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राष्ट्रीय खेलः स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करेंगी 141 टीमें ,जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस से लेकर हेली एंबुलेंस तक की व्यवस्था रहेगी उपलब्ध

Pahado Ki Goonj

राष्ट्रीय खेलः स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करेंगी 141 टीमें

,जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस से लेकर हेली एंबुलेंस तक की व्यवस्था रहेगी उपलब्ध*

*स्वास्थ्य विभाग ने नामित किए नोडल अफसर, बांट दी जिम्मेदारी*

*दून व हल्द्वानी के स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिए विशेष व्यवस्था*

38 वें राष्ट्रीय खेल के दौरान खिलाड़ियों और मेहमानों को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए 141 टीमों का गठन किया गया है। 28 जनवरी से लेकर 14 फरवरी तक यह टीमें अलर्ट मोड में रहेंगी। इस दौरान जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस से लेकर हेली एंबुलेंस तक की सुविधा तुरंत उपलब्ध कराई जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग ने बडे़ स्तर पर राष्ट्रीय खेलों की तैयारियां की हैं। स्वास्थ्य सचिव डाॅ आर राजेश कुमार के अनुसार-राज्य स्तर पर राज्य नोडल अधिकारी, उप नोडल अधिकारी व सह नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं। जनपद स्तर पर जिला नोडल अधिकारी मुख्य चिकित्साधिकारी और सह नोडल अधिकारी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी बनाए गए हैं। एंबुलेंस हेतु जिला स्तरीय नोडल अधिकारी नामित किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि महाराणा प्रताप स्टेडियम, रायपुर, देहरादून के धनवन्तरी ब्लॉक में 10 बैडेड अस्पताल खिलाड़ियों हेतु संचालित किया जाएगा। इसी तरह, आईजीआईसीएस स्टेडियम, गोला पार हल्द्वानी में दो बैडेट अस्पताल संचालित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि खिलाड़ियों के लिए पर्याप्त मात्रा में औषधियां, उपकरण क्रय किए जा रहे हैं।

*डाॅ टम्टा कुमाऊं और डाॅ नेगी गढ़वाल के नोडल अफसर*
-स्वास्थ्य सचिव डाॅ आर राजेश कुमार के अनुसार-डॉ० तरूण टम्टा, प्रमुख अधीक्षक, जिला चिकित्सालय, नैनीताल को कुमाऊं मंडल का नोडल अधिकारी नामित किया गया है। डाॅ टम्टा ने स्पोर्ट्स मेडिसन में शिक्षा प्राप्त की है। निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, गढ़वाल मंडल पौड़ी गढ़वाल के स्तर पर डाॅ केएस नेगी को गढ़वाल मंडल का नोडल अधिकारी नामित किया गया है। नोडल अफसरों को स्थलीय निरीक्षण करने के लिए कहा गया है।

*इस तरह की हैं विभाग की तैयारियां*
1-प्राइमरी हैल्थ केयर, सेकेंड्री हैल्थ केयर व टर्रसियरी हैल्थ केयर के नोडल अधिकारी और सह नोडल अधिकारी बनाए गए हैं। सेकेंड्री हैल्थ केयर, जो जिला चिकित्सालय है, उनमें चिकित्सा विशेषज्ञ जैसे-न्यूरो, कार्डिक, हैड इंजरी एवं स्पाइन इंजरी को उक्त अवधियों में ऑन-कॉल (24*7) रखे गए हैं।
2-प्रत्येक जिला चिकित्सालय में 03 ऑन कॉल (24*7) एंबुलेंस मय आवश्यक औषधि सहित तैनात है। खेल स्पर्धा में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के रहने के स्थान के निकटतम चिकित्सा ईकाईयों में ऑन-कॉल (24*7) टीमें तैनात की गई हैं। प्रत्येक जनपद में सूचीबद्ध चिकित्सालयों की व्यवस्था की गई है।
3-प्रत्येक खेल व शिफ्ट में एक टीम बनाई गई है, जिसमें डॉक्टर-01, नर्सिंग स्टॉफ-02, फिजियोथेरेपिस्ट-02(महिला/पुरुष) व वार्ड ब्वाय-01 को टीम में रखा गया है और 01 टीम को स्टैंड बाय रखा गया है।
4-सभी खेल स्थलों में 01-एएलएस एंड 01-बीएलएस एंबुलेंस की तैनाती चिकित्सकीय दल के साथ की गई है। 01 बीएलएस एंबुलेंस को स्टैंड बाय रखा गया है।
5-प्रत्येक जिला चिकित्सालय में 03 ऑन-कॉल (24*7) एंबुलेंस मय आवश्यक औषधि सहित तैनात है। खेल स्पर्धा में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के रहने के स्थान के निकटतम चिकित्सा इकाईयों में ऑन-कॉल (24*7) टीमें तैनात की गई है।

