*ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदागुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज ने चंडी घाट पर गंगा पूजन कर किया शीतकालीन चार धाम यात्रा का श्री गणेश*
15 दिसम्बर 2024
ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड स्थित चार धाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारेश्वर महादेव और भगवान बदरी विशाल के मंदिरों के कपाट स्थानीय भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए केवल पूजा स्थलों में परिवर्तन होता है। उन्होंने कहा कि सदियों से चली आ रही पूजा अर्चना प्राचीन परंपरा के अनुसार शीतकालीन पूजा स्थलों में की जाती है। हरिद्वार स्थित गंगा के चंडी घाट पर गंगा पूजन और गंगा आरती से पूर्व
शंकराचार्य जी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि जन सामान्य में ऐसी धारणा बन गई कि चारों धामों के कपाट बंद होने के बाद शीतकाल में श्रद्धालु दर्शन लाभ नहीं ले सकते हैं। इसी धारणा को तोड़ने के लिए उनके द्वारा विगत वर्ष लगभग पांच शताब्दि बाद *शीतकालीन चारधाम मंगल यात्रा* का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि उत्तराखंड राज्य सरकार ने भी शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए हैं ।
उन्होंने कहा कि जो पुण्य लाभ यात्रियों को ग्रीष्मकाल में चार धामों के दर्शन से मिलता है, उससे अधिक लाभ शीतकालीन पूजा स्थलों में पूजा-अर्चना एवं दर्शन से श्रद्धालुओं को प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए उनके द्वारा निरंतर कार्य किये जा रहे हैं ।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि ज्योतिर्मठ में शंकराचार्य गुरुकुलम की शुरुआत हो गई है। इसके अलावा चमोली जनपद में एक अन्य गुरुकुलम को शुरू किया जा रहा है।
आदि गुरु शंकराचार्य जी की तपस्थली ज्योतिर्मठ में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को देखते हुए अस्पताल का भूमि पूजन कर दिया गया है। जन भावनाओं के अनुरूप जल्द वहां पर अत्याधुनिक सुविधापूर्ण अस्पताल कार्य करने लगेगा।
*चंडी घाट पर हुआ यात्रा का शुभारंभ*
चार धाम शीतकालीन दर्शन यात्रा का शुभारंभ चंडी घाट पर ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के पावन सानिध्य में मां गंगा की विधिवत पूजा अर्चना के साथ शुरू हुआ ।
इसके बाद काशी से आए आचार्यों द्वारा मां गंगा की दिव्य और भव्य आरती की गई।
इस अवसर पर ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य जी ने यात्रा में आए सभी यात्रियों को चार धामों का माहात्म्य बताया और यात्रा की मंगल कामना की।
• शंकराचार्य जी के पावन सानिध्य में 16 दिसंबर से प्रारंभ हो रही चार धाम शीतकालीन दर्शन यात्रा में देश के 10 से अधिक राज्यों के 150 से ज्यादा तीर्थ यात्री यात्रा दल में शामिल हैं।
यात्रा प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार, दिल्ली, उत्तराखंड आदि राज्यों से 150 से ज्यादा महिला एवं पुरुष तीर्थ यात्री इस यात्रा में शामिल हैं। यात्रा 16 दिसंबर से प्रारंभ होकर के 22 दिसंबर को हरिद्वार में संपन्न होगी ।
शीतकालीन चारधाम यात्रा के लिए श्री धर्म सम्राट ज्ञान लोक कालोनी से प्रस्थान करते हुए
य़ह ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज 1008 ने उत्तराखण्ड में शीतकालीन यात्रा से पलायन रोकने के लिए रोजगार देने का अभिनव प्रयास है ! वहीं महाराज श्री ने प्रयाग महाकुंभ में अखिल भारतीय प्रेस सम्मेलन कराने के लिए राष्ट्रीय संयोजक प्रेस संवैधानिक अधिकार प्राप्त संघर्ष समिति के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए कहा कि 28 फरवरी 2025 से पहले एक दिवसीय प्रेस सम्मेलन शंकराचार्य शिविर में कर सकते हैं देश के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए पत्रकारों को हमारा अखिल भारतीय प्रेस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए शुभकामनाएं हैं देश के पत्रकारों के लिए महाकुंभ वरदान साबित होगा! 7983825336 फोन, WhatsUp नंबर से प्रेस सम्मेलन में आने की जानकारी देने की कृपा कीजिएगा प्रत्येक राज्य अपना संयोजक नामित कर सूचना भेज सकते हैं!
