यहाँ इंसाफ़ के लिए शव को लटका देते हैं पेड़ से
हिम्मतनगर (गुजरात)। एक अनोखी परंपरा जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे, जहाँ इंसाफ मांगने के लिए लोग शव को महीनों तक पेड़ पर लटकाये रखते हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं गुजरात के आदिवासी इलाके की। प्राप्त जानकारी के अनुसार यहाँ के आदिवासी गांव टाढ़ी वेदी में एक शव पिछले 6 महीनों से नीम के एक पेड़ से लटका हुआ है। चादर में लिपटा शव भातियाभिया गामर का है, जिसकी जनवरी के शुरुआत में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई थी। यह गांव साबरकांठा जिले के पोशिना तालुका में गुजरात-राजस्थान बॉर्डर से 2 किलोमीटर दूर है। गामर के शव को पेड़ से लटकाने के बाद से उसके रिश्तेदार पहले की तरह अपनी रोजमर्रा की जिंदगी जी रहे हैं।
22 साल के गामर का शव सबसे पहले पोशिना के नजदीक एक पेड़ से लटकता मिला था। उसके पिता मेमनभाई मान चुके हैं कि उसने आत्महत्या की थी। लेकिन गामर के बाकी रिश्तेदारों का मानना है कि उसकी हत्या की गई है। उनके मुताबिक, जिस लड़की से वह प्रेम करता था, उसी के परिवार ने उसकी हत्या कर दी।
क्या है इंसाफ की ‘चडोचरु’ परंपरा?
चडोतरु की शुरुआत तब होती है जब एक पक्ष दूसरे पक्ष को आरोपी घोषित करता है। इसके बाद दोनों ही परिवार बातचीत के लिए समुदाय के बुजुर्गों के पास पहुंचते हैं। निपटारे के बाद मुआवजे का 10 प्रतिशत बुजुर्गों को मिलता है। मुआवजा तय करने में संबंधित पक्ष की आर्थिक क्षमता, सामाजिक हैसियत आदि का ध्यान रखा जाता है। अक्सर पैसों की मांग 50-60 लाख रुपये से शुरू होती है जो आखिर में 5-6 लाख तक पर आ सकती है। बातचीत की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मुआवजे की रकम से ही गुड़ भी खरीदा जाता है जिसे वहां मौजूद सभी लोगों को बांटा जाता है।
चोट या संपत्ति के नुकसान में भी इसका इस्तेमाल:
खेड़ब्रह्म से विधायक और आदिवासी नेता अश्विन कोतवाल ने कहा कि तडोतरु को सिर्फ गंभीर मामलों में ही नहीं अपनाया जाता। उन्होंने बताया, ‘चोट या संपत्ति को नुकसान के विरोध में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। सबसे पहले, पीड़ित पक्ष और आरोपी मिलकर बातचीत से हल की कोशिश करते हैं। लेकिन अगर बातचीत फेल हो गई तो पीड़ित पक्ष चडोतरु का ऐलान कर देता है। हालांकि, अब यह बहुत कम होता है लेकिन कुछ हिस्सों में अब भी यह प्रचलित है।’
हिम्मतनगर। एक अनोखी परंपरा जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे, जहाँ इंसाफ मांगने के लिए लोग शव को महीनों तक पेड़ पर लटकाये रखते हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं गुजरात के आदिवासी इलाके की। प्राप्त जानकारी के अनुसार यहाँ के आदिवासी गांव टाढ़ी वेदी में एक शव पिछले 6 महीनों से नीम के एक पेड़ से लटका हुआ है। चादर में लिपटा शव भातियाभिया गामर का है, जिसकी जनवरी के शुरुआत में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई थी। यह गांव साबरकांठा जिले के पोशिना तालुका में गुजरात-राजस्थान बॉर्डर से 2 किलोमीटर दूर है। गामर के शव को पेड़ से लटकाने के बाद से उसके रिश्तेदार पहले की तरह अपनी रोजमर्रा की जिंदगी जी रहे हैं।
22 साल के गामर का शव सबसे पहले पोशिना के नजदीक एक पेड़ से लटकता मिला था। उसके पिता मेमनभाई मान चुके हैं कि उसने आत्महत्या की थी। लेकिन गामर के बाकी रिश्तेदारों का मानना है कि उसकी हत्या की गई है। उनके मुताबिक, जिस लड़की से वह प्रेम करता था, उसी के परिवार ने उसकी हत्या कर दी।