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मगहर: मानवता का संदेश देता संत कबीर की निर्वाणस्थली

Pahado Ki Goonj

संत कबीर राष्ट्रीय संत हैं. उनकी मानवतावादी चेतना, लोकतांत्रिक दृष्टि, परस्पर भाईचारा और मेलजोल पर खड़ी साधुता, जनसेवा और सर्वोदय की भावना ही उन्हें भारत की राष्ट्रीयता से जोड़ देती है. इसीलिए मानवता का संदेश देने वाले इस संत को राष्ट्रीय एकता का प्रतीक माना जाता है. विश्व में संत कबीर ऐसे अनूठे व्यक्तित्व के महापुरुष हैं, जो एक साथ ही कब्र में दफन हैं और समाधि में समाधिस्थ भी. जो हिन्दू और मुसलमान को ही नहीं बल्कि मतालम्बियों को अपनी निर्वाणस्थली की ओर आकर्षित कर रहे है. विश्व का यह अद्वितीय स्थान संत कबीर की निर्वाणस्थली मगहर के नाम से विख्यात है. जहां ऐसी समाधि है, जो मानव मात्र को एकता का संदेश देते हुए विश्व नेतृत्व की क्षमता रखती है. मगहर का नाम मार्ग और हर से मगहर पड़ा. बोधगया, राजगीर, कुशीनगर होते हुए बौद्ध भिक्षु इसी रास्ते कोपिया कपिलवस्तु, लुम्बिनी, जेतबन और श्रावस्ती के लिए जाते थे. वे यहां के मार्ग में लूट लिए जाते थे. क्योंकि बस्ती बहुत दूर आगे थी. मगहर असुरक्षित क्षेत्र था. इसलिए बौद्ध भिक्षुओं ने इस स्थान का नाम मार्गहर दे दिया. यही मार्गहर मगहर के नाम से प्रसिद्ध हुआ. संत कबीर अंधविश्वास को खंडन करने के लिए काशी छोड़कर मगहर आए थे.

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