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कोल्हू का बैल

Pahado Ki Goonj

कोल्हू का बैल । 

मेरे बहुत मित्र भाजपा और बहुत कोंग्रेस विचारधारा में प्रवाह कर रहे है। सब से मित्रता बराबर है वो अलग बात है कि हमारी विचारधारा ब्यक्ति,शक्ति व भक्ति पर निर्भर करती है। हम अभाव,प्रभाव,स्वभाव व भाव में तत्काल निर्णय लेते है। कार्यक्षेत्र,कार्यक्षमता,कार्यशैली व कार्यकर्ता पर हम दाव खेलते है। इस में न रिश्ता काम करता है न कोई नाता क्यों कि नेतृत्वकर्ता चाहे पंचायत का हो या देश का उस ब्यक्ति का दायित्व बराबर होता है। देश गाँव प्रदेश पहले है बाकी सब क्षण भर का।

बात 1991 की है जब तमिलनाडु के मधुराई में एल टी टी द्वारा राजीब गाँधी की हत्या करा दी गई । वो दौर कोंग्रेस के लिए बहुत मुश्किल भरा था और देश के लिए बहुत कठिन परिश्रम का दौर था। देखा जाय तो टेक्नोलॉजी का युग वहीं से सुरु हुआ देश को ATM उसी दौर में मिला। कोई अन्य पार्टी वाला मेरी आलोचना कर सकता है लोकतंत्र व सोशलमीडिया इस की पूरी आजादी देता है और मेरी ओर से तो मुझे आप अश्लील गालियां भी दे सकते हो। क्यों कि संस्कर कहते है बंदा नही।
खैर आज कोंग्रेस 1991 के उसी दौर पर खड़ी है जहाँ आगे सिर्फ और सिर्फ खाई दिखाई दे रही है। कोंग्रेश कोल्हू का बैल बन चुकी है। घूम फिर के पार्टी गाँधी परिवार पर आरही है। सोनिया गाँधी व राहुल गाँधी के सिवाय उन को कुछ नही दिखता जब कि देश को सक्षम विपक्ष राजस्थान से मिल सकता था। कुछ बड़े दिग्गज कहे जाने वाले नेताओं ने अपना उल्लू सीधा किया बाकी कुछ नही। कोंग्रेस पार्टी पर जौंक की तरह चिपके बड़े नेताओं से पार्टी को गटर में धकेलने का जो काम किया उन की औलादें वही कार्य दोहरा करहे है।
अखिल भारतीय कोंग्रेस को किसी पार्टी ने खत्म नही किया बल्कि उन की अपनी नीति व उन के अपने पिस्सू कार्यकता। जिन्होंने धरातली कार्यक्रमों का पैसा लूट घसूट दिया। हाल के लोकसभा चुनाव में पोलिंग बूथ तक खर्चा पानी नही पहुंचा। मनीष खंडूरी की दुर्गति हरीश रावत की दुर्गति किसी ओर ने नही किया इन के अपने कार्यकर्ताओं का किया धरा है। प्रीतम सिंह का जितना तय था मगर भिविषण व जयचंदों से भरी कोंग्रेस प्रीतम सिंह को ले डूबी। छूट भाई नेताओं ने पार्टी की कब्र खोदने में कोई कमी नही किया। यह कोंग्रेस को 100 साल पीछे ले गई।
सोनिया गाँधी हो या कोई अन्य गाँधी कोंग्रेस को गाँधी परिवार से बाहर झांकना होगा अन्यथा जो कार्यकर्ता धरातल पर कुछ दम भर भी रहा है उस का दम निकल जायेगा। नीतिकारकों को सोचना पड़ेगा कि अब गाँधी का सिक्का बदल चुका है। सिक्कों में अंगूठे के निसान छपने लग गया है।

वर्तमान समय में देश को मजबूत विपक्ष की जरूरत है। देश में ही नही 19 राज्यों में विपक्ष खत्म हो चुका है जिस कारण हालात हिटलर राज की याद दिला रहे है। मनमर्जी से चल रहा उत्तराखंड राज्य इस का प्रमाण है। शराब नीति शिक्षा की कुदसा है चिकित्सा रसातल में उत्तराखंड का हालिया बयां है। अधिकारियों पर लगाम नही कर्मचारियों की किसी को सुध नही। जनता का शोषण आने वाले खतरे की आहट दे चुका है।

देश में कोंग्रेस गाँधी परिवार के इर्दगिर्द कोल्हू का बैल बन चुका है और प्रदेश में जनता भाजपा की नीतियों का कोल्हू का बैल बना है। मजबूरी में न चाहते हुए भी इन की नीतियों के चक्कर काटने पड़ रहे है। सदन में विपक्ष की कुर्सी पहली बार खाली हुई है। जो हाल विपक्ष का लोकसभा राज्यसभा में है वही हाल भाजपा शासित प्रदेशों में भी है। उस के लिए कोंग्रेस जिम्मेदार है। जिस का खामियाजा देश भुगत रहा है।
कोंग्रेश हर वक्त भाजपा नीतियों के खिलाप चिल्लाती है मगर जब लोकसभा राज्यसभा में किसी बिल पर बहस होनी होती है तो इस पार्टी के सभी नेता सदन से नदारत रहते है और इन के घटक दल कहीं नही दिखाई देते। बिगत दिनों 3 तलाक पर रोने वाली विपक्ष सदन से बाहर चिल्ला रही थी मगर इन के 30 सांसद सदन से नादारत थे। रामजेठमलानी, सरद पंवार जैसे लोग सदन में मौजूद नही थे। धारा 370 व 35 Aके मुद्दे पर भी विपक्ष सदन के बाहर चिल्ला रहा था मगर सदन में गुलामनबी आजाद कपिल शिब्बल के सिवाय किसी ने डिफेंड नही किया। और उन दोनों के तर्क भी किसी के समझ में नही आये।

उत्तराखंड की तरह अनेकों राज्यों में कोंग्रेस के अनेकों धड़े बने है। उत्तराखंड में कोंग्रेस का घटक दल यूकेडी खत्म हो चुकी है और कोंग्रेस में 4 धड़े बन चुके है। चारों धड़ों में मुख्यमंत्री बन चुके है मगर धरातल पर कोई प्रधान बनने के लायक नही है। इन लोगों को पार्टी मजबूत करनी थी वे खम्बे की जड़ खोद रहे है। लगभग देश के हर राज्य से कोंग्रेस के घटक दल विश्वास खत्म कर चुकी है। पंजाब उम्मीद टिकाए बैठे है मगर वहां के हालात भी एक टांग पर टिके है।

अब कोंग्रेस को ही नही समूचे देश को सोचना होगा कि विपक्ष कैसे मजबूत हो। कोंग्रेस को अगर जनता का विश्वास जीतना है तो जनता के बीच में जाकर जनता की आवाज बनना पड़ेगा। धरातल पर जुड़ना होगा और देश को शक्षम विपक्ष देना होगा। कोन होगा वह जो विपक्ष की भूमिका सही से निभाएगा। किसी अन्य पार्टी में फिलहाल दम नही दिखता है और कोंग्रेस मानने को तैयार नही। एक सत्य यह भी है कि किसी अन्य पार्टी में इतना बड़ा साहस भी नही।

देवेश आदमी

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