*प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना मे भी धांधली।*
——————————————–देवबंद । रोज रोज विज्ञापनों के माध्यम से “प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना” का प्रचार हो रहा है, मगर जब कोई गरीब व्यक्ति किसी जन सुविधा केन्द्र पर जाता है, तो वहा नैट पर देखने के बाद पता चलता है , कि उनका नाम वर्ष 2011 की सर्वे लिस्ट मे नही है और वह निराश होकर लौट आता है ।
जब इस सम्बंध मे अधिकारियों से जानकारी की गई तो उन्होने बताया, कि वर्ष 2011 मे तत्कालिक सरकार ने एनजीओ के माध्यम से आर्थिक सर्वेक्षण कराया था । उसी सर्वेक्षण के आधार पर प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के लिए पात्रों का चयन किया गया है । जब हमने विभिन्न जन सुविधा केन्द्रों से जानकारी की तो यह जानकारी मिली की अधिकांश रूप से लिस्ट मे छोटे तबके के सक्षम लोगों के नाम है । वास्तव मे गरीब और खास कर गरीब सवर्णों का नाम नही है । इस बात से यह बात स्पस्ट होती है, कि स्वर्ण जो मजदूरी करके या आठ दश हजार या कम की नौकरी करके अपने बच्चों को पाल रहा है, वह गरीब नही है । जबकि दलित, पिछडे, अल्पसंख्यक सरकारी नौकरी व अपनी दूकान चलाने वाले गरीब है और आयुष्मान योजना का लाभ वो पा सकते है । यह कैसी विडम्बना है, कि स्वर्ण आरक्षण 10% मे आठ लॉख तक वार्षिक आय वाले समाहित है, फिर यह आर्थिक आधार पर आरक्षण कैसे है । वास्तव मे गरीब स्वर्ण के लिए तो कही भी किसी भी योजना मे स्थान नही है । हर जगह सक्षम ही फायदा उठायेंगा । दुर्भाग्य की बात यह है, कि सरकारे एनजीओ के माध्यम से कार्य व सर्वे पारदर्शिता के लिए कराती है, मगर अधिकांश एनजीओ राजनेताओ या उनके ही चेलों के है, तभी तो निष्पक्ष कार्य नही होता है । ऐसा ही वर्ष 2011 के आर्थिक सर्वेक्षण मे भी हुआ है । हमने नगर के अलग अलग वार्डों मे लोगों से पूछा क्या वर्ष 2011 मे आपके घर पर कोई टीम आपकी बदहाली, गरीबी की जानकारी करने आई थी तो अधिकांश को इस सम्बंध मे कोई जानकारी नही थी । सर्वेक्षण करने वालों ने वोटर लिस्ट लेकर घर बैठे बैठे सर्वेक्षण कर लिया तथा ओपचारिक्ताए पूरी करली थी । सच्चाई अब उस समय आम लोगों के सामने आरही है ,जब कोई गरीब व्यक्ति जन सेवा केन्द्र पर फार्म भरने जाता है । आयुष्मान भारत योजना के फार्म भरने के लिए तारीख की घोषणा सम्बंधी जानकारी दी जा रही है । शासन प्रशासन को तुरन्त इस ओर ध्यान देते हुए समस्त पात्र व्यक्ति को योजना का लाभ दिलाना चाहिए ।