विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मैं आपसे केवल यही कह सकता हूं कि अगर आप अपने पड़ोसी देश के किसी शहर का नाम बदल देते हैं या कोई और नाम खोज लेते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं होता कि आपका अवैध कब्जा वैध हो जाएगा।” उन्होंने कहा, “अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है और रहेगा।”
चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर 14 अप्रैल को घोषणा की कि अरुणाचल प्रदेश के छह स्थानों के उसने मानकीकृत आधिकारिक नाम रखे हैं, जिन्हें वह ‘दक्षिणी तिब्बत’ के नाम से बुलाता है। भारत ने गुरुवार को कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि नाम बदल देने से अवैध कब्जा वैध नहीं हो जाता।