उत्तराखंड के किसानों से राज्य सरकार ने इस साल 3100 मीट्रिक टन मंडुआ खरीदा 12 को प्रवासी भारतीयों को घेजां पकवान खाने में दिया जाय
*राज्य भर में 270 केंद्रों के जरिए हुई मंडुआ की खरीद*
*सरकार ने किसानों से 4200 प्रति कुंतल के मूल्य पर की खरीद*
कुछ समय पहले तक उपेक्षित रहने वाला मंडुआ अब हाथों हाथ बिक रहा है। राज्य सरकार ने ही इस साल विभिन्न सहकारी और किसान संघों के जरिए उत्तराखंड के किसानों से 3100 मीट्रिक टन से अधिक मंडुआ खरीदा है। सरकार ने इस साल किसानों को मंडुआ पर 4200 प्रति कुंतल का समर्थन मूल्य भी दिया है।
उत्तराखंड के सीढ़ीदार खेतों में परंपरागत रूप से मंडुआ की खेती होती रही है। लेकिन कुछ साल पहले तक मंडुआ फसल उपेक्षा का शिकार रहती थी, जिस कारण किसानों का भी मंडुआ उत्पादन के प्रति मोह भंग होने लगा था। लेकिन केंद्र और उत्तराखंड सरकार द्वारा अब मिलेट्स फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिस कारण उत्तराखंड में मंडुआ उत्पादक क्षेत्र के साथ ही उत्पादन भी बढ़ रहा है। मौजूदा सरकार ने मंडुआ उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए सबसे पहले 2022 इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत के तहत, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीदना शुरू किया। साथ ही उपभोक्ताओं तक मिलेट्स उत्पाद पहुंचाने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली से लेकर मिड डे मील और आंगनबाड़ी केंद्रों के पोषण कार्यक्रम में इसे शामिल किया गया। इसी तरह सरकार ने स्टेट मिलेट मिशन शुरू करते हुए, उत्पादन बढ़ाने के साथ ही, मिलेट्स उत्पादों को अपनाने के लिए व्यापक प्रचार प्रसार, किसानों से खरीद से लेकर भंडारण तक की मजबूत व्यवस्था तैयार की। वहीं किसानों को बीज, खाद पर अस्सी प्रतिशत तक सब्सिडी दी गई।
*270 केद्रों के जरिए खरीद*
सरकार ने दूर दराज के किसानों से मंडुआ खरीदने के लिए बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों के सहयोग से जगह – जगह संग्रह केंद्र स्थापित किए। इस प्रयोग की सफलता की कहानी यूं कही जा सकती है कि 2020-21 में जहां इन केंद्रों की कुल संख्या 23 थी जो 2024-25 में बढ़कर 270 हो गई है। इन केद्रों के जरिए इस साल उत्तराखंड के किसानों से 3100.17 मीट्रिक टन, मंडुआ की खरीद की गई, इसके लिए किसानों को 42.46 प्रति किलो की दर से समर्थन मूल्य दिया गया। सरकार ने मंडुआ खरीद में सहयोग देने के लिए किसान संघों को 150 रुपए प्रति कुंतल और बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को प्रति केंद्र 50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की। साथ ही सुनिश्चित किया गया कि केंद्रों का भुगतान 72 घंटे में कर दिया जाए।
*समर्थन मूल्य में 68 प्रतिशत का उछाल*
प्रदेश में 2021-22 में मंडुआ समर्थन मूल्य कुल 2500 प्रति कुंतल था, जो 2024-25 में 4200 प्रति कुंतल हो गया है। इस तरह दो साल के अंतराल में ही समर्थन मूल्य 68 प्रतिशत बढ़ गया है। किसानों तक इसका लाभ पहुंचने से मंडुआ उत्पादन क्षेत्र भी बढ़ रहा है। इसके साथ ही सरकार ओपर मार्केट और हाउस ऑफ हिमालय के जरिए भी मंडुआ उत्पादों को प्रोत्साहन दे रही है।
*उत्तराखंड में मंडुआ परंपरागत तौर पर उगाया जाता है। यह पौष्टिक होने के साथ ही आर्गेनिक भी होता है। इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मिलेट्स उत्पादों को बढ़ावा दिए जाने के बाद भी मंडुआ की मांग बढ़ी है। इसलिए राज्य सरकार सीधे किसानों से मंडुआ खरीद करते हुए, उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं।*
*पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री *
