केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को कहा कि सरकार का ध्यान समग्र रूप से शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर है.
जावड़ेकर ने कहा, “आवंटन की राशि 64,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 70,000 करोड़ रुपये कर दी गई.
इसमें साफ तौर से 6,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है.”
उन्होंने कहा, “अब हम अपने जीडीपी का 4.5 फीसदी शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं.”
जावड़ेकर ने कहा कि मोदी सरकार का दृष्टिकोण सभी स्तरों पर पूरी शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाने की है. उन्होंने कहा कि सरकार इस साल स्कूलों में वार्षिक लर्निग परिणामों को मापने की एक प्रणाली लागू करेगी.
उन्होंने कहा कि लर्निग परिणामों से पता चलेगा कि किसी विद्यार्थी को हरेक कक्षा में हरेक विषय में कितना ज्ञान होना चाहिए.
जावड़ेकर ने एकल परीक्षा एजेंसी, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की जरूरत पर कहा, “सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन) के ऊपर परीक्षा कार्यो का भारी बोझ है और बीते साल इसने एक करोड़ से अधिक विद्यार्थियों के लिए विभिन्न परीक्षाएं आयोजित कीं.”
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) में सुधारों पर मंत्री ने कहा, “यूजीसी सुधार का जोर अच्छे संस्थानों को अधिक स्वायत्तता देना है.”
उन्होंने कहा कि सुधारों के विवरण और तौर-तरीकों पर आने वाले महीनों में काम किया जाएगा. जावड़ेकर ने कहा कि सरकार आत्म-नियमन और शिष्ट समीक्षा के प्रावधानों के साथ अधिक उदार उपायों के प्रति बचनबद्ध है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान योजना के प्रावधान के तहत नवाचार निधि में 100 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होगी.