देहरादून ,हिमालयन हॉस्पिटल ट्रस्ट के संस्थापक डॉक्टर स्वामी राम राम की पुण्यतिथि पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी श्रद्धांजलि देने जौलीग्रांट में श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं इसके अलावा गायत्री परिवार की प्रमुख प्रणव पंड्या जी श्रदांजलि देने के लिए शिरकत कररहे हैं। इस वर्ष स्वामी राम जी की पुण्यतिथि पर स्वामी राम मानवता पुरस्कार ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद के नाम दिया जाएगा। संस्थान के कुलपति डॉ विजय धस्माना ने जानकारी दी कि हरिद्वार भारत माता मंदिर के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद को पुरस्कार दिया जाएगा उनको क्या समाज सेवा के लिए दिया जाएगा , इसके अलावा गोल्ड मेडल एवं प्रशस्ति पत्र के साथ ₹500000 का नगर पुरस्कार भेंट किया जाएगा ।
डॉ स्वामी राम जी जनसेवा के लिए सुमित समर्पित रहे स्वामी राम जी सन्त , विद्वान और सचमुच में योगी रहे।अमेरिका में जिन्होंने अपनी हार्ट बीटिंग को बंद कर शरीर का अलग अलग ताप मान रख कर योग को सर्वश्रेष्ठ विधा से अमेरिका के वैज्ञानिकों को सिद्ध करवा दिया। भारत में सबसे पुरानी भारत की योग विधा सबसे श्रेष्ठ एवं महान है। योग के लिए उनका अनुसरण कर मानव जीवन को स्वस्थ एवं खुशहाल बनाने के लिए कारगर है जो स्वयं के अन्दर साधनाओँ से पैदा किया जासकता है।
डॉ स्वामी राम जी को लोक संगत समाजसेवी चिकित्सक , लेखक के रूप में जाना जाता है । उन्होंने योग साधना के बल पर तीन-चार दिन में उपनिषद और ग्रंथ लिखने की विराट प्रतिभा के योगी के रूप में जनमानस को सिद्ध कर दिखाया है । जो सन्त के नाम पर शरीर को तोड़ मरोड़ कर योग के साधक हैं एक प्रकार से हड्डी घुमाने वाले जो आज बाजार में योग को को व्यापार की दृष्टि से इसे देखेंते हैं ।उनको देखने के लिए काफी है कि स्वामी राम जी मानवता की मूर्ति रही है।उनको सही योग के बारे में जानकारी लेने की जरूरत है। ।स्वामी जी ने मानव सेवा के लिए उत्तराखंड को देश का सर्वोच्च स्वास्थ्य सेवा के लिए एक मंदिर बनाकर प्रदेश एवं देश के लिए मील का पत्थर सावित किया। लोगों की सेवा करने का अवसर डॉ स्वामी राम स्वामी जी ने कभी नहीं गंवाया । मानव सेवा के साथ-साथ उत्तराखंड में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1973 -74 में गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर को पुस्तकों के लिए अनुदान दिया और उत्तराखंड में आई देवी आपदा वर्ष 1991 भूकंप के समय उत्तरकाशी टिहरी जनजीवन को पटरी पर लाने के लिए मानवीय सहायता का कार्यक्रम चलाया। स्वामी जी का जन्म19 25 पौड़ी जनपद के तुली गाँव में हुआ ।स्वामी राम जी किशोरावस्था में संन्यास की दीक्षा ली और 13 वर्ष की अल्पायु में धार्मिक जगहों में हिंदू और बौद्ध धर्म की शिक्षा देना शुरू किया । 24 वर्ष की आयु में बानारस , लंदन से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने कार्वी रिपीट पीठ के शंकराचार्य पद को सुशोभित किया । अपने गुरु के आदेश पर विदेशों में पश्चिम सभ्यता को योग और ध्यान का मंत्र देने के लिए वर्ष 1970 अमेरिका पहुंचे 1970 में उन्होंने अमेरिका में वैज्ञानिक का परीक्षण ओर प्रश्नों से वहां के लोगों को योग सर्वश्रेष्ठ शरीर सुरक्षा का साधन है उसे सिद्ध करने के लिए शरीर और मन से संबंधित चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों को मान्यता दिलाने के लिए सफल रहे । वर्ष 1973 उन्होंने इनसाइक्लोपीडिया ,ब्रिटेन की ईयर बुक ऑफ साइंस नेचर, वर्ष 74 वर्ल्ड बुक ऑफ साइंस एनुअल में उनका योग से संबंधित परीक्षण को प्रकाशित किया गया । उन्होंने उत्तराखंड की विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में देखते हुए। यहां के रहने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधा देने का संकल्प लिया और जौलीग्रांट में हिमालयन हॉस्पिटल की स्थापना करने का सपना देखा । उन्होंने अपने सपने को साकार देने के लिए वर्ष 1990 गढ़वाल हिमालय की खुसहाली के लिए , शोभा बढ़ाने के लिए बढ़ाने के लिए मानव सेवा का बहुत बड़ा संस्थान हिमालयन हॉस्पिटल ट्रस्ट की स्थापना की । ग्रामीण क्षेत्रों को स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए आवश्यकता उन्होंने महसूस की। उन्होंने रूलर डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट सरू कर रोजगार के अबसर दिये । वर्ष 1994 में हिमालयन अस्पताल की स्थापना की देश में डॉक्टरों के कमी को प्रमुखता से देखते हुए उन्होंने 1995 में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की उनके महान कार्यक्रम को सुयोग्य कुलपति डॉक्टर विजय धस्माना आगे बढ़ाने के लिए बड़े मनोयोग से मानव सेवा के लिए उनके सपनों को साकार करने के लिए कार्य कर रहे हैं। स्वामी राम योगियों में सही मायने में जनसेवा मानव सेवा के लिए समर्पित रहे हैं और सही मायने में योगी रहे उनका मानव सेवा के लिए ।मानव के जीवन में हमेशा जिंदा रहने वाले कार्यों को करने के लिए उन्होंने कार्य किया है। डॉ स्वामी राम सही मायने में विश्व के स्वामी ,सन्तों ,योगियों के लिए अनुकरणीय हैं।