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अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन में प्रवासी भारतीयों को घेजां पकवान खाने में दिया जाय
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*अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन विशेष*
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*गांवों को संवारने के लिए आगे आए प्रवासी उत्तराखंडी*
*गांव को गोद लें योजना के तहत विदेशों में रह रहे प्रवासियों ने चिन्हित किए गांव*
*कई प्रवासी अपने गोद लिए गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के क्षेत्र में कर रहे हैं काम*
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर विदेशों में रहने वाले प्रवासियों के लिए चलाए जा रहे, गांव को गोद लें (एडोप्ट ए विलेज) कार्यक्रम में रुचि दिखाते हुए, कई प्रवासियों ने अपने लिए गांव चिन्हित कर लिए हैं। साथ ही राज्य सरकार के सामने चिन्हित गांवों के लिए विकास का रोडमैप भी प्रस्तुत किया है।
गांव को गोद लें (एडोप्ट ए विलेज) कार्यक्रम का विचार, गत 05 मार्च, को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा विभिन्न देशों में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंडियों के साथ हुए संवाद में निकल कर आया। जिसमें मुख्यमंत्री ने प्रवासियों से राज्य में एक या एक से अधिक गाँवों को गोद लेने की अपील की। इसके बाद कई प्रवासियों ने गांव चिन्हित करते हुए, राज्य सरकार के सामने यहां किए जाने वाले कार्यां का रोडमैप प्रस्तुत किया है।
चीन निवासी देव रतूड़ी ने टिहरी जिले में सुनार गांव और कमैरा सौड़ गांव में सोलर लाइट लगाने, युवाओं को चीन की होटल इंडस्ट्री में रोजगार प्राप्त और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग करने की इच्छा जाहिर करते हुए, प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है।
इसी तरह वर्तमान में अमेरिका में निवासरत उद्यमी शैलेश उप्रेती ने अल्मोड़ा जिले में स्थित मनान गांव में अपनी कंपनी का इंडिया कॉरपोरेट ऑफिस खोलने और एनर्जी स्टोरेज सेंटर खोलने की दिशा में काम प्रारंभ कर दिया है।
*सीमांत गांव का चयन*
वर्तमान में यूएई में निवासरत टिहरी जिले के मूल निवासी विनोद जेठूड़ी ने उत्तरकाशी जिले के सीमांत ओसला गांव में स्किल ट्रेनिंग और पिथौरागढ़ निवासी गिरीश पंत ने बजेट और बरसायत गांवों में शिक्षा, कम्प्यूटर एजूकेशन के साथ ही स्थानीय उतपादों का बढ़ावा देने की दिशा में काम करने की इच्छा जाहिर की है।
पौड़ी जिले के निवासी डॉ एके काला, थाईलैंड में उद्यमी हैं, उन्होंने पौड़ी जिले के किसी एक गांव के मेधावी छात्रों की शिक्षा में मदद करने की इच्छा जाहिर है। जबकि वर्तमान में ब्रिटेन में निवारसत, नैनीताल जिले की नीरू अधिकारी ने नौकुचियाल के निकट एक्वा टोक में किवी उत्पादन, ध्यान योग केंद्र की स्थापना के साथ ही देहरादून जिले के सभावाला गांव कौशल विकास का प्रशिक्षण देने की योजना प्रस्तुत की है।
*क्या है गांव को गोद लें कार्यक्रम*
योजना का उद्देश्य प्रवासी उत्तराखंडियों की विशेषज्ञता, अनुभव और वित्तीय सहायता से गांव का सर्वागींण विकास करना है। यह प्रक्रिया पूर्ण रूप से स्वैच्छिक है, प्रवासीजन अपने या किसी भी गांव का चयन इसके लिए कर सकते हैं। राज्य सरकार प्रवासियों के साथ चर्चा कर आपसी सहमति के आधार पर गांव के विकास के लिए आरम्भिक 2-3 वर्षों के लिए एक रोडमैप तैयार करती है। इसके लिए प्रवासियों एवं स्थानीय प्रशासन के मध्य एमओयू भी सम्पादित किया जाने का प्रावधान है। प्रवासियों द्वारा चिन्हित गांव में शिक्षा, इंटरनेट कनैक्टिविटी, छात्रवृत्ति, उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने जैसे कार्य किए जा सकते हैं। निर्माण गतिविधियाँ केवल अपरिहार्य एवं आवश्यक परिस्थितियों में ही किए जाने का प्रावधान है। जिलाधिकारी चिन्हित गांव में चल रहे कार्यक्रमों की निगरानी करते हुए, इसे मॉडल गांव के तौर पर विकसित करेंगे।
