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मीरा महोत्सव, समिति और जिला प्रशासन की खामियों को उजागर करता हुआ नजर आ रहा है

Pahado Ki Goonj

 गोपाल चतुर्वेदी  चित्तौड़गढ़ । हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय मीरा महोत्सव कार्यक्रम महज एक औपचारिकता बनकर रह गया जिसमें मीरा महोत्सव समिति द्वारा महज आयोजन को लेकर खानापूर्ति की गई हैं , वही जबकि आमजन में इसकी किसी भी प्रकार की कोई भागीदारी नजर नहीं आ रही है सिर्फ महोत्सव समिति से जुड़े हुए सदस्यों के अलावा महोत्सव में आम आदमी का जुड़ाव ना होना कहीं ना कहीं मीरा महोत्सव समिति और जिला प्रशासन की खामियों को उजागर करता हुआ नजर आ रहा है

कहने को तो कहने को तो इस वर्ष भी सिर्फ दिखावे के लिए मीरा महोत्सव के तीन दिवसीय कार्यक्रमों का आयोजन किया गया मगर जिला प्रशासन एवं मीरा महोत्सव समिति की उदासीनता के चलते इस वर्ष मीरा महोत्सव सिर्फ औपचारिकता बनकर ही रह गया जिला कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी इंद्रजीत सिंह द्वारा विधानसभा क्षेत्र में निषेधाज्ञा का हवाला देकर इस ऐतिहासिक मीरा महोत्सव को महज एक खानापूर्ति बना कर दिया इसी खानापूर्ति में मीरा महोत्सव के नाम पर लाखों रुपए पानी में बहा दिये मीरा महोत्सव समिति द्वारा तीन दिवसीय कार्यक्रमों में आज तीसरे दिन दुर्ग स्थित मीरा मंदिर प्रांगण में सुप्रसिद्ध भजन गायक का शिल्पी मिश्रा एवं भजन गायक गोपाल पांचाल द्वारा कुछ भजनों की प्रस्तुतियां दी गई मगर इन भजनों की प्रस्तुतियों को सुनने के लिए महज 20 से 30 मीरा महोत्सव समिति के पदाधिकारी भी मौजूद रहे इसका मुख्य कारण जिला प्रशासन एवं मीरा महोत्सव समिति द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं करना मुख्य कारण रहा आखिरकार चुपके चुपके इस एतिहासिक कार्यक्रम को आयोजित करने का मुख्य कारण क्या रहा जिन कार्यक्रमों का प्रतिवर्ष चित्तौड़गढ़ की आम जनता बेसब्री से इंतजार करती है आखिरकार जिला प्रशासन एवं मीरा महोत्सव समिति के पदाधिकारी इसका जवाब दे पायेंगे की तीन दिवसीय महोत्सव कार्यक्रम को महज एक औपचारिकता क्यों बना कर रख दिया

ज्ञात रहे की मंगलवार को निषेधाज्ञा के चलते ही भारतीय जनता पार्टी की एक विशाल कमल वाहन रैली ने पूरे विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया था

क्या सिर्फ मीरा महोत्सव जैसे ऐतिहासिक कार्यक्रमों एवं दशहरा मेला को लेकर ही निषेधाज्ञा लागू की जाती है जबकि जिले में अन्य सभी स्थानों पर दशहरा मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम व कवि सम्मेलनों का आयोजन किया गया या सिर्फ चित्तौड़गढ़ विधानसभा क्षेत्र को छोड़ कर कई अन्य स्थानों पर निषेधाज्ञा लागू नहीं की गई यह बड़ा ही रोचक तथ्य है

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