहित प्रभु के हृदय में रहते भी जगत के सब जीव दीन और दुःखी हैं । नाम का निरूपण करके (नाम के यथार्थ स्वरूप, महिमा, रहस्य और प्रभाव को जानकर) नाम का जतन करने से (श्रद्धापूर्वक नाम जप रूपी साधन करने से) वही ब्रह्म ऐसे प्रकट हो जाता है, जैसे रत्न के जानने से उसका मूल्य प्रतीत होता हैI*

*पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।*
*पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥*
*पितरौ यस्य तृप्यन्ति सेवया च गुणेन च।*
*तस्य भागीरथीस्नानमहन्यहनि वर्तते॥*
*सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता।*
*मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्॥*
*मातरं पितरंश्चैव यस्तु कुर्यात् प्रदक्षिणम्।*
*प्रदक्षिणीकृता तेन सप्तदीपा वसुन्धरा॥*

*भावार्थ ÷*

*पद्मपुराण में कहा गया है कि पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं। जिसकी सेवा और सद्गुणों से माता‐पिता संतुष्ट रहते हैं, उस पुत्र को प्रतिदिन गंगा-स्नान का पुण्य फल मिलता है। माता सर्वतीर्थमयी है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है। इसलिये सब प्रकार से माता-पिता का पूजन करना चाहिये। माता-पिता की परिक्रमा करने से सम्पूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है।*

सियाराम जी की जय  भूपेश कुड़ियाल

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