देहरादून:मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आहवाहन किया कि राज्य के सभी इक्कतीस विश्वविद्यालय अपने-अपने आसपास के क्षेत्रों मंे सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन लाने के लिए शोध कार्य करे। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों को विकास में राज्य सरकार का सहयोगी बनना होगा। उन्होंने कहा कि गुणवतापूर्ण शिक्षा आज के समय का ज्वलंत मुद्दा है। डिजिटल व तकनीकी युग में दुनिया बहुत छोटी हो गई है तथा शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। हमें क्वान्टिटी के बजाय क्वालिटी एजुकेशन पर ध्यान देना होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड में महाविद्यालय, विश्वविद्यालयों, तकनीकी व प्रोफेशनल संस्थानों की संख्या राज्य के भौगोलिक व आर्थिक परिस्थितियों के सापेक्ष पर्याप्त है। राज्य सरकार उच्च शिक्षा की गुणवता में सुधार हेतु निरन्तर प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को एसजीआरआर मेडिकल काॅलेज में आयोजित उच्च शिक्षा विभाग में सातवे वेतनमान दिए जाने के उपलक्ष्य में आयोजित आभार कार्यक्रम में उपस्थित प्रदेशभर के उच्च शिक्षा के शिक्षकों को सम्बोधित किया।
ऐतिहासिक इन्वेस्टर समिट के परिणामों की धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा-मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में राज्य हाल ही में आयोजित ऐतिहासिक इन्वेस्टर समिट के परिणामों की हमें धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करनी होगी। इस सम्बन्ध में मुख्य सचिव को इन्वेस्टर समिट के प्रस्तावों की हर सप्ताह समीक्षा के निर्देश दिए गए है। इन्वेस्टर समिट के पहले सप्ताह हमनें लगभग 200 उद्योगों से फाॅलोअप बातचीत की। परिणामस्वरूप 30000 करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव व 4000 करोड़ रूपये के एक्सपेन्शन प्रस्तावों पर बातचीत हो गई है। इन्वेस्टर समिट ने राज्य के दूरस्थ क्षेत्रोें को छुआ है।
एक महीने में पांच कैबिनेट व सत्रह नीतिगत निर्णय
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक विकास सुनिश्चित करने के लिए हमने बहुत से नीतिगत निर्णय किए। हमने एक महीने में पांच कैबिनेट की तथा सत्रह नीतिगत निर्णय लिए। जनहित से जुड़े निर्णय तेजी से लिए जा रहे है। पर्यटन को उद्योग का दर्जा, तेरह नए पर्यटक स्थल विकसित करना, सिंगल विण्डों सिस्टम, आवास नीति में परिवर्तन आदि से राज्य में विकास की गति तेजी मिलेगी।
राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में ढाई एकड़ भूमि पर यूनिवर्सिटी स्थापित करने की अनुमति
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में ढाई एकड़ भूमि पर यूनिवर्सिटी बनाने की अनुमति दी जा रही है। राज्य की पर्वतीय भौगालिक स्थिति व भूमि की उपलब्धता को देखते हुए यूनिवर्सिटियों को पर्वतीय क्षेत्रों में स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
होम स्टे को डाॅमेस्टिक रेट पर बिजली उपलब्धता-मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार होम स्टे योजना को प्रोत्साहित करने के लिए होम स्टे को बिजली डाॅमेस्टिक रेट पर उपलब्ध करवाएगी। इससे लोगो को अपने गांव में ही रोजगार मिलेगा व पलायन पर प्रभावी अंकुश लगेगा।
उत्तराखण्ड आॅपन एयर फिल्म थियेटर-मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नई फिल्म नीति व फिल्मों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के प्रयासो के परिणामस्वरूप बाॅलीवुड व दक्षिण भारतीय फिल्म इण्डस्ट्री का रूझान उत्तराखण्ड की ओर तेजी से बढ़ रहा है। अभी तक 100 से अधिक फिल्मों की शूटिंग राज्य में हो चुकी है। बड़े फिल्म बैनर राज्य में अपने फिल्मों की शूटिंग राज्य में करना चाहते है। इससे स्थानीय प्रतिभाओं के लिए नए कैरियर विकल्प व रोजगार के अवसर खुल रहे है। राज्य सरकार इस क्षेत्र में मिशन मोड पर कार्य कर रही है।
अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना हमारी पीड़ा व भावनाओं से जुड़ी योजना- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में संवेदनशीलता और आधुनिक तकनीकी सुविधाओं से सुधार किया जा सकता है। अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना हमारी पीड़ा व भावनाओं से जुड़ी योजना है। राज्य में तेजी से रोज औसतन 10000 गोल्ड कार्ड बनाए जा रहे है। अभी तक 79000 से अधिक कार्ड बन गए है। अधिकारियों से इस सम्बन्ध में दैनिक रिपोर्ट ली जाती है। आशा है कि आगामी छः माह में राज्य के सभी परिवार अटल आयुष्मान योजना से आच्छादित हो जाएगे। इस कार्य में और अधिक तेजी लाने के लिए अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। जल्द ही राज्य में एयर एम्बुलेंस आरम्भ होने जा रही है। राज्य सरकार द्वारा बागेश्वर की घटना में समय पर एयर एम्बुलेन्स की सेवा पहुचाकर अधिकाधिक लोगों की जान बचाई जा सकी।
पर्वतीय वास्तुकला व भवन निर्माण शैैली को प्रोत्साहन -मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार स्थानीय संसाधनों पर आधारित विकास पर फोकस कर रही है। उत्तराखण्ड के परम्परागत भवन निर्माण शैली व वास्तुकला पर बनने वाले भवनों को एक फलोर और बनाने की अनुमति दी जाएगी। इस पहल से हमारी परम्परागत कला व सस्ंकृति को दुनिया के सामने पहचान मिलेगी।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा डा0 धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी, विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य उपस्थित थे।