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राज्य में हर महीने तीन लाख लोगों को आयुष सेवा का लाभ*
*नेशनल आयुष मिशन के तहत दो वर्ष के आंकडे़ उत्साह से भरने वाले*
*दूरस्थ क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा दे रही ये योजना*
*केंद्रीय आयुष मंत्रालय थपथपा चुका है उत्तराखंड की पीठ*
नेशनल आयुष मिशन में उत्तराखंड की वर्तमान स्थिति उसकी प्रगति की कहानी को खुद बयां कर रही है। उत्तराखंड में हर महीने करीब तीन लाख लोग आयुष सेवा से लाभान्वित हो रहे हैं। पिछले 22 महीनों के आंकड़ों की बात करें, तो उत्तराखंड में 67 लाख से ज्यादा लोगों ने आयुष स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाया है।
नेशनल आयुष मिशन केंद्रीय आयुष मंत्रालय की फ्लैगशिप योजना है। इसे दूरदराज के क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के लक्ष्य के साथ डिजाइन किया गया है। उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य के लिए इस योजना की खास अहमियत मानी जा रही है। इस योजना में वर्ष 2023 से अब तक के जो उपलब्ध आंकडे़ हैं, वह उत्तराखंड की प्रगति को सामने रख रहे हैं।
केंद्रीय आयुष मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार-वर्ष 2023 में उत्तराखंड में 42 लाख 64 हजार लोगों ने आयुष सेवा का लाभ उठाया है। इस वर्ष अक्टूबर माह तक 24 लाख 56 हजार लोग इस सेवा से लाभान्वित हो चुके हैं। विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो-2024 के दौरान उत्तराखंड की प्रगति की खास चर्चा हुई है। देहरादून आए केंद्रीय आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने उत्तराखंड की प्रगति को सराहा है। उनका कहना है कि नेशनल आयुष मिशन के तहत केंद्रीय आयुष मंत्रालय की कोशिश प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को घर-घर तक पहुंचाने की है। उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक स्थितियों वाले राज्य में नेशनल आयुष मिशन की सफलता उत्साहित करने वाली है।
*67 आरोग्य मंदिर (आयुष) का प्रमाणीकरण*
नेशनल हेल्थ मिशन के तहत संचालित हो रहे आयुष्मान आरोग्य मंदिर (आयुष) उत्तराखंड में 300 हैं इनमें से डेढ़ सौ आरोग्य मंदिरों का नेशनल एग्रीडेशन बोर्ड फाॅर हाॅस्पिटल एंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर (एनएबीएच) के स्तर पर प्रमाणीकरण किया जा चुका है। बाकी आरोग्य मंदिरों के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया जारी है। उत्तराखंड में इस वक्त 50 बैड के पांच और दस बैड के दो आयुष हाॅस्पिटल हैं। छह आयुष हाॅस्पिटलों के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है।
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*नेशनल हेल्थ मिशन के तहत आम जन तक आयुष सेवाओं का लाभ पहुंचाने के लिए पूरी ताकत से काम किया जा रहा है। इस संबंध मेें केंद्र सरकार का भी पूरा सहयोग राज्य को मिल रहा है। मुझे विश्वास है कि नेशनल आयुष मिशन के तहत हम प्रदेश में अधिक से अधिक लोगों को स्थानीय स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में सफल रहेंगे।*
*पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री*
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राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2024 के अवसर पर दिनांक 14 दिसम्बर 2024 को राजधानी देहरादून में ऊर्जा संरक्षण दिवस का आयोजन उत्तराखण्ड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) द्वारा एस०सी०ई०आर०टी०, ननूरखेड़ा, देहरादून के सभागार में किया गया। जिसमें उरेडा, एस०सी०ई०आर०टी० के अतिरिक्त विभिन्न विभागों/संस्थाओं, शिक्षण संस्थाओं से आये स्कूल ऊर्जा मित्रों, राज्य के ऊर्जा निगमों में कार्यरत ऊर्जा ऑडिटरों, विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों एवं बुद्धिजीवियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीमती रंजना राजगुरू, निदेशक उरेडा एवं अपर सचिव ऊर्जा द्वारा ऊर्जा संरक्षण से सम्बन्धित कैलेण्डर 2024 का विमोचन किया गया तथा ऊर्जा संरक्षण पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर