सरकार की शिक्षा नीति का सच -हरीश रमोला
उत्तराखंड के लिए यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है, गांव के एक स्कूल को कम छात्र संख्या बता कर सरकार बंद करा देती है और अगले दिन उसी जगह उसी स्कूल भवन में विद्या भारती का स्कूल खोल देती है, जो की भाजपा का वैचारिक प्रचार का शैक्षणिक प्रकोष्ठ है। यूं समझ लिजिये गांव के बच्चों को कहा जाता है कि अगर तुम्हारे पास पैसे नहीं है और तुमको सरकारी स्कूल में ही पढ़ना है तो पांच किलो मीटर के दूर के स्कूल में जाइये। यदि अपने ही गांव के इसी स्कूल में पढ़ना है तो अब यह नीजी स्कूल है, यहां ज्यादा फीस देनी होगी। ऐसे एक नहीं उत्तराखंड 2715 स्कूल बंद हुऐ हैं।
जरा गौर से देखिये इस सरकारी फरमान को, जिसे महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा उत्तराखंड, कै0 आलोक शेखर तिवारी द्वारा भाजपा सरकार के दवाब में जारी किया गया है।
जिसके बिंदु संख्या 15 पर राजकीय मान्यता प्राप्त विद्या भारती विद्यालयों को भौतिक संशाधनों हेतु समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत अनुदान उपलब्ध कराने को कहा गया है।
वहीं इस फरमान के बिंदु संख्या 17 में “दुर्गम छेत्र के ऐसे विद्यालय जो छात्र संख्या कम होने से बंद हो गये हैं उन विद्यालय के भवनों को पलायन के दृष्टि गत विद्या भारती को स्कूल संचालन हेतु उपलब्ध कराये जाने का प्रस्ताव शासन को प्रस्तुत किया जायेगा”
बेहद शर्म की बात है की किसी राज्य की सरकार गरीब आदमी के बच्चों के लिये खुले स्कूलों को कम छात्र संख्या का हवाला देकर बंद करा देती है और भाजपा की राजनीतिक विचारधारा के पोषक और प्रचारक गतिविधि में खुले रूप से सम्मिलित विद्या भारती के स्कूलों के संचालन के लिये इन्ही बंद पड़े विद्यालय के भवनों को देने का आदेश जारी कर देती है।बात यहीं खत्म नहीं होती जिन भौतिक संशाधनों से कमजोर दुर्गम छेत्र के इन गांवों के विद्यालयों के स्कूलों का सुधार करना था उसके लिये जारी बजट को भी विद्या भारती के स्कूलों पर खर्च किया जा रहा है।
अब एक बात तो स्पष्ट हो गयी की उत्तराखंड की भाजपा सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने आड़ पर विद्या भारती के प्राईवेट स्कूलों के माध्यम से दुर्गम गांवों तक भाजपा की प्रचार ईकाई गठित करना चाहती है। बीएड प्रशिक्षित बेरोजगार को रोजगार देकर स्कूलों के शिक्षकों की कमी को दूर करने की जगह उनकी बेरोजगारी का मजाक उड़ाया जा रहा है। ग्रामीण अंचल के लोगों से और बीए प्रशिक्षित बेरोजगार तथा राज्य के नौजावनों से अनुरोध है की बेलगाम हो चुकी ऐसी सरकार को मुंह तोड़ जवाब देने के लिये सड़कों पर उतर कर निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी।