देहरादून। उत्तराखंड पुलिस विभाग में हाईटेक पुलिसिंग को लेकर लगातार कवायद जारी है। राज्य में अंग्रेजी शासनकाल के दौरान साल 1807 में निर्मित ऐतिहासिक थ्री नॉट थ्री राइफल को रुखसत करने की घोषणा पहले ही हो चुकी हैं, ऐसे में अब प्रदेश के शहरी इलाकों में किसी भी ऑपरेशन के समय बड़े हथियारों की जगह अत्याधुनिक पिस्टल जैसे छोटे हथियारों से लैस कर स्मार्ट पुलिसिंग को बढ़ावा देने की योजना है। हालांकि, जरुरत के मुताबिक राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े हथियारों से ही पुलिस अपनी ड्यूटी फिलहाल बरकरार रखेगी. आने वाले दिनों में शहरी इलाकों में किसी बड़ी कार्रवाई के दौरान टारगेट को छोड़ अन्य जनहानि न हो, इसके लिए सभी सिटी पेट्रोल पुलिसिंग यूनिट्स से लॉन्ग रेंज वेपन को हटाकर शार्ट रेंज वेपन में बदला जाएगा। हालांकि, इस योजना को धरातल पर उतारने से पहले नए सिरे से जवानों पिस्टल फायरिंग की ट्रेनिंग भी अलग देनी होगी। माना जा रहा है कि शहरी क्षेत्रों में कई बार कुख्यात अपराधियों से निपटने के लिए बड़े हथियार उतने कारगर साबित नहीं होते जितने छोटे पिस्टल जैसे हथियार समय और माहौल के मुताबिक कामयाब हो पाते हैं। इसको देखते हुए क्षेत्रों में शांति और कानून व्यवस्था बेहतर करने की दिशा में पिस्टल पुलिसिंग को बढ़ावा देने की कवायद चल रही है। डीजी अशोक कुमार का भी यही मानना है कि पिस्टल फायरिंग के लिए अलग से जवानों को ट्रेनिंग दी जाएगी। क्योंकि पहले से ही बड़े राइफल जैसे हथियारों से ही पुलिस को फायरिंग का अभ्यास कराया जाता है। लेकिन, पिस्टल पुलिसिंग योजना को धरातल पर उतारने से पहले सिटी पेट्रोल यूनिट्स को पिस्टल फायरिंग की ट्रेनिंग देकर पहले तैयार किया जाएगा। इससे जनहानी पर भी अंकुश लगेगा।
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Thu Feb 27 , 2020