विभिन्न फर्मों द्वारा ई-व्हीकल एवं सोलर संयत्रों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया तथा दैनिक जीवन में सुगमता से अपनाये जा सकने वाले ऊर्जा संरक्षण उपायों की जानकारी सम्बन्धी लीफलेट्स का वितरण भी किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य परियोजना अधिकारी, उरेडा द्वारा करते हुए ऊर्जा संरक्षण का व्यापक प्रचार-प्रसार करने की अपील की गयी । कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित अपर निदेशक एस0सी0ई0आर0टी0 उत्तराखण्ड द्वारा ऊर्जा संरक्षण हेतु सम्पादित की जा रही गतिविधियों एवं किये जा रहे उपायों का विस्तृत विवरण उपलब्ध कराया गया। ऊर्जा संरक्षण सम्बन्धी जानकारी प्रदान करते हुए जन सामान्य को स्टार लेवल उपकरणों के उपयोग तथा ऊर्जा दक्ष लाइटों के उपयोग हेतु अपील की गयी ।
समारोह में श्रीमती रंजना राजगुरू, निदेशक उरेडा एवं अपर सचिव ऊर्जा, अपर निदेशक एस0सी0ई0आर0टी0 उत्तराखण्ड डॉ मुकुल कुमार सती, श्री मनोज कुमार, मुख्य परियोजना अधिकारी उरेडा, श्रीमती शशि सिंह मुख्य वित्त अधिकारी, श्री ए0के0शर्मा, उप-मुख्य परियोजना अधिकारी उरेडा, श्री संदीप भट्ट, उप-मुख्य परियोजना अधिकारी उरेडा, श्री विमल किशोर बमराड़ा वरिष्ठ परियोजना अधिकारी उरेडा, देहरादून एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।
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*उत्तराखंड के आकर्षण में खिंचे चले आए डेलीगेट्स*
*विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में सबसे ज्यादा 12 हजार डेलीगेट्स दून में पंजीकृत*
*चार दिन के आयोजन में जुटे 54 देशों के 300 डेलीगेट्स*
*आयुष भूमि होने की वजह से लोगों ने आने में दिखाई रुचि*
चार दिन के विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो के दसवें संस्करण में 12 हजार डेलीगेट्स के पहुंचने का आंकड़ा दर्ज हुआ है। इस विश्व स्तरीय आयोजन के इतिहास में डेलीगेट्स की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इस लिहाज से उत्तराखंड ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। इस आयोजन में 54 देशों की भागीदारी रही। 300 विदेशी डेलीगेट्स ने इस कार्यक्रम में भाग लेकर आयुष के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित किया।
पिछले वर्ष गोवा में आयोजित इस आयोजन के नौवें संस्करण में सबसे ज्यादा डेलीगेट्स पहुंचे थे। वहां पर 5102 डेलीगेट्स का पंजीकरण हुआ था। कोच्चि में आयोजित इस आयोजन के पहले संस्करण में 1800 डेलीगेट्स का ही पंजीकरण हुआ था। देहरादून उत्तराखंड में जब इस आयोजन का एलान हुआ, तब ही ये माना जा रहा था कि यहां रिकॉर्ड पंजीकरण हो सकते हैं। आयुष के लिहाज से सबसे समृद्ध राज्य होने को इसकी वजह माना जा रहा था। ये अनुमान सही साबित हुआ है। देश विदेश के डेलीगेट्स ने उत्तराखंड आने में खास दिलचस्पी दिखाकर पंजीकरण का नया रिकॉर्ड रच दिया है।
आयुष विभाग के अपर सचिव डॉ विजय जोगदंडे के अनुसार, इस आयोजन में कुल 12 हजार पंजीकरण हुए हैं। 54 देशों के 300 प्रतिनिधियों की भी आयोजन में भागीदारी हुई है। उन्होंने कहा कि इस दौरान आयुष पर गहन चर्चा के साथ ही नई संभावनाओं पर भी बात हुई है।
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*विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो 2024 के सफल आयोजन के लिए उत्तराखंड देश विदेश से आए डेलीगेट्स के प्रति आभारी है। आयुष भूमि उत्तराखंड में विचार विमर्श महत्वपूर्ण विचार विमर्श हुआ है, जिसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। आयुष के विकास और इससे आम जन को लाभ पहुंचाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।*
*पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री*
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देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित 10 वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो 2024 के अंतिम दिन विषय विशेषज्ञों और पैनलिस्टों द्वारा प्लेनरी सैशन में विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए।