*तैयारियों का ये भी लेखा-जोखा*

150 डाॅक्टर, 300 नर्सिंग स्टॉफ, 25 फिजियोथेरेपिस्ट, 30 फार्मासिस्ट व 50 वार्ड ब्वाय तैनात किए गए हैं।

115 एंबुलेंस राष्ट्रीय खेलों के दौरान तैनात रहेंगी। ये एंबुलेंस विभागीय और 108 सेवा की हैं।

05 बैड एम्स ऋषिकेश के ट्रामा विभाग में दिनांक 28 जनवरी 2025 से दिनांक 14 फरवरी 2025 तक) रिजर्व रहेंगे। आवश्यकता पड़ने पर एयरलिफ्ट की सुविधा हेली एंबुलेंस के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी।

50 चिकित्साधिकारियों को एम्स ऋषिकेश में कैपिसिटी बिल्डिंग हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। यह चिकित्साधिकारी समस्त जनपद के
*”राष्ट्रीय खेल हमारे राज्य के लिए गौरव का क्षण है। खिलाड़ियों और मेहमानों को उच्चतम स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना हमारी प्राथमिकता है। हर छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखा गया है।*
*पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री*

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अन्य देशों व राज्यों के आपदा प्रबन्धन माॅडल अपनाने की बजाय अपना विशिष्ट उत्तराखण्ड केन्द्रित फ्रेमवर्क तैयार करे राज्य-सीएस श्रीमती राधा रतूड़ी*

 

*एनजीओं, सिविल सोसाइटी, सामाजिक संस्थाओं एवं निजी विशेषज्ञों के सुझाव को भी माने, सरकारी अधिकारी अपनी सीमाओं में सीमित ना रहे, व्यापक दृष्टिकोण के साथ काम करे -मुख्य सचिव*

*आपदा जोखिम न्यूनीकरण में इन्श्योरेन्स योजना जरूरी*

*जोखिम आंकलन के लिए तत्काल मास्टर ट्रेनर हेतु प्रशिक्षण के निर्देश*

*65000 स्वयं सहायता समूहों की 10 लाख महिलाएं आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग के बाद बनेगी आपदा सखी*

*आपदा प्रबन्धन में पूर्व सैनिकों की भी सहायता लेंगे*

*प्राथमिक विद्यालय के स्तर से विद्यार्थियों के पाठयक्रम में आपदा प्रबन्धन होगा शामिल*

*राज्य में भवनों में भारी निर्माण सामग्री एवं भारी निर्माण कार्यों पर मुख्य सचिव ने चिन्ता व्यक्त की*

*जिलाधिकारियों को सभी गांवो का आपदा जोखिम आंकलन ( Disaster Risk Assessment ) करने के निर्देश*

 

*राज्य, जिला, तहसील एवं पंयायत स्तर पर आईआरएस प्रणाली सक्रिय करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य मुख्य सचिव ने आपदा प्रबन्धन विभाग को दी बधाई*

आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में अन्य देशों एवं राज्यों के माॅडल को अपनाने के बजाय उत्तराखण्ड की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखण्ड केन्द्रित आपदा प्रबन्धन माॅडल तैयार करने की हिदायत देते हुए मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने आपदा प्रबन्धन विभाग को आपदाओं से निपटने एवं बचाव हेतु उत्तराखण्ड फ्रेमवर्क तैयार करने के दौरान एनजीओं, सिविल सोसाइटी, सामाजिक संस्थाओं एवं निजी विशेषज्ञों के सुझाव भी इसमें शामिल करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सरकारी अधिकारियों को अपनी सीमित सीमाओं में सीमित ना रहते हुए, व्यापक दृष्टिकोण से कार्य करने की नसीहत दी। मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी सचिवालय में आज आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सेन्डई (जापान) फ्रेमवर्क का राज्य में क्रियान्वयन की समीक्षा कर रही थी।

आपदा जोखिम न्यूनीकरण में इन्श्योरेन्स योजना की कार्ययोजना बनाने में ढिलाई पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने स्पष्ट किया कि आपदा सवेंदनशील राज्य उत्तराखण्ड में लोगों को विशेषकर जरूरतमंदों को बीमा योजना से बड़ी मदद मिल सकती हैं। उन्होंने विभाग को इस विषय पर गम्भीरता से विचार करते हुए प्रभावी पहल करने के निर्देश दिए हैं।

