ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा मन का स्वामी ग्रह है और मनुष्य का मन कहीं ना कहीं हमेशा चलता रहता है किसी भी व्यक्ति का मन खाली नहीं रह सकता वह शुभ-अशुभ कुछ ना कुछ चिन्तन जरूर करता रहेगा। प्रभु चिन्तन नहीं करेगा तो विषय चिन्तन करेगा। प्रभु चिन्तन से मोह की निवृत्ति हो जाती है और मन पवित्र होता है।
ज्यादा विषय भोग के चिन्तन से इन्हें प्राप्त करने की तीव्र इच्छा प्रगट हो जाती है और प्राप्त ना होने पर मन अशान्त और परेशान हो जाता है। विषयोपभोग से वुद्धि जड़ हो जाती है। जड़ वुद्धि में शुभ संकल्प , शुभ विचार जन्म नहीँ ले पाते।
मनुष्य पहले विचार करता है और अपने विवेकानुसार उसे करने की योजना बनाता है। संकल्पानुसार हाथ पैर सब करने को तैयार होते हैं। यहाँ से पाप और पुण्य दोनों हो सकते हैं। जीवन को आनंदमय बनाने के लिए जरुरी है मन को ज्यादा से ज्यादा सत्य, स्वाध्याय ,सत्संग , और भगवान के आश्रय में लगाया जाए ताकि मन को गलत जगह पर जाने के अवसर ही ना मिले ।
सीताराम जय सियाराम
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Fri Feb 1 , 2019