यह आयोजन 12 से 15 दिसंबर 2024 तक कुल 4 दिन चला चला, जिसमें देश-विदेश के आयुर्वेद विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, प्रैक्टिशननर्स और शिक्षाविदों ने भाग लिया।
10 वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो का 12 दिसंबर को मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी द्वारा शुभारंभ किया गया और आज महामहिम राज्यपाल द्वारा इसका समापन किया गया।
यह आयोजन न केवल आयुर्वेद की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करने का अवसर था, बल्कि वैश्विक मंच पर आयुर्वेद को मजबूती से स्थापित करने का प्रयास भी है।
विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन, आयुष मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार के समन्वय से इसका सफल आयोजन संपादित हुआ।
चार दिवसीय इस आयोजन में आयुर्वेद से संबंधित बड़े बहुमूल्य सत्र संपादित हुए। *आयुर्वेद महाविद्यालयों के प्राचार्यों का सम्मेलन:शिक्षण गुणवत्ता और नवाचार पर केंद्रित*
*औषधीय पौधों पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी:औषधीय पौधों की खेती, उनके औद्योगिक उपयोग, और वैश्विक बाजार में उनकी भूमिका पर चर्चा*
*पशु आयुर्वेद पर सम्मेलन:पारंपरिक और आधुनिक पशु चिकित्सा के एकीकरण पर विचार।*
*गुरु-शिष्य सम्मेलन (RAV):आयुर्वेद की परंपरा और आधुनिक शिक्षा के बीच सेतु बनाने का प्रयास*
*आयुर्वेद फिल्म महोत्सव:फिल्मों के माध्यम से आयुर्वेद के विभिन्न पहलुओं को जनसामान्य तक पहुंचना*
इत्यादि सत्र उल्लेखनीय रहे।
10 वें वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो के चौथे दिन में फ्री आयुष क्लिनिक में 1576 मरीजों का स्वास्थय परीक्षण कर उपचार किया गया व आवश्यक औषधियां वितरित की गयी।
आरोग्य एक्सपो में विभिन्न आयुर्वेद कंपनियों जैसे- हिमालय वैलनेस, पतंजलि वैलनेस, सोमथीराम आयुर्वेद ग्रुप, धूतपापेश्वर लि०, मुल्तानी, डाबर लि०, संजीवनी, आर्य वैद्यशाला कोट्टाकल, अमृतधारा, देशरक्षक, वैद्यरत्नम, आरोग्य, श्री नारायण आयुर्वेदिक फार्मेसी, आर्य वैद्यशाला फार्मेसी कोइम्बटोर, हंस हर्बल्स, प्लेनेट, झंडू, प्लेनेट आयुर्वेदा, श्रीधारीयम, श्री श्री तत्त्व, बैद्यनाथ लि०, संदु, नागार्जुन आयुर्वेदा, आयुबल वैलनेस, उमा आयुर्वेदिक्स, श्रीमोहता रसायनशाला हाथरस, नीडको हर्बल हेरिटेज आदि के स्टाल उपलब्ध थे।
अलकनंदा हॉल में 27 वैज्ञानिक सत्र आयोजित हुए, भागीरथी हॉल में 28 वैज्ञानिक सत्र आयोजित हुए, मन्दाकिनी हॉल में 39 वैज्ञानिक सत्र आयोजित हुए, पिंडर हॉल में 33 वैज्ञानिक सत्र आयोजित हुए, नंदाकिनी हॉल में 35 वैज्ञानिक सत्र आयोजित हुए, धौलीगंगा हॉल में 26 वैज्ञानिक सत्र आयोजित हुए, कोसी हॉल में 41 वैज्ञानिक सत्र आयोजित हुए तथा गिरी हॉल में 46 वैज्ञानिक सत्र आयोजित हुए जिसमे 3140 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया गया।
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डॉ सिनिमोल टी पी ने मोटर न्यूरॉन डिजीज (MND) के प्रारंभिक लक्षणों के प्रबंधन पर अपना वीडियो प्रस्तुतीकरण दिया जिस हेतु इनको बेस्ट पेपर के पुरस्कार से समान्नित किया गया।
इटली के डॉ अंटोनिओ ईश्वर मरांडी ने विज्ञान और आध्यात्मिकता का सामंजस्य पर व्याख्यान दिया जिसमे उन्होंने G.A.N.E.S.H.- Global ayurvedic network for excellence in science harmonisation का विचार दिया। यह वैश्विक आयुर्वेद नेटवर्क (Global Ayurvedic Network) आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान को एकीकृत कर एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता है। इसका उद्देश्य आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर एक मानक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करना है, जिससे यह आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ प्रभावी रूप से जुड़ सके।