आपदा के जोखिम आंकलन हेतु प्रशिक्षित अधिकारियों के अभाव के मुद्दे का गम्भीरता से संज्ञान लेते हुए सीएस श्रीमती राधा रतूड़ी ने आपदा से प्रभावित क्षेत्रों एवं गांवों में जोखिम आंकलन के लिए तत्काल मास्टर टेªनर हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने के निर्देश आपदा प्रबन्धन विभाग को दिए हैं। उन्होंने राज्य में 65000 से अधिक महिला स्वंय सहायता समूहों जिनसे 10 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं, को भी आपदा प्रबन्धन का प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इन प्रशिक्षित महिलाओं को आपदा सखी को नाम देते हुए आपदाओं के दौरान ग्राम एवं तहसील स्तर पर इनकी सहायता राहत एवं बचाव कार्यों में लेने के निर्देश दिए हैं।

आपदा संवेदी राज्य में विद्यालयी स्तर से ही हर बच्चे को आपदा प्रबन्धन की सामान्य जानकारी को अति आवश्यक बताते हुए मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने प्राथमिक विद्यालय के स्तर से विद्यार्थियों के पाठयक्रम में आपदा प्रबन्धन को शामिल करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों को सैनिक कल्याण विभाग से सभी जिलों में रह रहे पूर्व सैनिकों की जानकारी एवं आंकड़े लेते हुए उन्हें आपदा प्रबन्धन का प्रशिक्षण देते हुए उनकी सहायता आपदाओं के दौरान स्थानीय स्तर पर लेने के निर्देश दिए हैं।
राज्य में भवनों एवं अन्य निर्माण कार्यों में भारी निर्माण सामग्री एवं भारी निर्माण कार्यों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने कहा कि आपदा संवेदनशील क्षेत्रों में अपेक्षाकृत हल्के निर्माण कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है, ताकि आपदा के दौरान जान-माल की कम से कम हानि हो। उन्होंने सिंचाई विभाग सहित अन्य सम्बन्धित विभागों में इस सम्बन्ध में उत्तराखण्ड केन्द्रित कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं जो कि राज्य की विशेष भौगोलिक स्थितियों एवं आपदा परिस्थितियों के अनुकूल हो।

प्रदेशभर में उच्च आपदा जोखिम के दृष्टिगत चिन्हित गांवों की रिपोर्ट तलब करते हुए मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने अधिकारियों से ऐसे चिन्हित ग्रामों की पुनर्वास की कार्ययोजना की स्थिति स्पष्ट करने को कहा। सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि इस सम्बन्ध में अभी तक इस वर्ष 20 करोड़ रूपये की धनराशि अनुमोदित कर जारी की जा चुकी है तथा व्यय की जा चुकी है। सीएस ने जिलाधिकारियों को सभी गांवो का आपदा जोखिम आंकलन ( Disaster Risk Assessment ) करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने पंचायती राज विभाग को जीपीडीपी प्लान में गांवो का आपदा जोखिम आंकलन शामिल करने के निर्देश दिए हैं।

 

राज्य में आपदा जोखिम आंकलन की स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश देते हुए मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने विभाग से राज्य में प्रत्येक वर्ष आपदा से मरने वाले लोगों के आंकड़ों की जानकारी मांगी। मुख्य सचिव ने आपदा के सम्बन्ध में डायनिमिक डेटा जुटाने के निर्देश दिए ताकि बेहतरीन नीति नियोजन में सहायता मिल सके। उन्होंने आपदा के आंकड़ों तक सभी विभागों की आसानी से पहुंच तथा वेबसाइट एवं कंट्रोल रूम में डेटा शेयरिंग के निर्देश दिए हैं।

 

राज्य में आपदाओं के तहत सड़क हादसों में होने वाली सर्वाधिक मौतों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए मुख्य सचिव ने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने क्रैश बैरियर विशेषकर बांस के क्रैश बैरियर लगाने जैसे इनोवेटिव प्रयासों को अपनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस सम्बन्ध में वन, लोक निर्माण विभाग सहित सभी सम्बन्धित विभागों को मिलजुल कर कार्य करने की हिदायत दी है।

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तराखण्ड ऐसा पहला राज्य है जहां पर राज्य, जिला, तहसील एवं पंयायत स्तर पर आईआरएस प्रणाली सक्रिय होने जा रही है। उन्होंने इसके लिए आपदा प्रबन्धन विभाग को बधाई दी है।

बैठक में सचिव श्री विनोद कुमार सुमन सहित आपदा, गृह, सिंचाई, वन, पेयजल, शिक्षा, लोक निर्माण विभाग एवं अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।आगे पढ़ें

 

*राष्ट्रीय रंगशाला शिविर, नई दिल्ली में सांस्कृतिक कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के झांकी के कलाकारों को मिला द्वितीय पुरस्कार*

