(जीतमणि पैन्यूली सम्पादक की रिपोर्ट )
उत्तराखंड में अब इन प्रत्याशियों की घोषणा के बाद टिहरी सीट पर अब सीधी टक्कर दो बार की सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के बीच मानी जा रही है। टिहरी में जहां रानी का वर्चस्व है तो जौनसार में बड़े नेता के तौर पर प्रीतम सिंह पहचाने जाते हैं। वह 5 बार विधायक एवं 2 बार मंत्री पद पर रहते हुए उत्तरकाशी जनपद के प्रभारी मंत्री पिछली सरकार में रहे। इस चुनाव में खास बात कांग्रेस के लिए यह है कि उन्होंने प्रत्यासी का चयन पौड़ी गढ़वाल से ब्राह्मण जाति के प्रत्याशी मनीष खंडूरी को टिकट दिया तो वहीँ टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से छेत्रिय जाति के प्रीतम सिंह को चुनाव में उतारा है बीजेपी यहाँ यह समीकरण करना भूल गई इससे यह बात साफ होरहि है कि गढ़वाल मंडल के लोकसभा चुनाव में जातीय समीकरण को महत्व नहीं देकर उत्तराखंड के चुनाव को कांग्रेस के लिए आसान करदिया तो गढ़वाल की दो सीट को चुनाव बीजेपी ने रोचक बना दिया ।
वहीं हरिद्वार में मौजूदा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को टक्कर देना अंबरीष कुमार के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा।क्योंकि अमरीश कुमार हमेशा पहाड़ के लोगों के विरूद्ध बयान दिया करतें हैं ।हरिद्वार में साधुसंतों एवं टिहरी गढ़वाल के टिहरी बांध विस्थापित गांवों की हरिद्वार चुनाव में निर्णायक वोट है।डॉ निशंक पूर्व चुनाव में करीब 2 लाख मतों से मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को 2014 के लोकसभा चुनाव में हरा चुके हैं और निशंक को प्रदेश राजनीति का बड़ा चेहरा माने जाते हैं।
पौड़ी में भी मुकाबला कम टेढ़ा नहीं है। एक तरफ अपने पिता से बागी मनीष खण्डूड़ी मैदान में हैं तो भाजपा ने भी पूर्व मुख्यमंत्री खण्डूड़ी के ही सबसे करीबी शिष्य और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत को टिकट दिया है। जो अपने गुरू के आशीर्वाद से चुनाव लड़ रहे हैं।परन्तु वोटर गुरू के आशीर्वाद को देखते हुए वोट नहीं देगा। बजाय सीट के जातीय समीकरण को देखते हुए देगा।
अल्मौड़ा में मुकाबला बराबर का है। अजय टम्टा और प्रदीप टम्टा बराबर जनाधार रखते हैं। हालांकि पिछले चुनाव में अजय टम्टा ने प्रदीप टम्टा के खिलाफ बड़ी जीत हासिल की थी और इस बार फिर कांग्रेस को उनसे ज्यादा मज़बूत प्रत्याशी नहीं मिल पाया, इसलिए सिटिंग राज्यसभा सांसद को फिर मैदान में उतारा गया है।
सबसे बड़ा मुकाबला कांग्रेस के महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बनाम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के बीच माना जा रहा है। लोकसभा के लिए ये सीट दोनों के लिए नई है। अजय भट्ट को प्रदेश में भाजपा के जनाधार का सबसे ज्यादा श्रेय दिया जाता है तो प्रदेश में कांग्रेस के लिए तुरूप के इक्का हरीश रावत माने जाते हैं। दोनों के बीच की प्रतिद्वंद्विता भी हरीश रावत के कार्यकाल में देखी जा चुकी है। हरीश रावत ने मुख्यमंत्री रहते 50 से ज्यादा लोगों को राज्यमंत्री के दायत्व से नवाजा परन्तु उनके द्वारा हरीश रावत को कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिल सका। जब अजय भट्ट नेता प्रतिपक्ष और साथ में प्रदेश अध्यक्ष भी थे। बीजेपी ने अजय भट्ट के ऊपर भरोसा रखते हुए उनको दोनों जूमेदारी देकर उत्तराखंड की राजनीति में पहली बार नेता प्रतिपक्ष व पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष के पद से अजय भट्ट पर विश्वास जताया यह अपने आप मे उत्तराखंड बीजेपी के नेताओं को अलग सन्देश दिया। उस पर अजय भट्ट खरे उतरते हुए आजभी दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहते हुए बीजेपी परिवार को बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं यह नैनीताल लोकसभा छेत्र के लोगों के लिए गौरव की बात है।यह चुनाव पार्टी के सांसद पूर्व मुख्यमंत्री भगतसिंह कोश्यारी के स्वास्थ्य के चलते कितना समय दे पाते हैं।उन पर निर्भर भी करता है।
कांग्रेस को विजय प्राप्त करने का हथियार मिलगया
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कहते रहे कि हमारी पार्टी मिनिमम इनकम देश की जनता को सत्ता में आने पर देंगें ।जिसका खुलासा राहुल गांधी ने 30%वोटर परीवारों को उनके रोजगार की आय के बाद का जो फर्क होगा उस अंतर को वह सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार 72000 ₹ साल के हिसाब से जनता को देगी। यह स्वप्न कांग्रेस ने विजय प्राप्त करने के लिए अस्त्र तैयार कर दिया है।अब इसको कम समय में जनता के बीच मे लेजाने में कांग्रेस कितनी सफल होती है।यह भविष्य के गर्भ में है।