शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा, ‘‘मोदी ने उत्तर प्रदेश में प्रचार करते हुये धमकी दी थी कि उनके पास विपक्षी दलों की कुंडली है जबकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि सभी की कुंडली इंटरनेट पर मुफ्त में उपलब्ध है. यह एक उदाहरण है कि कितनी तेजी से प्रचार का स्तर गिर गया है.’’
संपादकीय में कहा गया है, ‘‘कम से कम प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को इस तरह एक दूसरे पर कीचड़ नहीं उछालना चाहिये. इस पद की काफी प्रतिष्ठा है और इस पर बैठने वाले व्यक्ति को उसकी गरिमा बनायी रखनी चाहिये.’’
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ दिये गये मोदी के ‘रेनकोट’ वाले बयान और फिर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का इस पर दिये गये जवाब का जिक्र करते हुये संपादकीय में कहा गया है, ‘‘
अब उत्तर प्रदेश चुनाव में होने के लिए क्या होगा. लेकिन प्रधानमंत्री को दिल्ली पर और मुख्यमंत्रियों को अपने राज्यों पर ध्यान देना चाहिये. किसी भी व्यक्ति को दूसरे के बाथरूम में नहीं झांकना चाहिये. इससे बचना चाहिये.’’
भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा विपक्षी दलों को धमकाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करना ‘‘राजनीतिक भ्रष्टाचार’’ है.