राष्ट्रीय रंगशाला शिविर, नई दिल्ली में आयोजित प्रतियोगिता में विभिन्न प्रदेशों एवं मंत्रालयों की झांकी कलाकारों द्वारा अपने-अपने प्रदेशों की संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं नृत्य प्रस्तुत किये गए। प्रतियोगिता में बेस्ट 3 राज्यो में उत्तराखंड राज्य को बेस्ट द्वितीय स्थान में पुरस्कार प्राप्त हुआ। उत्तराखंड गठन के बाद उत्तराखंड की झांकी के कलाकारों को यह पुरस्कार दूसरी बार प्राप्त हुआ है। इससे पूर्व, वर्ष 2018 में उत्तराखण्ड के झांकी के कलाकारों को तृतीय स्थान पर पुरस्कार प्राप्त हुआ था। उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस परेड के लिए उत्तराखंड की झांकी में सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक एवं टीम लीडर श्री के0एस0चौहान के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य से 16 कलाकार गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड झांकी में भाग ले रहे हैं।
उत्तराखंड राज्य के सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक एवं टीम लीडर श्री के0एस0 चौहान ने बताया कि गणतंत्र दिवस परेड में देश के विभिन्न राज्यों से कलाकार आते हैं इन कलाकारों से भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय रंगशाला शिविर, नई दिल्ली में सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रतियोगिता कराई जाती है जिसमे एक दल को केवल 3ः30 मिनट का समय दिया जाता है। निर्धारित समय मे अपने अपने लोक संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत करने होते हैं। जिसमें, उत्तराखंड राज्य के कलाकारों ने “प्रसिद्ध जागर गायन एवं लोकनृत्य छपेली” इस प्रतियोगिता में प्रस्तुत की गयी। जिसको भारत सरकार द्वारा गठित समिति ने पुरस्कार के लिए चयनित किया इस “प्रसिद्ध जागर गायन एवं लोकनृत्य छपेली” में उत्तराखंड राज्य की लोक संस्कृति की झलक को समिति द्वारा बहुत पसंद किया गया जिसके कारण उत्तराखंड राज्य को यह पुरस्कार प्राप्त हो सका। श्री चौहान ने कहा कि झांकी के कलाकरों ने 14 जनवरी, 2025 से प्रतिदिन कठोर अभ्यास कर इस उपलब्धि को प्राप्त किया है। देश में दूसरे स्थान पर पहुंचकर यह पुरस्कार पाना उत्तराखंड राज्य के लिए गौरव की बात है। इस पुरस्कार के मिलने से राज्य की झांकी में प्रतिभाग कर रहे कलाकार बहुत प्रफुल्लित है।
इस प्रतियोगिता में पुरस्कार प्राप्त होने से उत्तराखंड राज्य के कलाकार अब 26 जनवरी के बाद राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास एवं उपराष्ट्रपति ,रक्षामंत्री तथा जनजातीय मंत्री के समक्ष भी सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे।
उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस परेड में इस वर्ष उत्तराखंड राज्य द्वारा “सांस्कृतिक विरासत एवं साहसिक खेल” की थीम पर झांकी का प्रदर्शन कर्तव्य पथ पर किया जाएगा।
[22/01, 5:25 pm] +91 94120 74595: उत्तराखंड में होने जा रहे नेशनल गेम्स की कवरेज के लिए ऑनलाइन पास बनवाए जाने है। इसके लिए दिए गए लिंक 👆🏻 पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। ऑनलाइन एप्लिकेशन के परीक्षण के बाद संबंधित प्राधिकारी द्वारा प्रेस पास जारी किए जाएंगे। आगे पढ़ें

 

गजब की शूटिंग रेंज, दिल्ली-भोपाल जैसा उत्तराखंड का कद*

*राष्ट्रीय खेल से मिली सौगात, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं के लिए मजबूत होगा दावा*

