गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर नहीं रहे, 63 की उम्र में ली अंतिम सांस
देहरादून’वंदना रावत शिखा पुंडीर:गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का 63 की उम्र में शनिवार को निधन हो गया. पर्रिकर लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. वह पैनक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे. राष्ट्रपति ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी. इससे पहले खबर आई थी कि उनकी सेहत बेहद गंभीर हैं और डॉक्टर पूरी ताकत लगा रहे हैं.उन्होंने अमेरिका, दिल्ली और गोवा में कैंसर का इलाज कराया. अपने आखिरी दिनों में भी पर्रिकर काम में लगे रहे. बीमारी के दिनों में ही उन्होंने गोवा का बजट पेश किया और राज्य का काम बखूबी संभाला.पर्रिकर को 31 जनवरी को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था. हाल ही में बीमार मुख्यमंत्री ने 3 मार्च को गोवा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच) में चेक-अप कराया था. फरवरी में पर्रिकर का जीएमसीएच में एक ऑपरेशन भी हुआ था.कुछ दिनों पहले गोवा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर और बीजेपी विधायक माइकल लोबो ने बयान दिया था कि मनोहर पर्रिकर बहुत बीमार हैं. लोगों को समझना होगा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है. लोबो ने कहा कि पर्रिकर को जो बीमारी हुई है, उसका कोई इलाज नहीं है. भगवान की कृपा से वह अब भी जीवित हैं. भगवान ने उन्हें काम करने का आशीर्वाद दिया है.बता दें कि इस साल 30 जनवरी को मनोहर पर्रिकर ने नाक में ट्यूब लगाकार गोवा का बजट पेश किया था. इस दौरान उन्होंने कहा था, ‘आज मैं एक बार फिर वादा करता हूं कि मैं पूरी ईमानदारी, निष्ठा और समर्पण के साथ और अपनी अंतिम सांस तक गोवा की सेवा करूंगा. मुझमें काफी जोश है और मैं पूरी तरह होश में हूं.’बता दें कि देश के पूर्व रक्षामंत्री और गोवा के वर्तमान सीएम मनोहर पर्रिकर कैंसर से पीड़ित थे. लंबे वक्त से उनका इलाज चल रहा था
गोवा के मुख्यमंत्री एवं पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर नहीं रहे उनके कदमों सम्वेदना देने वाले नेता दो कदम भी चले तो देश कल से सोने की चिड़िया होजाएगी।सभी नेताओं ने अपने जीवन के समय उनके साथ विताये दिन की यादों को साजा किया ।और अपूर्ण छति उनके देहांत होने पर बताया ।सभी ने कहा कि हम उनके दुख में उनके परिवार के साथ है।परन्तु इस दुख की घड़ी में देश के दुख को देखते हुए उसे बचाने के लिए किसी नेता ने अपने सम्बोधन में यह नहीं कहा कि हम अपने आप को उनके पद चिन्हों पर चलेंगे। यदि दुख व्यक्त करने वाले लोगों में कोई कहता कि हम उनकी मौत के बाद एक आदर्श देश बनाने के लिए स्वर्ग वासी मनोहर पर्रिकर के पद चिन्हों पर चलने का प्रयास करेंगे।तो लगता कि हमारे देश के नेताओं के अन्दर देश भगति जागृत होती नजर रही है।पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया ।इससे लगता है कि जनता के धन से चलने वाले लोकतंत्र में गोवा जाकर नेताओं के द्वारा धन की बर्बादी करने के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घण्टी दिखाई दे रही है।