नयी दिल्ली ने बुधवार को इस मुद्दे को खारिज करते हुए कहा कि ऐसे दौरों का कुछ भी ‘राजनीतिक मतलब’ नहीं निकाला जाना चाहिए.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुवांग ने ताइवान के संसदीय प्रतिनिधिमंडल की नयी दिल्ली यात्रा के संदर्भ में मीडिया से कहा, ”चीन ने भारत के समक्ष विरोध दर्ज कराया है.”
गेंग ने कहा, ”हमें आशा है कि चीन की मूल चिंताओं को भारत समझेगा और उनका सम्मान करेगा. साथ ही ‘एक-चीन’ की नीति के साथ रहेगा और ताइवान से जुड़े मुद्दों से सावधानी से निपटेगा और भारत-चीन रिश्ते को बनाये रखने और बेहतर बनाने की दिशा में काम करेगा.”
भारत में कार्यालय को उन्नत बनाने की ताइवान की घोषणा के संदर्भ में उन्होंने कहा, ”जिन देशों का चीन और ताइवान दोनों के साथ राजनयिक संबंध हैं, उन देशों के बीच किसी भी तरह के आधिकारिक संपर्क और बातचीत के हम हमेशा खिलाफ रहे हैं. साथ ही हम किसी भी तरह की आधिकारिक संस्था की स्थापना के भी खिलाफ हैं.”
उनके बयान पर नयी दिल्ली से त्वरित प्रतिक्रि या आई. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, ”हम समझते हैं कि ताइवानी शिक्षाविदों और कारोबारियों के एक समूह ने भारत का दौरा किया है जिसमें कुछ सांसद भी शामिल हैं. इस तरह के अनौपचारिक समूहों ने अतीत में भी कारोबारी, धार्मिक और पर्यटन के मकसद से भारत का दौरा किया है.”
ताइवान के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने 12 फरवरी से भारत का दौरा किया.