*अत्याधुनिक 160 टारगेट हो रहे हैं स्थापित, सटीक स्कोरिंग मिलेगी*

*राष्ट्रीय खेलों में शूटिंग की स्पर्धा दून के स्पोर्ट्स काॅलेज में होनी है*

38 वें राष्ट्रीय खेलों के लिए दून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स काॅलेज में तैयार हो रही शूटिंग रेंज का आने वाले दिनों में जलवा कायम होने जा रहा है। टारगेट क्षमता के मामले में दिल्ली व भोपाल के बाद देश की तीसरे नंबर की यह शूटिंग रेंज बनने जा रही है। इस शूटिंग रेंज में 160 टारगेट स्थापित किए जा रहे हैं। इस शूटिंग रेंज की बदौलत उत्तराखंड आने वाले दिनों में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शूटिंग स्पर्धाओं के लिए मजबूत दावेदार बनकर उभर सकता है।
राष्ट्रीय खेलों में शूटिंग स्पर्धा के मुकाबले महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स काॅलेज देहरादून में होने हैं। इसके लिए शूटिंग रेंज का काम लगभग तैयार हो गया है। दस और 25 मीटर रेंज के 60-60 टारगेट यहां स्थापित किए जा रहे हैं, जबकि 50 मीटर रेंज के 40 टारगेट हैं। देश भर में सबसे बड़ी शूटिंग रेंज की बात करें, तो मोटे तौर पर दो ही नाम सामने आते हैं। एक दिल्ली की डा करनी सिंह शूटिंग रेंज और दूसरी भोपाल की एमपी शूटिंग रेंज। इनमें दिल्ली की शूटिंग रेंज में हर स्पर्धा के लिए 80-80 टारगेट की क्षमता है, जबकि भोपाल के मामले में टारगेट क्षमता 60-60 है।

भारतीय शूटिंग टीम के असिस्टेंट कोच अरूण सिंह के अनुसार देश के तमाम दूसरे स्थानों में शूटिंग रेंज की सुविधाएं तो हैं, लेकिन उनकी क्षमता दिल्ली व भोपाल की तरह नहीं है। अब देहरादून भी शूटिंग रेंज की टारगेट क्षमता के मामले में दिल्ली, भोपाल के बराबर में खड़ा होने जा रहा है। यह स्थिति उत्तराखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। तमाम राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाएं उत्तराखंड में अब सफलतापूर्वक कराई जा सकती हैं।

*25 मीटर रेंज में दिल्ली से आगे निकल सकता है दून*
-दिल्ली की डा करनी सिंह शूटिंग रेंज में 25 मीटर की स्पर्धा के लिए 60 टारगेट की क्षमता है। 38 वें राष्ट्रीय खेलों में दून की शूटिंग रेंज में भी इस स्पर्धा के लिए 60 टारगेट फिक्स किए जा रहे हैं, लेकिन इस रेंज की संपूर्ण क्षमता 65 टारगेट की हैं। यानी दून की इस शूटिंग रेंज में आने वाले दिनों में यदि आवश्यकता पड़ती है, तो 65 टारगेट फिक्स किए जा सकते हैं। भारतीय शूटिंग टीम के असिस्टेंट कोच अरूण सिंह के अनुसार-पेरिस ओलंपिक में जिन टारगेट का प्रयोग हुआ था, उसी मानक वाले टारगेट यहां फिक्स किए जा रहे हैं। इससे सौ फीसदी सटीक स्कोरिंग संभव हो पाएगी।


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*गणतंत्र दिवस परेड में कर्त्तव्य पथ पर दिखेगी “सांस्कृतिक विरासत एवं साहसिक खेल” पर आधारित उत्तराखंड की झांकी*

