गुमानीवाला कैनाल रोड गली न 6 पर्यावरण विशेषज्ञ डा इंद्रमणि सेमवाल जी द्वारा अपने पितरों की पुण्य स्मृति मे श्रीमद् भागवत पुराण एवं देवी भागवत पुराण का आयोजन ।
गुमानीवाला पर्यावरण विशेषज्ञ डा इंद्रमणि सेमवाल जी द्वारा अपने पितरों की पुण्य स्मृति मे सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा एवं देवी भागवत पुराण का आयोजन 24 मई से शुभारंभ किया गया जिसमें कथा के तृतीय दिवस पर श्रीमद् भागवत कथा व्यास डा सतीश कृष्ण वत्सल नोटियाल एवम श्रीमद् देवी भागवत कथा व्यास आचार्य सचिदानंद डंगवाल अपने श्रीमुख से लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि दुष्टों की दुष्टता से संसार को मुक्त करने के लिए भगवान ने अनेक लीलाओं का दर्शन करवाया है।राजा परीक्षित प्रसंग पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डा वत्सल ने कहा कि जिसकी मृत्यु सात दिन में होनी हो वह ज्ञान की बात को समझने की कोशिश कैसे करेगा लेकिन राजा परीक्षित ने अपने द्वारा किए पाप से प्रायश्चित के लिए सात दिन में महान पुराण को सुनकर जीवन को मुक्ति के मार्ग की ओर ले जाकर धन्य हो गए ।
श्रीमद् देवी भागवत पुराण कथा व्यास आचार्य सचिदानंद डंगवाल जी ने मां भगवती जगदम्बा दुर्गा शक्ति के रूपों का विस्तृत वर्णन करते हुए कहा कि मां सदैव भक्त को वात्सल्य भाव से विभिन्न संकटों से बचाती हे जब जब जीवन मे विपत्तियां आती है मां भगवती उनका निवारण करती हे ।
कथा में अपने भजनों के द्वारा व्यास पीठ ने समस्त श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया ।
कथा के मुख्य यजमान पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ इंद्रमणी सेमवाल ने बताया कि अपने पुरखों की स्मृति में इस प्रकार के आयोजन के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए 9 सितंबर हिमालय दिवस पर जनपद टिहरी गढ़वाल के घनसाली विकास खंड के खेट पर्वत पर हजार वृक्षों के रोपण का संकल्प है ।
कथा के तृतीय दिवस के अवसर पर सैकड़ों श्रोताओं के साथ डा इन्द्रमणी सेमवाल, डा अमित सेमवाल, सुमित सेमवाल, ।हर्षमणि भटट,राकेश लसियाल, पीताम्बर लसियाल, डा वी.डी सेमवाल, आचार्य सच्चिदानंद डंगवाल व्यास, डा.सतीश कृष्ण वतशल व्यास, आचार्य दिलमणि पैनयुली, सत्य प्रसाद ममगाई, सुरेन्द्र दत्त बडोनी आदि उपस्थित रहकर भगवत ज्ञान गंगा से अपनी जिज्ञासा शांत की है।