आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जो भारत में रहने वाले हर शख्स को जरूर जाननी चाहिए। खासकर तब जब देश में नागरिकता संशोधन विधेयक का मुद्दा गरम है।
ये कहानी है उस शख्स की.. जिसने 11 अगस्त 1947 को पाकिस्तान संविधान सभा के ऐतिहासिक सत्र की अध्यक्षता की। वो नेता जिसने बाबा साहब का हाथ पकड़ा और उन्हें बंगाल के रास्ते संविधान सभा तक पहुंचाया। मोहम्मद अली जिन्ना के उस विश्वासपात्र के बारे में, जो पाकिस्तान का पहला कानून मंत्री हुआ। अविभाजित भारत के सबसे बड़े दलित नेता के बारे में जिसने पाकिस्तान में उन्हीं लोगों का शोषण देखा, जो उसके कहने पर भारत छोड़कर वहां गए थे। उस वफादार साथी के बारे में जिसे जिन्ना की मौत के बाद भारत में शरणार्थी बनकर वापस लौटना पड़ा। 13 साल के उस राजनीतिक सफर के बारे में जो 1937 में पश्चिम बंगाल की बाकारगंज उत्तर-पूर्व विधानसभा सीट से शुरू होकर पाकिस्तान के कानून मंत्री के पद तक पहुंचा और फिर साल 1950 में गुमनामी में जा मिला।
जिस शख्स के बारे में ये कहानी है, उनका नाम है – जोगेंद्र नाथ मंडल। नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा करते समय सदन में भाजपा की ओर से कई बार जोगेंद्र नाथ मंडल के नाम का जिक्र किया गया। ये नाम अपने अंदर एक पूरी कहानी समेटे हुए है। एक गलत चुनाव की कहानी। भारत की जगह पाकिस्तान का चुनाव।