लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव के अब कभी चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करके एक तीर से कई निशाने साधे हैं। सत्ता से बाहर होने के बाद अब वह पूरा ध्यान पार्टी संगठन को दुरुस्त करने पर लगा रहे हैं। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि अखिलेश का प्रयास है कि कार्यकर्ताओं के बीच यह संदेश जाये कि पार्टी में कोई परिवारवाद नहीं है और मेहनत करने वाले नेता और कार्यकर्ता ही आगे पहुंचेंगे।
अखिलेश जानते हैं कि चूंकि अब वह सत्ता से बाहर हैं तो उनके खिलाफ एकमात्र परिवारवाद का मुद्दा ही है जिसे 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा इस्तेमाल करेगी इसलिए वह पहले से ही उसे खत्म कर देना चाहते हैं। इसके साथ ही डिंपल के चुनाव नहीं लड़ने और पार्टी में परिवारवाद नहीं होने का उनका संदेश अपने सौतेले भाई प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव को भी है जोकि हालिया विधानसभा चुनाव हार गयी थीं लेकिन उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं बरकरार हैं। अखिलेश के करीबी सूत्रों का कहना है कि सपा मुखिया का प्रयास है कि घरेलू राजनीति से पार्टी को मुक्त कराया जाये।
इसके साथ ही अखिलेश अपने लिये सुरक्षित सीट की तलाश में भी हैं जोकि उन्हें कन्नौज ही नजर आ रही है। वह यहां से सांसद रह चुके हैं साथ ही यहीं से पहली बार वह संसद पहुंचे थे। पत्नी के चुनाव नहीं लड़ने से उनके लिए यह सीट खाली हो जायेगी। साथ ही डिंपल से लोगों को नाराजगी है वह अखिलेश के आने से दूर हो जायेगी।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में छत्तीसगढ़ के दौरे पर गये अखिलेश यादव से जब पत्रकारों ने राजनीति में परिवारवाद के बारे में पूछा था तो उन्होंने कहा था कि यदि आपको ऐसा लगता है तो मेरी पत्नी अब कभी चुनाव नहीं लड़ेगी।