गैरसैंण राजधानी आंदोलन के 53 वें दिन भी शीला रावत ने किए नीति नियंताओं पर तीखे प्रहार
जनता को निरीह प्रजा समझने की भूल न करे आज की सरकारों के राजा-महाराजा : शीला रावत
देहरादून :राज्य आंदोलन कारी मनोज ध्यानी ने बताया कि गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के सदस्यों द्वारा धरना 53वाँ दिवस में दिया गया।विदित हो कि गैरसैंण उत्तराखंड प्रदेश की स्थाई व पूर्णकालिक राजधानी बनाने की मांग को लेकर गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के बैनर तले आंदोलनकारी अनिश्चित कालीन धरना पर संघर्ष स्थल, परेड ग्राउंड में विगत 17 सितम्बर 2018से बैठे हुए हैं।
आंदोलनकारियों ने अपना धरना निकाय चुनाव व दीप पर्व के मध्य भी जस का तस जारी रखा है| जहाँ दीपावली (52वें दिवस) के रोज प्रख्यात समाजसेविका शीला रावत ने अपने कर कमलों द्वारा धरना कार्यक्रम को दीप प्रज्वलन कर शक्ति प्रदान की वहीं आज 53वें दिवस पर भी उन्होंने राज्य के नीति नियंताओं पर कठोर तंज कसते हुए निशाना साधा| सुश्री शीला रावत ने कहा कि आज के जन प्रतिनिधि विधानमंडल के भीतर पहुंचने ही अवाम के मुद्दों से दूरी बनाने लगते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के आज के राजनेता जो स्वयं को राजा-महाराजा समझते हैं, जनता को निरीह समझने की गलती न करें। उन्होंने गैरसैंण समेत विभिन्न मुद्दों पर नीति नियंताओं की खामियों को खूब उजागर किया| इससे पूर्व भी उन्होंने दीप पर्व अवसर पर कहा कि उत्तराखंड प्रदेश आंदोलन के मूल में बेरोजगारी की समस्या को हटाना प्रमुख था। जबकि आज की सरकारें उस भावना के विपरीत कार्य करते हुए, न तो रोजगार सृजित कर पा रही हैं बल्कि जो रोजगार पर लगे हुए हैं उन्हें भी कोई न कोई बहाना बना कर हटा रही हैं| उन्होंने कहा कि यह एक ट्रेंड बन रहा है कि किसी तरह पहले बेरोजगारों की टेम्परेरी भर्तियाँ की जाएं और बाद में उन्हें बहाना बनाकर निकाल बाहर कर दिया जाए| उन्होंने कहा कि ऐसा गेस्ट टीचर, शिक्षा प्रेरक, यूसैक विभाग, गुरिल्लाओं आदि सबके साथ सिलसिलेवार हो रहा है व सबको बेरोजगारी के दलदल में धकेला जा रहा है। शीला रावत ने इसे सरकार की नीतिगत विफलता ( Policy Failure) बताते हुए बडे सुधार करने की जरूरत पर बल दिया। शीला रावत ने कहा कि गैरसैंण को पूर्णकालिक व स्थाई राजधानी बनाकर प्रदेश को राज्य आंदोलन की अवधारणा की पटरी पर खड़ा किया जा सकता है। आज 53वें दिवस के धरना पर बैठने व समर्थन देने वालों में राज्य आंदोलनकारी मनोज ध्यानी, युवा नेता सुभाष रतूडी, पूर्व पार्षद रविन्द्र प्रधान, वयोवृद्ध आंदोलनकारी कृष्ण काँत कुनियाल, कृष्ण काँत कुनियाल, उक्राँद नेता देवेन्द्र चमोली, सुश्री शीला रावत, सुरेश नेगी आदि प्रमुख थे।