रक्षा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय रंगशाला शिविर, नई दिल्ली में आयोजित प्रेसवार्ता में विभिन्न प्रदेशों एवं मंत्रालयों की झांकी कलाकारों द्वारा प्रेस के सम्मुख अपने-अपने राज्यों की सांस्कृतिक झलक पेश की गयी। उत्तराखण्ड राज्य के कलाकारों द्वारा उत्तराखण्ड की पांरपरिक वेशभूषा में राष्ट्रीय रंगशाला में आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया जिसे उपस्थित लोगों द्वारा सराहा गया। साथ ही इन 15 राज्यों के कलाकारों द्वारा भी अपने-अपने प्रदेश की झांकी के साथ पांरपरिक वेशभूषा में प्रस्तुति दी गई। गणतंत्र दिवस समोराह में इस वर्ष 15 राज्यों की झांकी सम्मिलित की गई है।
उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस परेड के लिए उत्तराखंड की झांकी में सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक एवं नोडल अधिकारी श्री के.एस.चौहान के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य से 16 कलाकार गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड झांकी में भाग ले रहे हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्तव्य पथ पर उत्तराखण्ड की ओर से प्रदर्शित की जाने वाली झांकी की थीम “सांस्कृतिक विरासत एवं साहसिक खेल” रखा गया है। गणतंत्र दिवस समारोह पर कर्तव्य पथ उत्तराखण्ड राज्य की झांकी मार्च पास्ट करते हुऐ चतुर्थ स्थान पर देखने को मिलेगी। देवभूमि उत्तराखण्ड राज्य की इस झांकी में राज्य की समृ़द्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सुन्दरता एवं साहसिक खेल एवं पर्यटन को दर्शाया गया है। झांकी के अग्र भाग में उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध ऐपण कला को बनाते हुए एक पारम्परिक वेशभूषा में महिला को दिखाया गया है। यह ऐपण आर्ट आज विश्वभर में प्रसिद्ध है। ऐपण कला उत्तराखण्ड की सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को दर्शाती है। इस कला को उत्तराखण्डी महिलाओं द्वारा पूजा कक्षों, घरों के प्रवेश द्वारों के फर्श और दीवारों पर बनायी जाती है। इसको बनाने के लिए चावल का आटा तथा गेरु का उपयोग किया जाता है।
झांकी के ट्रेलर पार्ट में उत्तराखण्ड के साहसिक खेलों एवं साहसिक पर्यटन को चित्रित किया गया है, जैसे – नैनीताल और मसूरी में हिल साइकिलिंग, फूलों की घाटी और केदारकांठा की ट्रैकिंग, ओली में स्नो स्कीइंग तथा ऋषिकेश में योगा, बंजी जम्पिंग, जिप-लाइनिंग एवं रॉक क्लाइम्बिंग की रोमांचकारी गतिविधियों को दर्शाया गया है।
उत्तराखण्ड की यह झांकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने तथा साहसिक खेलों एवं साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दर्शायी गयी है।
श्री चौहान ने कहा कि कर्तव्य पथ पर इस बार उत्तराखण्ड की झांकी “सांस्कृतिक विरासत एवं साहसिक खेल” सबके लिये आकर्षण का केन्द्र रहेगी। उन्होंने बताया कि झांकी में उत्तराखंड की पहचान, प्राकृतिक सौंदर्य और एडवेंचर स्पोर्ट्स की संभावनाओं को प्रदर्शित किया जा रहा है, हमारा राज्य न केवल अपने आध्यात्मिक और प्राकृतिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि यह साहसिक खेलों के क्षेत्र में भी अग्रणी है। श्री चौहान ने बताया कि *मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार राज्य सरकार द्वारा सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और साहसिक खेलों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए गणतंत्र दिवस की परेड में झांकी के रूप में प्रदर्शित करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्णय से साहसिक खेलों के लिए अवस्थापना सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।* उत्तराखंड पिछले कुछ समय से साहसिक खेलों के एक बड़े गंतव्य के रूप में उभरा है। राज्य की भौगोलिक स्थिति साहसिक खेलों के अनुकूल है, जिसको देखकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में रोमांच के शौकीन लंबे समय से ट्रैकिंग, राक क्लाइंबिंग, स्कीइंग और रिवर राफ्टिंग के लिए आ रहे हैं।
इस माह उत्तराखण्ड में दिनांक 28 जनवरी से प्रारम्भ हो रहे 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन हम सभी के लिए एक गौरव का क्षण है।
*उत्तराखण्ड राज्य की झांकी का निर्माण स्मार्ट ग्राफ आर्ट एडवर्टाइजिंग प्रा0लि0 के निदेशक श्री सिद्धेश्वर कानूगा द्वारा किया जा रहा है।*
इसके साथ ही गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड के लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया जायेगा। आगे पढ़ें

 

38वें राष्ट्रीय खेलों की तैयारियों के संबंध में समीक्षा बैठक आयोजित*

श्री आर. के. सुधांशु, प्रमुख सचिव, मा. मुख्यमंत्री, द्वारा 38वें राष्ट्रीय खेलों (28 जनवरी से 14 फरवरी 2025) के सफल आयोजन हेतु शासन से तैनात नोडल अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में कई अधिकारी वर्चुअल माध्यम से भी शामिल हुए। बैठक में सभी नोडल अधिकारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और विभिन्न कार्यों की अद्यतन स्थिति पर विस्तृत चर्चा की।

बैठक का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय खेलों की तैयारियों का आंकलन करना और यह सुनिश्चित करना था कि सभी कार्य तय समय सीमा के भीतर पूर्ण हों। इस दौरान खेल स्थलों की तैयारी, आवास, खानपान, परिवहन, सुरक्षा, और अन्य संबंधित व्यवस्थाओं की प्रगति का गहन मूल्यांकन किया गया।

बैठक में उद्घाटन समारोह को भव्य और यादगार बनाने के लिए विशेष चर्चा की गई। अतिथियों की सूची, बैठने की व्यवस्था, और अन्य आवश्यक तैयारियों पर विचार किया गया। इसके अतिरिक्त, परिवहन व्यवस्था को सुचारू और सुव्यवस्थित बनाए रखने के लिए भी विस्तृत योजनाएं बनाई गईं।

