पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों की 73 सीटों पर 11 फरवरी यानी कल मतदान होने जा रहा है। मुस्लिम और जाट बहुत इस इलाके कई ऐसे नेता हैं, जिनकी साख दांव पर लगी है। ये नेता तकरीबन सभी पार्टियों के हैं। इन सभी का मकसद चुनाव में पार्टी को इस इलाके से जीत दिलाकर अपनी साख को बढ़ाना है।जातीय गणित, वोटबैंक और सियासी दमखम के नजरिये से देखें तो पश्चिमी यूपी की पांच हस्तियों का असर इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा है और इस चरण में इन्हीं की सियासी प्रतिष्ठा दांव पर हैं।
पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा और कासगंज जिलों में मतदान होना है। इनमें से मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, गाजियाबाद, शामली और मुजफ्फरनगर हैं। मेरठ-सहारनपुर मंडल के इन जिलों की आबादी के लिहाज से देखा जाए तो तीन जातियों का वर्चस्व है। इस इलाके की सर्वाधिक आबादी मुस्लिमों की है जोकि कुल जनसंख्या का यहां 26 प्रतिशत हिस्सा है। 21 फीसद आबादी के हिसाब से दूसरा स्थान दलितों का है और 17 प्रतिशत के हिसाब से तीसरे स्थान पर जाट हैं।
इस चरण में 73 सीटों के लिए कुल 2.57 करोड़ लोगों को मताधिकार प्राप्त है जिनमें 1.17 करोड़ महिलाएं हैं। युवा वर्ग में 18 से 19 साल के बीच के मतदाताओं की संख्या भी 24 लाख से ऊपर है। वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में इस चरण की 73 में से भाजपा को केवल 11 सीटें मिली थीं। मगर दो साल बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इस पार्टी ने इस अंचल की सभी लोकसभा सीटों पर अपना परचम फहराया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने सहयोगी अपना दल के साथ प्रदेश की 80 में से 73 सीटें जीती थी।