सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न सरकारी योजनाओं, बैंक खातों और मोाबइल नंबर को आधार से लिंक कराने की आखिरी तारीख 31 मार्च तक बढ़ान दी है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने केंद्र सरकार के इसी संबंध में किए अनुरोध को मानते हुए यह फैसला लिया। इससे पहले, मोबाइल को आधार से जोड़ने की अंतिम अवधि 6 फरवरी 2018 थी। संविधान पीठ के अन्य सदस्य हैं, न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति अशोक भूषण हैं।
न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि आधार अनिवार्यता से संबंधित उसका यह आदेश राज्य सरकारों की योजनाओं के लिए भी लागू होगा। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को इस मामले में अंतरिम आदेश संबंधी अनुरोध पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि आधार योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई अगले साल 17 जनवरी से की जाएगी।
इससे पहले केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने संविधान पीठ को सूचित किया कि सरकार विभिन्न सेवाओं और कल्याण उपायों का लाभ प्राप्त करने के लिए उसे आधार से जोड़ने की अनिवार्यता की समय सीमा अगले साल 31 मार्च तक बढ़ाने के लिए तैयार है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नया बैंक खाता खोलने के लिए आधार की अनिवार्यता बनी रहनी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने 27 नवंबर को कहा था कि विभिन्न सेवाओं और कल्याण योजना के लाभ प्राप्त करने के लिए आधार से जोड़ना अनिवार्य करने के केन्द्र के कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार के लिए संविधान पीठ गठित करने पर विचार किया जाएगा। हाल ही में नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि संविधान के अंतर्गत निजता का अधिकार भी मौलिक अधिकार है। आधार की वैधता को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं में दावा किया गया था कि इससे निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है।