बैठक के दौरान नोडल अधिकारियों ने आयोजन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों और चुनौतियों को प्रस्तुत किया। इन पर गहन विचार-विमर्श कर तत्काल समाधान प्रदान किए गए।

इस महत्वपूर्ण बैठक में श्री अमित सिन्हा, विशेष प्रमुख सचिव (वी.सी. के माध्यम से), श्री शैलेश बगौली, सचिव गृह, श्री पंकज पांडेय, लोक निर्माण विभाग, श्री रंजीत सिन्हा, सचिव उच्च शिक्षा, श्री विनय शंकर पांडेय, आयुक्त गढ़वाल, निदेशक खेल, जिलाधिकारी देहरादून, एसएसपी देहरादून सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे। आगे पढ़ें

 

*राजभवन देहरादून 22 जनवरी, 2025*

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से बुधवार को राजभवन में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान राज्यपाल ने मुख्य सचिव से राज्य के विभिन्न समसामयिक विषयों पर जानकारी प्राप्त की। आगेपढ़ें

 

*उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड में निहित है वैवाहिक शर्तों और व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा तथा सामाजिक समरसता के विधिक प्रावधानों की स्पष्टता*

यह अधिनियम उत्तराखंड राज्य के संपूर्ण क्षेत्र में लागू होता है और उत्तराखंड से बाहर रहने वाले राज्य के निवासियों पर भी प्रभावी है। हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 342 व अनुच्छेद 366(25) के अंतर्गत अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों पर यह अधिनियम लागू नहीं होता तथा भाग XXI के तहत संरक्षित प्राधिकार/अधिकार-प्राप्त व्यक्तियों व समुदायों को भी इसकी परिधि से बाहर रखा गया है।

विवाह से संबंधित कानूनी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित तथा सरल बनाने के उद्देश्य से व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने वाली जनहितैषी व्यवस्था का प्रावधान उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड अधिनियम, 2024 में किया गया है।

इसके के अंतर्गत विवाह उन्हीं पक्षकारों के मध्य संपन्न किया जा सकता है जिनमे से किसी के पास अन्य जीवित जीवनसाथी ना हो, दोनों मानसिक रूप से विधिसम्मत अनुमति देने में सक्षम हों, पुरुष कम- से- कम 21 वर्ष और महिला 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुकी हो तथा वे निषिद्ध संबंधों की परिधि में न हो।

विवाह के अनुष्ठान धार्मिक रीति – रिवाज या विधिक प्रावधानों के अंतर्गत किसी भी रूप में संपन्न हो सकते हैं परंतु अधिनियम लागू होने के बाद होने वाले विवाहों का पंजीकरण 60 दिवसों के भीतर करना अनिवार्य है। जबकि 26 मार्च, 2010 से लेकर अधिनियम के लागू होने तक हुए विवाहों का पंजीकरण 6 महीने की अवधि के भीतर करना होगा। निर्धारित मानकों के तहत जो लोग पूर्व में नियमानुसार पंजीकरण करा चुके हैं हालांकि उनको दोबारा पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है फिर भी उनको पूर्व में किए गए पंजीकरण की अभिस्वीकृति (एक्नॉलेजमेंट) देनी होगी। 26 मार्च, 2010 से पहले या उत्तराखंड राज्य के बाहर संपन्न ऐसे विवाह, जिनमें दोनों पक्षकार तब से निरंतर साथ रह रहे हैं और सभी कानूनी योग्यताओं को पूरा करते हैं, वे (हालाँकि यह अनिवार्य नहीं है) अधिनियम लागू होने के छह महीनों के भीतर पंजीकरण कर सकते हैं।

इसी तरह, विवाह पंजीकरण की स्वीकृति एवं अभिस्वीकृति का कार्य भी समयबद्ध ढंग से पूरा किया जाना आवश्यक है। आवेदन प्राप्त होने के बाद उप-निबंधक को 15 दिनों के भीतर उचित निर्णय लेना होगा। यदि 15 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर विवाह पंजीकरण से संबंधित आवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता, तो वह आवेदन स्वतः निबंधक (Registrar) को अग्रेषित हो जाता है; वहीं, अभिस्वीकृति (Acknowledgement) के मामले में आवेदन उसी अवधि के पश्चात स्वतः स्वीकृत माना जाएगा।

साथ ही पंजीकरण आवेदन अस्वीकृत होने पर एक पारदर्शी अपील प्रक्रिया भी उपलब्ध है। अधिनियम के तहत पंजीकरण हेतु मिथ्या विवरण देने पर दंड का प्रावधान है तथा यह भी स्पष्ट किया गया है कि पंजीकरण न होने मात्र से विवाह अमान्य नहीं माना जाएगा। पंजीकरण ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से किया जा सकता है।

