शङ्कराचार्य ने किया हिन्दू व्रत-पर्व निर्णय समिति का गठन
धर्म निर्णयालय से घोषित होगी पर्वों की तिथि
-परमाराध्य शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः जी महाराज
सं. २०८१ माघ कृष्ण दशमी तदनुसार दिनाङ्क २४ जनवरी २०२५ ई
समय का एक अपना ही महत्व है। यह परमात्मा का ही स्वरूप है। इसके दो रूप नित्य और जन्य बताए गए हैं। इनमें से नित्य साक्षात् परमेश्वर ही हैं। श्रौत-स्मार्त कर्मोपयोगी वर्ष-मासादि के रूप में गिना जाने वाला समय जन्य कहा गया है। यह जन्यकाल वत्सर, अयन, ऋतु, मास, पक्ष और दिवस के रूप में छः प्रकार का कहा गया है।
उक्त बातें परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती १००८ ने आज पर्व / तिथि की सर्वमान्य समरूपता विषय पर व्यक्त करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि कोई-कोई कालखण्ड ऐसे होते हैं जो बहुत ही लाभदायक होते हैं। इसलिए हमारे पूर्वजों-ऋषियों ने शुभ कार्यों को करने के लिए उन्हीं विशिष्ट काल खण्डों की खोज ‘मुहूर्त’ आदि के रूप में की है। दैव और पितृकर्म में उचित काल का विचार कर अनुष्ठान करने के लिए काल विचार किया जाता है। हमारे पञ्चाङ्ग इस बारे में हमारा मार्गदर्शन करते हैं।
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आगे कहा कि हिन्दू समाज में अनेक सम्प्रदाय और गणना के भेद हैं, जिनके कारण कभी-कभी एक ही पर्व दो या तीन दिन पञ्चाङ्ग में लिखे जाते हैं। ऐसे में स्वयं के सम्प्रदाय के ज्ञान की अनभिज्ञता और सम्प्रदाय में गणनाविधि की स्वीकार्यता के सन्दर्भ में जानकारी न होने के कारण सामान्य हिन्दू जब भ्रम में पड़ जाते हैं तब ऐसे में उनका मार्गदर्शन आवश्यक हो जाता है।
परमधर्मसंसद् १००८ में धर्मादेश पारित करते हुए कहा कि इस हेतु एक हिन्दू व्रत पर्व निर्णय समिति का गठन करती है, जो पूरे देश के विषय-विशेषज्ञों से मिलकर, सबसे चर्चा कर, सबके अभिमत लेकर शास्त्रीय निर्णय हिन्दू जनता के सामने उद्घोषित करेगी और धर्म निर्णयालय के माध्यम से यह कार्य निरन्तर करती रहेगी।
आज विषय स्थापना श्री अनुसूया प्रसाद उनियाल जी ने किया। चर्चा में जिज्ञेश पण्ड्या जी, सुनील कुमार शुक्ला जी, डेजी रैना जी, राघवेन्द्र पाठक जी, हर्ष मिश्रा जी, सञ्जय जैन जी आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।
प्रकर धर्माधीश के रूप में श्री देवेन्द्र पाण्डेय जी ने संसद् का सञ्चालन किया। सदन का शुभारम्भ जयोद्घोष से हुआ। अन्त में परमाराध्य ने धर्मादेश जारी किया जिसे सभी ने हर-हर महादेव का उदघोष कर स्वागत किया।
सदन में आज कुम्भ महापर्व में दब कुचलकर भगदड़ में मरे लोगों के लिए तीन बार शान्ति मन्त्र का उद्घोष कर श्रद्धाञ्जलि समर्पित की। ब्रह्मचारी कैवल्यानन्द जी के प्रति भी सदन ने शान्ति मन्त्र पढकर श्रद्धाञ्जलि समर्पित किया।