बजट दस्तावेज का रूप इस बार अलग होगा। वित्त मंत्रालय ने बजट में योजना और गैर-योजना आवंटन का वर्गीकरण खत्म करके सरकारी योजनाओं पर फंड के समग्र प्रवाह की अवधारणा शामिल करने का फैसला किया है।
विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ-साथ राज्य सरकारों को सार्वजनिक खर्च के वर्गीकरण के लिए पहले ही योजना और गैर-योजना विलय के बारे में दिशानिर्देश नोट उपलब्ध कराया गया है। वित्त मंत्री अरूण जेटली 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2017-18 का बजट पेश करेंगे। इसे नए वर्गीकरण को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है।
सरकार पहले ही योजना आयोग की जगह नीति आयोग का गठन कर चुका है। इस तरह आर्थिक विकास को मजबूती प्रदान करने के लिए नया जोर दिया गया है। अंतर हटाये जाने के साथ व्यय बजट दस्तावेज के भाग दो चार श्रेणियों, सामान्य, सामाजिक, आर्थिक एवं अन्य में सार्वजनिक व्यय की समग्र स्थिति को प्रतिबिंबित करेगा।
ताकि फंड की कमी न हो
सूत्रों के अनुसार सरकार ने बजटीय वर्गीकरण में योजना और गैर-योजना व्यय के विलय का फैसला किया है। इसका मकसद यह पक्का करना है कि सरकारी योजनाओं के तहत सृजित पूंजीगत ढांचे को चलाने एवं रखरखाव के लिए पर्याप्त फंड उपलब्ध हो। फिलहाल ज्यादातर जोर योजनागत खर्च पर है और प्राय: योजनाओं के रखरखाव और उनके सुचारू कार्यान्वयन के लिए गैर-योजना खर्च की उपेक्षा की जाती रही है।
सूत्रों ने कहा कि इससे यह लगता था कि अधिक योजना खर्च का मतलब है, अधिक विकास और लोगों का कल्याण। यह एक गलत धारणा थी। यह थी दिक्कत योजना व्यय से सृजित संपत्ति के रखरखाव के लिए अपर्याप्त प्रावधान के कारण उसका क्षरण होता था क्योंकि इसे गैर-योजना व्यय माना जाता है।
सूत्र ने उदाहरण देते हुए बताया कि स्कूल का निर्माण योजनागत खर्च के तहत हुआ, जबकि उसका रखरखाव और शिक्षकों का वेतन गैर-योजना खर्च के दायरे में आता है।