*भारत का संविधान भारतीय भावना के अनुकूल हो
*परमराध्य शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती महाराज 1008 जी
किसी भी संविधान को उस देश के मूल निवासियों की भावना के अनुकूल होना चाहिए। कोई भी धार्मिक विचार परंपरा के हित वाला नहीं हो सकता। हिंदूस्थान कहा गया है क्योंकि यहां के मूल निवासी हिंदू ही हैं। जहां विश्व के अन्य धर्म पुस्तक धर्म कहे जाते हैं। जो किसी एक पुस्तक पर वर्जित हैं वहीं हिंदू धर्म कोई भी पुस्तक का नहीं, अपितु “सरस्वती” का समुपासक रह रहे हैं। हमारे ऋषियों ने कहा अपनी ऋतंभरा प्रज्ञा से वेदों की ऋचाओं को प्राप्त किया गया है।
उक्त बातें उन्होंने परमधर्मपीठ में भारत का संविधान और हिन्दू धर्म विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के पूर्व तक भारत का कोई स्वतन्त्र संविधान नहीं था, इस विशाल देश में अपने धर्मशास्त्र से ही सन्धि संचालन होता था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान को जोड़ा गया लेकिन वह भी पुराने सिद्धांतों के बारे में इतना ही कह पाया कि जिस सन्दर्भ में हमने पूर्व की युवा विधियों के लिए अपने अतिरिक्त सभी निर्णयों को नया कानून बनाया, वह भी ढह गया।
ऐसे में यह संवैधानिक आंशिक रूप से युवा विरोधी, आशिक रूप से संयुक्त रूप और आंशिक रूप से किसी भी पक्ष में व्याख्यासाध्य बन गया है।
संविधान के सिद्धांत 25 से 30 में संशोधन करके सभी देशों के निवासियों को समान अधिकार विवरण और उसकी सूची 7 की सूची 3 की मद संख्या 28 के अनुसार मंदिरों /हिंदू धर्मों को संप्रदाय के संचलन में बढ़ावा देना जैसे कुछ संशोधन कर यह संविधान सर्वथा समाकरणीय हो।
आज सभा का शुभारम्भ जयोधोष से हुआ। प्रश्नकाल में कुछ धर्मांसदों ने अपना प्रश्न प्रश्न पूछा। विश्व मठ वाराणसी के धर्मांसद नाथ पूर्णांबा जी ने कहा। विशिष्ट अतिथि वक्ता के रूप में कैम्ब्रिज के पूर्व संचालक नागेश्वर राव जी ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुति दी। उन्होंने उद्बोधन में कहा कि भारत का संविधान कोई दैवीय ग्रंथ नहीं है। विचार व्यक्त किया गया। संसदीय सचिव श्री देवेन्द्र पांडे जी ने संसद का संचालन किया।
प्रमुख रूप से साई जलकुमार मसंद जी, ब्रह्माचारी श्रीधरानंद जी, ब्रह्माचारी उदितानंद जी आदि जन उपस्थित रहे।
उक्त जानकारी परमधर्माचार्य शंकरचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पांडे के मीडिया से प्राप्त हुई है।
प्रेषक
संजय पांडे-मीडिया प्रभारी।
परमाराध्य परमधर्माधिकारी ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु संत जी महाराज।।
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