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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल, हरिद्वार बाईपास, देहरादून में चतुर्थ ‘उत्तराखण्ड लोक विरासत’ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों पर आधारित स्टालों का भी अवलोकन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के कोने-कोने से लोक कलाकारों को एक मंच पर लाकर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को संजोने और उसे भावी पीढ़ी तक पहुँचाने की यह सराहनीय पहल है। उन्होंने उत्तराखंड लोक विरासत टीम के सभी सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारे उत्तराखंड के सभी लोक कलाकार अपनी मेहनत और लगन से उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति बहुत विशाल और विशिष्ट है। लोक गायन, लोक संगीत और लोकनृत्य की अनेकों प्रकार की शैलियाँ और अनेकों प्रकार के वाद्य यंत्र हमारी लोक संस्कृति को और अधिक समृद्ध बनाते हैं। आज छोलिया नृत्य, झोड़ा, चांचरी, नेवली, पांडव नृत्य और मुखौटा नृत्य जैसे अनेकों लोकनृत्य हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के युवा हमारे लोक संगीत को पसंद करते हैं और उसे आगे बढ़ाने का भी कार्य कर रहे हैं। आजकल युवा अपना म्यूजिकल बैंड बनाकर उत्तराखंड के लोक-गीतों को नए कलेवर के साथ एक नई पहचान देने का भी कार्य कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार प्रदेश के चहुँमुखी विकास के साथ ही सांस्कृतिक विकास के लिए भी प्रतिबद्धता के साथ निरंतर कार्य कर रही है। सरकार द्वारा लोक भाषाओं व लोक साहित्य में कुमाऊंनी, गढ़वाली, जौनसारी सहित राज्य की अन्य बोलियों व उप-बोलियों में उत्कृष्ट साहित्य सेवा के लिए उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान प्रदान किया जा रहा है। प्रदेश के विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का पुनर्निर्माण करवाने के साथ ही सांस्कृतिक मेलों का आयोजन और अधिक भव्य रूप में किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की विभिन्न स्थानीय भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन एवं फिल्म निर्माण के लिए आर्थिक सहायता भी प्रदान की जा रही है।हाल ही में हमारी पहली जौनसारी फीचर फिल्म रिलीज़ हुई है। उन्होंने कहा राज्य सरकार ने प्रदेश के सांस्कृतिक मूल्यों और डेमोग्राफी को संरक्षित रखने हेतु अतिक्रमण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। प्रदेश में कड़ा “धर्मांतरण विरोधी कानून” भी लागू किया है। प्रदेश में ज़मीनें खरीदने वाले बाहरी लोगों की गहनता से जाँच की जा रही है। अगर कोई भी व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है तो उसके भूखंड को सरकारी संपत्ति में निहित किया जाएगा। उन्होंने कहा राज्य सरकार जल्द ही सख्त भू-कानून लेकर आने वाली है।
इस अवसर पर लोकगायक श्री नरेंद्र सिंह नेगी, पद्म श्री प्रीतम भरतवाण, कमला देवी उत्तराखण्ड लोक विरासत ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ केपी जोशी, सुधीर नौटियाल एवं अन्य लोग उपस्थित रहे ।
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शुभंकर की भव्य लॉन्चिंग, योग और मलखंभ भी राष्ट्रीय खेल का हिस्सा*
*मुख्यमंत्री का आग्रह रंग लाया, पीटी उषा ने प्रतीकों के लॉन्चिंग कार्यक्रम में दी जानकारी*
*अद्भुत लाइट एंड साउंड शो में दिखी उत्तराखंड की धमक*
*शुभंकर के साथ ही लांच हुए लोगो, जर्सी, टॉर्च, एंथम और टैग लाइन*
38 वें राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर समारोह की भव्यता के बीच योग और मलखंभ जैसे दो पारंपरिक खेल भी राष्ट्रीय खेल का हिस्सा बन गए। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के आग्रह को भारतीय ओलंपिक संघ ने स्वीकार कर लिया। रविवार को आयोजित भव्य शुभंकर समारोह में भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष डॉ पीटी ऊषा ने इसकी जानकारी सार्वजनिक की। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने 38 वें राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर प्रतीक मौली, लोगो, जर्सी, एंथम और टैग लाइन को लॉन्च किया। राष्ट्रीय खेलों के लिए टैग लाइन संकल्प से शिखर तक घोषित की गई है।