*प्रवासी उत्तराखंडियों ने ‘गांव को गोद लें’, कार्यक्रम में रुचि दिखाते हुए, अपने प्रस्ताव सरकार के सामने प्रस्तुत किए हैं। चिन्हित गांवों के लिए प्रवासियों के सुझाव पर विस्तृत विकास योजना बनाई जा रही है। उक्त गांव, विकास के रोल मॉडल बनते हुए, दूसरे प्रवासियों के लिए भी प्रेरणा का काम करेंगे।*
*पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री*
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दस मिनट, 16 सवाल, देना पड़ रहा कड़ा इम्तिहान*
*राष्ट्रीय खेल के लिए वाॅलंटियर ऑनलाइन प्रशिक्षण/चयन प्रक्रिया शुरू*
*खेल सचिवालय की टीम एक बार में 500 अभ्यर्थियों से कर रही है संपर्क*
*दस जनवरी तक पूरी होनी है चयन प्रक्रिया, उसके बाद भौतिक प्रशिक्षण*
दस मिनट में 16 सवाल। राष्ट्रीय खेलों में वाॅलंटियर बनने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले अभ्यर्थियों को कडे़ इम्तिहान से गुजरना पड़ रहा है। राष्ट्रीय खेल सचिवालय ने वाॅलंटियर प्रशिक्षण/चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है। चूंकि रजिस्ट्रेशन बहुत ज्यादा हुए हैं, इसलिए एक बार में 500 अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण/चयन प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है। राष्ट्रीय खेल सचिवालय ने दस जनवरी तक चयन प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
वाॅलंटियर बतौर 38 वें राष्ट्रीय खेल से जुड़ने के लिए अभी तक 30,433 रजिस्ट्रेशन हुए हैं। रजिस्ट्रेशन अभी जारी हैं। राष्ट्रीय खेल सचिवालय के अपर मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत आर्या के अनुसार-रजिस्ट्रेशन कराने वाले प्रत्येक अभ्यर्थी को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राष्ट्रीय खेल सचिवालय की टीम एक बार में 500 अभ्यर्थियों के साथ जुड़ रही है। कुल 45 मिनट में प्रशिक्षण/चयन प्रक्रिया से संबंधित कार्य संचालित हो रहे हैं। इसमें शुरूआती 35 मिनट में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बाद के दस मिनट में प्रत्येक अभ्यर्थी से 16 सवाल पूछे जा रहे हैं। इसके आधार पर ही चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है।
*जहां से रजिस्ट्रेशन, वहीं तैनाती पर रहेगा जोर*
वाॅलंटियर बतौर राष्ट्रीय खेलों से जुड़ने के लिए जिस अभ्यर्थी ने जहां से रजिस्ट्रेशन कराया है, उसे वहीं तैनाती देने पर जोर रहेगा। हालांकि चयनित अभ्यर्थियों को यह विकल्प दिया जाएगा कि वह चाहे, तो दूसरे जिले में भी अपना योगदान दे सकता है। वाॅलटिंयर चयन प्रक्रिया से जुडे़ प्रतीक जोशी के अनुसार-यह बात उत्साहित करने वाली है कि उन जिलों से भी रजिस्ट्रेशन हुए हैं, जहां पर राष्ट्रीय खेलों से संबंधित कोई भी गतिविधि प्रस्तावित नहीं है। जोशी के अनुसार-दस जनवरी तक वाॅलटियर चयनित हो जाएंगे। इसके बाद, चयनित अभ्यर्थियों को भौतिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। दो से ढाई हजार चयनित वाॅलंटियर इस आयोजन में अपनी प्रत्यक्ष भूमिका निभाएंगे।
*वाॅलंटियर के लिए रजिस्ट्रेशन की स्थिति*
जिला रजिस्ट्रेशन
अल्मोड़ा 1750
बागेश्वर 771
चमोली 1582
नैनीताल 4119
चंपावत 1719
देहरादून 7524
हरिद्वार 4881
पौड़ी 1562
पिथौरागढ़ 1161
रूद्रप्रयाग 822
उधमसिंहनगर 2355
टिहरी 1245
उत्तरकाशी 942
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*राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के प्रति हर तरफ उत्साह दिखाई दे रहा है। हम उत्तराखंड में हर एक व्यक्ति का इस आयोजन से जुड़ाव चाहते हैं। सभी के सहयोग से उत्तराखंड में खेलों का यह महा आयोजन भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा।*
*पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री*
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*यूएलएमएमसी ने बनाई यूपी के लिए डीपीआर*
*खारा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के पिछले भाग में हो रहे भूस्खलन की रोकथाम को दिए अहम सुझाव*
*यूएलएमएमसी ने सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमान को सौंपी डीपीआर*
देहरादून। उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र, देहरादून (यूएलएमएमसी) उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के नियंत्रणाधीन खारा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट (सहारनपुर, यूपी) के पिछले भाग में हो रहे भूस्खलन रोकथाम के लिए अहम सुझाव देगा। इसके लिए डीपीआर बनाने का काम यूएलएमएमसी ने पूरा कर लिया है। यूएलएमएमसी इस पूरी परियोजना की सतत निगरानी भी करेगा। शनिवार को यूएलएमएमसी के विशेषज्ञों ने सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास/महानिदेशक यूएलएमएमसी श्री विनोद कुमार सुमन को डीपीआर सौंपी।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने बताया कि खारा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के पिछले भाग में भूस्खलन हो रहा है। परियोजना के प्रतिनिधियों ने डीपीआर बनाने के लिए उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र से संपर्क किया। यूएलएमएमसी के वैज्ञानिकों ने भूस्खलन की रोकथाम हेतु संपूर्ण भूगर्भीय, भू-भौतिकी एवं भू-तकनीकी परीक्षण कर डीपीआर बना ली है। उन्होंने बताया कि यूएलएमएमसी इस परियोजना की निगरानी भी करेगा और भूस्खलन की रोकथाम के लिए उपाय भी सुझाएगा।
बता दें कि खारा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट (सहारनपुर, यूपी) आसन नदी में ताजेवाला डैम के ऊपर स्थित है। सन् 1992 से विद्युत उत्पादन कर रहे इस डैम की विद्युत उत्पादन क्षमता 72 मेगावाट है। इसका स्वामित्व उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के पास है। खारा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट अतिसंवेदनशील पहाड़ियों के मध्य स्थित है, जिनकी भूगर्भीय संरचना संवेदनशील है, जिसमें समय-समय पर भूस्खलन की घटनाएं होती रहती हैं।
इस मौके पर अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन श्री आनंद स्वरूप, वित नियंत्रक श्री अभिषेक आनंद, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी, यूएलएमएमसी के निदेशक श्री शांतनु सरकार, यू-प्रीपेयर के परियोजना निदेशक श्री एसके बिरला आदि मौजूद थे।
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बाजार से आधी दरों पर परामर्श देगा यूएलएमएमसी
देहरादून। आपदा प्रबंधन विभाग के अंतर्गत संचालित उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) अपने कार्यक्षेत्र में विस्तार करते हुए विभिन्न विभागों को कंसलटेंसी सर्विसेज यानी परामर्श सेवाएं प्रदान कर रहा है। यूएलएमएमसी द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की दरें बाजार की मौजूदा दरों से लगभग आधी होंगी। केंद्र विभिन्न विभागों के लिए डीपीआर निर्माण तथा अध्ययन, भूस्खलन प्रबंधन और न्यूनीकरण पर प्रशिक्षण, जलवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भूभौतिकीय एवं भूतकनीकी सर्वेक्षण, न्यूनीकरण उपायों की डिजाइनिंग आदि कई अन्य कार्य करेगा। वर्तमान में जो भी कंसलटेंसी फर्में में हैं, उनकी सेवाएं काफी महंगी हैं और यूएलएमएमसी बाजार दरों से आधी दरों पर यह सेवाएं प्रदान करेगा।