इन प्रावधानों को लागू करने के लिए राज्य सरकार महानिबंधक, निबंधन और उप निबंधक की नियुक्ति करेगी, जो संबंधित अभिलेखों का संधारण एवं निगरानी सुनिश्चित करेंगे । आगे पढ़ें

 

आज दिनांक 22 जनवरी, 2025 को पुलिस मुख्यालय स्थित सभागार में *समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)* के विषय पर एक महत्वपूर्ण *वर्कशॉप* का आयोजन किया गया। जिसमें *वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि व पदाधिकारियों* द्वारा प्रतिभाग कर अपने-अपने विचार रखे और विभिन्न विधिक बिन्दुओं पर चर्चा की गयी।

श्रीमती निवेदिता कुकरेती, पुलिस उप महानिरीक्षक/ अपर सचिव गृह उत्तराखण्ड शासन ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से *समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के विधिक बिन्दुओं- विवाह, विवाह विच्छेद, विल, सहवासी सम्बन्ध, के पंजीकरण की अनिवार्यता, व उसकी प्रक्रिया* पर विस्तार पूर्वक पर प्रकाश डाला। साथ ही संहिता के विधिक प्रावधानों के उल्लंघन के दाण्डक परिणामों के बारे में बताया गया। संहिता को लागू करने व उसकी प्रक्रिया के तहत सम्बन्धित पदाधिकारियों के दायित्व व कर्तव्यों के बारे में भी बताया गया।

वर्कशॉप के दौरान विभिन्न समुदाय के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिन्होंने संहिता के लागू होने पर उनके अपने सामाजिक अधिकार से जुड़े बिन्दुओं के सम्बन्ध में उत्सुकता के साथ प्रश्न कर परिचर्चा में सक्रीय भाग लिया। वर्कशॉप के दौरान प्रस्तुतिकर्ता व विधिक जानकारों द्वारा उनके प्रश्नों का उत्तर देकर यह स्पष्ट किया गया कि संहिता द्वारा सभी धर्म व समुदाय के सामाजिक अधिकारों में सामन्जस्य स्थापित करते हुए उसमें एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है। इस संहिता से लोगों में एवं विभिन्न धर्म व समुदाय के बीच समन्वय व एकरूपता स्थापित होगी। *वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार साझा किए और उत्तराखंड में कानून के बेहतर क्रियान्वयन के लिए उपयोगी सुझाव भी दिए।*

*पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड श्री दीपम सेठ द्वारा कहा गया कि संहिता के लागू होने से इसके दाण्डिक परिणामों के सापेक्ष पुलिस के क्या कर्तव्य होंगे और लोगों में पंजीकरण की अनिवार्यता, विधिक परिणामों व उनके विधिक अधिकारों पर क्या प्रभाव पड़ेगा और संहिता का सफल क्रियान्वयन कैसे किया जाएगा के सम्बन्ध में भविष्य में भी इस तरह की वर्कशॉप आयोजित किये जाएंगे, ताकि लोगों की शंकायें दूर की जा सके और लोगों को संहिता के सम्बन्ध में जागरुक किया जा सके।*

*वर्कशॉप में श्री वी0 मुरूगेशन, अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था, उत्तराखण्ड श्री ए पी अंशुमान, अपर पुलिस महानिदेशक, प्रशासन / अभिसूचना एवं सुरक्षा, समस्त पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस उप महानिरीक्षक एवं अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारीगण सहित श्री मुफ्ती शमून कासमी, अध्यक्ष उत्तराखण्ड मदरसा शिक्षा बोर्ड, श्री श्री नदीम जैदी सदस्य वक्फ ट्रिब्यूनल, श्री जावेद अहमद, सहायक अभियोजन अधिकारी, श्रीमती सीमा जावेद, पूर्व सदस्य राज्य अल्पसंख्यक आयोग, श्री गुरबक्श सिंह राजन- प्रधान श्री गुरु सिंह सभा, श्री गुरजिंदर आनंद, सैमुअल पॉल लाल अध्यक्ष उत्तराखण्ड क्लर्जी फैलोशिप, अभिनव जैकब – Father Church Nehrugram, श्री देवेंद्र भसीन पूर्व प्रचार्य डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून, प्रोफेसर सत्यव्रत त्यागी- डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून, डॉ० अरुण कुमार रतूडी, डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून, श्री सुनील मैसोन-दून उद्योग व्यापार मंडल नेता, श्रीमती गीता जैन- प्रिंसिपल राजकीय दून मेडिकल कॉलेज, श्रीमती गीता खन्ना-अध्यक्ष राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग सम्मिलित रहे।*

 

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