- रविवार को महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर, देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन उत्तराखंड के खेल इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी का अवसर देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का संपूर्ण उत्तराखंड वासियों की ओर से धन्यवाद प्रकट किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय खेलों का सुंदर लोगो उत्तराखंड के विविध रंगों को पूरे देश के सामने प्रदर्शित करता है। यह एंथम, हमारी एकजुटता को प्रदर्शित करने के साथ खिलाड़ियों को और अधिक परिश्रम करने हेतु प्रेरित करता है। राष्ट्रीय खेलों का शुभंकर, मोनाल हमारे प्रदेश की विशिष्टता को प्रदर्शित करने के साथ युवा खिलाड़ियों को बड़े लक्ष्यों को सामने रखकर जी-तोड़ मेहनत करने हेतु भी प्रेरित करता है। और लोगो हमारे राज्य पक्षी मोनाल से प्रेरित है जो उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और विविधता के रंगों को भारत के प्रत्येक कोने तक पहुँचाएगा। राष्ट्रीय खेलों की सुंदर मशाल प्रज्वलित की है वो देश में एकता और सामूहिक प्रयास के प्रतीक के रूप में राज्य भर की यात्रा करेगी और समाज में खेल भावना और खेल संस्कृति विकसित करने में सहायता करेगी।
बतौर मुख्य अतिथि, मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा संकल्प, विकल्प रहित होना चाहिए। संकल्प से ही हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा राज्य 38वें राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन हेतु अब पूर्ण रूप से तैयार है। इस आयोजन के लिए राज्य सरकार ने अवस्थापना सुविधाओं में लगभग 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिससे राज्य में कई नए खेल मैदानों का निर्माण, स्टेडियम और स्विमिंग पूलों का पुनर्निर्माण, वाटर स्पोर्ट्स के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर, साइकिलिंग ट्रैक, शूटिंग रेंज को विकसित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में भी छोटे खेल स्टेडियमों का निर्माण कर रही है। जिससे स्थानीय खिलाड़ियों को भी अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करने हेतु प्रत्येक स्तर पर अभिनव प्रयास किए गए हैं। फिट इंडिया, खेलो इंडिया योजना के साथ मजबूत स्पोर्ट्स इकोसिस्टम विकसित किया गया है। उन्होंने कहा राज्य सरकार, प्रदेश में खेल और खिलाड़ियों को लगातार प्रोत्साहित करने का काम कर रही है। प्रदेश में नई खेल नीति लागू कर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक लाने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में खिलाड़ियों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण पुनः लागू करने, प्रदेश के खिलाड़ियों को दी जाने वाली पुरस्कार राशि को दोगुना करने और खेल विश्वविद्यालय के निर्माण की बात को दोहराया। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग करने वाले देश के तमाम खिलाड़ी उत्तराखंड से अच्छा अनुभव लेकर जाएंगे।
इस मौके पर केंद्रीय खेल राज्यमंत्री रक्षा खडसे ने कहा कि देश के खिलाड़ी आज अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। उत्तराखंड के खिलाड़ी देश और प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खेल विकास में केंद्र सरकार उत्तराखंड को पूरी मदद देगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का प्रयास है कि ओलंपिक का आयोजन भारत में कराया जाए। खेल मंत्री मनसुख मंडाविया का वीडियो संदेश भी इस मौके पर प्रसारित किया गया।
भारतीय ओलपिंक संघ की अध्यक्ष डा पीटी ऊषा ने राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के लिए उत्तराखंड को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए उम्मीद जताई कि खेलों के विकास में उत्तराखंड में बेहतर कार्य होगाा।
उत्तराखंड की खेल मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने कहा कि उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन बेहद उत्साहित करने वाला है।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज, विधायक श्री उमेश शर्मा काऊ, श्रीमती सुनैना कुमारी, राज्य ओलंपिक संघ के अध्यक्ष श्री महेश नेगी, विशेष प्रमुख सचिव खेल अमित सिन्हा, सचिव श्री शैलेश बगोली, खेल निदेशक श्री प्रशांत आर्य समेत तमाम गणमान्य लोग उपस्थित थे। संचालन श्री आरजे काव्य ने किय