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विश्व पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए सतर्कता आवश्यक *परमाराध्य शङ्कराचार्य जी महाराज 1008

Pahado Ki Goonj

 

विश्व पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए सतर्कता आवश्यक

*परमाराध्य शङ्कराचार्य जी महाराज 1008

सं. २०८१ माघ कृष्ण सप्तमी तदनुसार दिनाङ्क 21 जनवरी 2025 ई,प्रयागराज।

यत् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे इस सिद्धान्त के अनुसार हमारा शरीर ब्रह्माण्ड का प्रतीक है। यह विश्व विराट् पुरुष का ही विग्रह है और नदियाँ उस विराट् पुरुष के शरीर की नाड़ियाँ हैं। जैसे कोई भी शरीर अन्दर की नसों नाडियों के सूख जाने या विकृत हो जाने से विकृत या विकल हो जाता हैउसी तरह हमारी नदियों के सूखने या प्रदूषित होने के परिणामस्वरूप विश्व का विकल होना स्वाभाविक है।इसलिए विश्व वैकल्य को बचाने के लिए हमें हमारी नदियों के जीवन और जल को सुरक्षित रखना ही होगा।इसके लिए यथासम्भव नदी-नालों को अलग रखना, धारा को अविरल रखना, तटबन्ध पर विराजे पेड़-पौधों की सुरक्षा करना आवश्यक है।

उक्त उद्गार आज परमधर्मसंसद् में गंगा आदि नदियों पर विचार विषय पर परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती १००८ ने कही।

आगे कहा कि नदी की भूमि, जल-जन्तु और वनस्पतियों आदि का मालिकाना नदियों का है-आवश्यक है कि हम और हमारी सरकारें उन्हें उनसे न छीनें। वे स्वयं में इतनी समर्थ हैं कि यदि उनकी सम्पत्ति उन्हीं की रहे तो सरकारों को नदियों के लिए बजट नहीं देना होगा, अपितु नदियाँ अपना और अपने किनारे पर बसे बच्चों और बच्चियों का पालन-पोषण स्वयं कर सकेंगी।देश की लगभग १५,००० नदियों में से गंगा-यमुना-सरस्वती; इड़ा, पिङ्गला और सुषुम्णा सरीखी नाड़ियाँ हैं।इनकी नैसर्गिक अविरल-निर्मल धारा विश्व पर्यावरणीय स्वास्थ्य को समीचीन बनाये रखने में समर्थ हैं।इसलिए हम हिन्दुओं को इस हेतु तत्पर रहना होगा।

कार्यक्रम का शुभारम्भ जयोद्घोष से हुआ।इसके बाद प्रश्नकाल प्रारम्भ हुआ जिसमे कुछ लोगों ने अपने प्रश्न रखे जिसका समाधान परमपूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज ने किय।

लद्दाख में पर्यावरण को बचाने के लिए सङ्घर्ष कर रहे श्री सोनम वाङ्चुक जी प्रयागराज पहुँचे।उन्होंने ज्योतिर्मठ के शङ्कराचार्य जी से भेंट कर उनसे आशीर्वाद लिया। गो-प्रतिष्ठा के लिए हो रहे यज्ञ में भाग लिया।यज्ञ शाला की परिक्रमा कर गौ आन्दोलन में अपनी सहभागिता प्रस्तुत दी।

आज परमधर्मसंसद १००८ में शंकराचार्य जी ने सानिध्य में गंगा आदि पवित्र नदियों पर चर्चा चली।
सोनम जी ने अपने उद्बोधन में कहा क‍ि भारत की संसद् में एक सीट प्रकृति और जीव जन्तुओं के लिए भी होना चाहिए ताकि उनके साथ भी न्याय हो सके और उनकी पीडा भी व्यक्त हो।उन्होंने शङ्कराचार्य जी को धन्यवाद दिया और उन्हें शङ्कराचार्य जी ने प्रमाण पत्र व उत्तरीय देकर अभिनन्दन किया।

आज संसद् के विषय की चर्चा में सुभाष मल्होत्रा,मोहन कुमार सिंह,सुनील शुक्ल,कमला भारद्वाज,संजय जैन,नचिकेता खुराना,रवि त्रिवेदी,यतीन्द्र चतुर्वेदी,सक्षम सिंह,अनुसुईया प्रसाद उनियाल,डेजी रैना,साध्वी वनदेवी आदि ने भाग लिया।

अन्त में शङ्कराचार्य जी ने परमधर्मादेश जारी किया। प्रकर धर्माधीश के रूप में श्री देवेन्द्र पाण्डेय जी ने संसद् का कुशलतापूर्वक सञ्चालन किया।

उक्त जानकारी शंकराचार्य जी के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने दी है।

प्रेषक
संजय पाण्डेय-मीडिया प्रभारी।
परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी महाराज।

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