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मुख्यमंत्री उत्तरांचल प्रेस क्लब कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण में हुए शामिल।*
*मीडिया को बताया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ।*
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को सर्वे चौक स्थित आई0आर0डी0टी0 सभागार में आयोजित उत्तरांचल प्रेस क्लब की नई कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताते हुए कहा कि प्रेस प्रतिनिधियों को समाचार संकलन हेतु राज्य में यथा संभव सहयोग दिया जा रहा है। उन्होंने पत्रकारों के हित में पत्रकार कल्याण कोष के कॉरपस फंड की धनराशि को बढ़ाया गया है। उन्होंने पत्रकारों के लिए समूह बीमा योजना शुरू करने के भी अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होने कहा कि दूर-दराज से आने वाले मीडिया कर्मियों को ठहरने में और कामकाज करने में आसानी हो सके इसकी भी व्यवस्था कि जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी मीडिया सहयोगी रहा है। राज्य आंदोलन के दौरान उत्तराखंड की मीडिया यहां के जन-जन की आवाज बनी। उत्तरांचल प्रेस क्लब द्वारा समय-समय पर किये जाने वाले सामाजिक और जन जागरूकता कार्य सराहनीय रहे हैं। आम जनमानस कि सुविधा एवं लोक कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में भी मीडिया की बडी भूमिका रहती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के विकास में सभी लोग सहभागी बने इसके लिए वर्तमान समय में सरकार ने अनेक बड़े कदम उठाए हैं। राज्य के विकास के लिये किये जा रहें हमारे प्रयासो को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। निति आयोग द्वारा राज्य के सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ती में देश में प्रथम स्थान मिला है। राज्य में बेरोजगारी दर को 4.4 प्रतिशत तक कम करने में हम सफल हुए हैं। हम निवेश को आकर्षित करने में देश के अग्रणीय राज्यों में है तथा हिमालयी राज्यों में प्रथम स्थान पर हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पहली बार शीतकालीन चारधाम यात्रा कि शुरूवात की गई है इसके सुखद परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों को स्वरोजगार मिलने के साथ उनकी आर्थिकि में मजबूती आ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि के जनमानस से हमने जो समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही थी वह वायदा हम पूरा करने जा रहे हैं। उत्तराखंड में जिस उद्देश्य से भूमि क्रय की जाती है उसका सदुपयोग सुनिश्चित हो सके इसके लिए बेहतर भू कानून लागू किये जाने कि दिशा में प्रयास किये जा रहे है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के प्रवासी अपनी मूल जड़ों से जुड़े रहें और अपने प्रदेश, गांव और समाज में अपना सर्वांगीण योगदान दे सकें इसके लिए राज्य में आगामी 12 जनवरी को प्रवासी सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर दिवंगत पत्रकार गिरीश भंडारी को श्रद्धांजलि देते हुए 2 मिनट का मौन धारण किया गया। इस दौरान उत्तरांचल प्रेस क्लब की नई कार्यकारिणी के अध्यक्ष भूपेंद्र कंडारी ने पत्रकारों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा पूर्व में लिए गए विभिन्न निर्णयों की सराहना की।
इस अवसर पर उत्तरांचल प्रेस क्लब के संस्थापक सदस्य डॉ. देवेंद्र भसीन, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी, प्रेस क्लब के महामंत्री सुरेंद्र डसीला, उपाध्यक्ष अभिषेक कुमार मिश्रा, उत्तरांचल प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष नवीन थलेड़ी, विकास धूलिया, चेतन गुरुंग और अजय राणा सहित प्रेस क्लब के अन्य पदाधिकारी तथा मीडियाकर्मी उपस्थित थे।