पूज्यपाद अनन्तश्रीविभूषित उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं पश्चिमाम्नाय द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज की जय हो।
पचासों वर्ष के इतिहास में पहली बार पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने अपने दोनों उत्तराधिकारी शिष्यों के साथ दीपावली का पर्व मनाया ।
इसी कारण से सनातन धर्म के लिये यह पर्व इस वर्ष अद्वितीय रहा क्योंकि इन तीनों धर्ममूर्तियों ने एक साथ पहली बार दीप पर्व मनाया।
दण्डी स्वामी श्री सदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं दण्डी स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज की जय हो।
शंकराचार्य जी की शिक्षा दोनों का मार्गदर्शन कर सनातन धर्म को नयी ऊंचाई अवश्य प्रदान करेगा।